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Essay on Forest Conservation : वन संरक्षण
- April 19, 2020
- Hindi Essay
Essay on Forest Conservation , वन संरक्षण व वनों का महत्व पर हिन्दी निबन्ध
Essay on Forest Conservation
वन संरक्षण व वनों का महत्व पर हिन्दी निबन्ध
- वन शब्द की उत्पत्ति व अर्थ (Origin of Van / Forest )
वन संरक्षण का अर्थ (Meaning of Forest Conservation )
वन संरक्षण की आवश्यकता (Why Forest Conservation is necessary)
- भारतीय संस्कृति व वन (Indian Culture and Forest)
- वनों के संरक्षण से लाभ (Benefits Of Forest Conservation)
- वनों का महत्व (Importance of Forest )
- वनों के नष्ट होने से पड़ने वाले दुष्प्रभाव
वन संरक्षण के लिए आवश्यक कदम
वन हमारी प्रकृति का सबसे सुंदर अंग है।मानव जाति के लिए प्रकृति का सबसे सुंदर उपहार भी वन और वृक्ष ही हैं।दुनिया के हर देश का उसके वनों से गहरा संबंध होता है। क्योंकि वहाँ की जलवायु , पर्यावरण और जनजीवन वनों पर ही निर्भर करते है।
आदिकाल से ही वन व वृक्ष , दोनों ही मनुष्य के अच्छे मित्र रहे हैं। वन प्रकृति की उपकार भावना को प्रदर्शित करते हैं। मानव को बिना मांगे ही उनसे बहुत कुछ मिलता है।वन हमारे देश की बहुमूल्य संपत्ति व आगे आने वाली पीढ़ी की धरोहर है। इसीलिए वनों का संरक्षण करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है।
वन शब्द की उत्पत्ति व अर्थ (Origin of Van / Forest )
वन शब्द की उत्पत्ति फ़्रांसिसी भाषा से मानी जाती है। जिसका अर्थ होता है पृथ्वी का वह भूभाग जिसमें बड़ी संख्या में विभिन्न प्रजातियों के पेड़ , पौधे , झाड़ियां व लताएं सघन मात्रा में पाई जाती हैं। और यह जगह विभिन्न तरह के जंगली जानवरों , पशु-पक्षियों , कीड़े-मकोड़ों का प्राकृतिक आवास स्थान होता है।
वन संरक्षण का अर्थ वनों की रक्षा करना या उन्हें मूल या प्राकृतिक अवस्था में रहने देना।वास्तव में आज वनों के संरक्षण की आवश्यकता है। क्योंकि हम अपने स्वार्थ के कारण इनको नष्ट करने में तुले हैं।
दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की मिट्टी व जलवायु के हिसाब से अलग-अलग प्रकार के वन , पेड़ , पौधे , जानवर व पशु-पक्षियों आदि पाए जाते हैं। जो प्रत्यक्ष रूप या अप्रत्यक्ष रूप से पूरी मानव जाति व हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को लाभ पहुंचाते हैं।तथा हमारी धरती को खूबसूरत भी बनाते हैं।
हम इंसान अपने थोड़े से स्वार्थ के कारण इन वनों को लगातार नष्ट करते जा रहे हैं। जिस कारण पूरी पृथ्वी से वन क्षेत्र लगातार घटते जा रहे हैं। इ सका दुष्प्रभाव अब हमारे सामने आने लगा है। धरती का बढ़ता तापमान , कम होती बरसात , मौसम चक्र में बदलाव , जहरीली गैसों के दुष्प्रभाव से पृथ्वी के सुरक्षा कवच ओजोन स्तर का लगातार सिकुड़ते जाना इसके कुछ उदाहरण है।
इसीलिए अब हमें इन वनों को संरक्षित करने की आवश्यकता हैं। क्योंकि वनों को संरक्षित किए बिना पूरी मानव जाति या यूं कहें कि प्राणी मात्र का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। तो गलत नहीं होगा।
भारतीय संस्कृति व वन (Essay on Forest Conservation)
हमारे पूर्वजों व ऋषि मुनियों ने सभ्यता व संस्कृति का पाठ इन्हीं जंगलों में रह कर सीखा था।प्राचीन समय में हमारे महान ऋषि मुनि इन्हीं जंगलों के शांत और सुरम्य वातावरण में अपना आश्रम व गुरुकुल बनाकर रहते थे।और हजारों छात्रों को इन्हीं गुरुकुलों में शिक्षा दी जाती थी।
इन गुरुकुलों में दूर-दूर से हजारों छात्र आकर विद्या अध्ययन करते थे।भगवान श्रीराम हो या श्री कृष्ण या कोई भी अन्य महापुरुष , सबने इन्हीं वनों में स्थित गुरुकुलों में जाकर अपना ज्ञान अर्जित किया था।
ऋषि मुनि एवं तपस्वी इन्हीं जंगलों में रहकर अपनी तपस्या व साधना करते थे। और अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए इन्हीं जंगलों से भोजन , पानी तथा खाने-पीने की अन्य वस्तुओं को इकठ्ठा करते थे। यहां तक कि असाध्य से असाध्य रोगों के निदान के लिए इन्हीं जंगलों से औषधियां भी लाते थे।
प्राचीन काल में हमारे देश में वानप्रस्थ आश्रम का भी बड़ा महत्व होता था। यानी जीवन के चौथे चरण (वृद्धावस्था ) में लोग इन्हीं जंगलों में जाकर अपना जीवन यापन करते थे। ताकि वो अपना शेष जीवन शांति से भगवान को स्मरण करते हुए बिता सकें।
आयुर्वेद जैसी महान चिकित्सा पद्धति भारत की ही देन है।जिस में पौधों व जड़ी बूटियों का उपयोग कर असाध्य रोगों को दूर किया जाता है।
भारत के ऋषि मुनियों के अनुसार दुनिया में उगने वाला कोई भी पौधा व्यर्थ नहीं हैं। हर पेड़ व पौधा अपने आप में एक औषधीय पौधा है। कुछ पौधे मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। तो कुछ उसके रोगों को दूर करने में सहायक होते हैं , और कुछ उनकी शारीरिक शक्ति को बढ़ाने के काम आते हैं।
यानि हर पौधा कुछ ना कुछ विशेष औषधीय गुण लिए हुए होता है। बस आपको उसके औषधिय गुणों का पता होना चाहिए।
वनों के संरक्षण से लाभ (Essay on Forest Conservation)
वनों के संरक्षण से लाभ ही लाभ हैं।क्योंकि आदिकाल से ही प्रकृति व मानव एक दूसरे के सहचरी रहे है। वन ना सिर्फ हम इंसानों को बल्कि दुनिया में रहने वाले प्रत्येक प्राणी मात्र को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाते हैं।जो निम्न हैं
- वन हमारे पारिस्थितिकी तंत्र व पर्यावरण को मजबूत व संतुलित करते हैं।
- वन लगातार बादलों को आकर्षित करते हैं जिससे धरती पर वर्षा होती है। अच्छी वर्षा से खेतों में पैदावार अच्छी होती है।
- वनों के कारण जमीन का कटाव रुक जाता है।यानि ये मिट्टी के कटाव को रोकते हैं।
- उत्तम और शुद्ध जलवायु के लिए वनों की बहुत आवश्यकता है।क्योंकि यही वन जहरीली गैस कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर , हमें जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं।
- वनों से हमें अमूल्य औषधियों के लिए जड़ी बूटियां प्राप्त होती हैं।
- वनों से हमें कई कुटीर व लघु उद्योग धंधों के लिए कच्चा माल भी प्राप्त होता है। और कुछ कुटीर उद्योग धंधे तो वनों से प्राप्त होने वाले कच्चे माल पर ही निर्भर रहते हैं। जैसे रबड़ , गोंद , लाख , बीड़ी , सुगंध , रंग , टोकरी , तेल , अगरबत्ती आदि।
- इमारती लकड़ियों और अन्य वस्तुओं को बनाने के लिए आज भी हम जंगलों पर ही निर्भर रहते हैं। कई उद्योग धंधे तो जंगलों पर ही आधारित हैं।
- मनुष्य व जानवरों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति भी वन ही करते हैं। पशुओं के लिए चारा व बिछौना जंगलों से ही प्राप्त होता हैं।
- कई लोग इन्हीं जंगलों पर आश्रित होकर अपना जीवन निर्वहन करते हैं।
- पर्यटन उद्योग के विकास के लिए वनों की बहुत आवश्यकता है।
वनों का महत्व
विकास , शहरीकरण व लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण पूरी दुनिया से लगातार हरे-भरे वन क्षेत्र निरंतर सिकुड़ते जा रहे हैं।एक आकलन के हिसाब से वर्ष 2045 तक भारत विश्व में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश हो जाएगा।ऐसे में वनों का महत्व बढ़ जाता हैं।
- प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इन जंगलों ने अपने अन्दर लगभग 638 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड को समेट रखा है। इसके बदले में ये वन लगातार ऑक्सीजन का उत्सर्जन कर रहे हैं। ताकि इस धरती पर जीव जंतुओं के जीवन जीने की अनुकूल परिस्थितियां बनी रहे।यानि हमसे कुछ इच्छा किये वैगर हम पर उपकार करते हैं , वह भी हमें बिना बताये ।
- ये वन धरती पर कार्बन सिंक यानी कार्बन डाइऑक्साइड के भंडार के रूप में काम करते हैं जो इन जहरीली गैसों से पर्यावरण को एक सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं।
- दुनिया की लगभग एक अरब आबादी अपनी आजीविका के लिए इन्हीं वनों पर निर्भर रहती है। ऐसे में घटते वन क्षेत्र लोगों की आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियों को गहराई से प्रभावित करते हैं।
- मौसम में आए बदलाव , कई प्रकार के रोग फैलाने वाले जीवाणु और विषाणु की उत्पत्ति के पीछे भी वनों की कटाई ही मुख्य कारण है।
- दुनिया के कुछ देशों के पास विशाल वन संपदा है जिसमें रूस सबसे अग्रणीय है।उसके बाद ब्राजील , कनाडा और अमेरिका के पास भी अथाह वन संपदा है।जो उस देश की आर्थिक व सामाजिक स्थितियों को प्रभावित करती हैं।
- भारत के कुछ राज्य जैसे मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , महाराष्ट्र , अरुणाचल प्रदेश , ओडिशा में वनों की स्थिति बहुत अच्छी है। इन राज्यों में आज भी आदिवासी जाति व जनजाति के लोग मुख्यतः जंगलों पर ही निर्भर रहते हैं।
- वर्षा वनों में दुनिया के जीव जंतुओं की लगभग आधी प्रजातियां निवास करती है। लातिन अमेरिका की “अमेज़न नदी घाटी” के जंगल दुनिया के सबसे बड़े जैव विविधता वाले क्षेत्र हैं। इसीलिए इसे दुनिया का “श्वास तंत्र” भी कहा जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार अगर धरती पर जीवन को बचाना है तो जंगलों को संरक्षित करना अनिवार्य है।
- वन हमारे प्रकृति व पर्यावरण को संतुलित करते हैं।वनों में ही हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को फलने फूलने का पर्याप्त अवसर मिलता है।
- किसी भी क्षेत्र के सघन वन उस क्षेत्र की मिट्टी व पहाड़ों को खत्म होने से बचाते हैं।
- जंगल में उगने वाले पेड़ पौधे हमारे धरती के पानी को बचाए रखने में भी सहायक होते हैं। अत्यधिक गर्मी में भी इनकी छाया से नदी , झीलों , झरनों का पानी बहुत अधिक मात्रा में वाष्प बन नहीं पाता है। जिससे पानी बचा रहता हैं।
- इसी तरह इनकी जड़ों पानी को अवशोषित कर मिट्टी में स्थिर किये रखती हैं। जिससे भूमि में नमी रहती हैं।
वनों के नष्ट होने से पड़ने वाले दुष्प्रभाव
वन हमें हमेशा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अमूल्य उपहार देते ही आए हैं। बावजूद इसके हम इंसानों ने ही इन जंगलों को खत्म करने का जैसे बेड़ा ही उठाया है। लेकिन धीरे धीरे ही सही इसका दुष्प्रभाव अब हमारी समझ में आने लगा है। जो निम्न हैं।
- जंगलों की कटाई के कारण दुनिया के तापमान में लगातार बृद्धि होती जा रही हैं। भारत का तापमान पिछले 100 वर्षों में लगभग 0.4 डिग्री सेल्सियस बड़ा है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया भर में वर्ष 2050 तक ठंड के मौसम का तापमान लगभग 3.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। जिस कारण 2050 तक बारिश की मात्रा में भारी कमी आएगी। और यही बढ़ा हुआ तापमान हमारे जीवन जीने व प्रगति में बाधा बनेगा।
- विश्व भर में जंगलों का क्षेत्र लगातार कम होता जा रहा है मनुष्यों की संख्या बढ़ने के कारण हर साल पृथ्वी में औसतन .24% की रफ्तार से वन घट रहे हैं। और पृथ्वी के पर्यावरण में हर साल लगभग 1.9 टन कार्बन डाइऑक्साइड का जहर घुल रहा है। जो प्रकृति की अनमोल धरोहर जंगलों की अंधाधुंध कटाई का सबसे घातक परिणाम है।
- वनों व वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से वर्षा की मात्रा घट जाती है। इससे अकाल पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। और धरती को सूखे की मार झेलनी पड़ती है।फसल की पैदावार पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ता है।
- लगातार वनों के कम होने से जंगली जानवरों ने गांवों की तरफ रुख कर दिया है। और ये जंगली जानवर लगातार इंसानों को तथा उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। और यह खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
- सूखा , बाढ़ , भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं में दिनोंदिन बढ़ोतरी होती जा रही है।
- पर्यावरणीय असंतुलन लगातार बढ़ता ही जा रहा है है। प्रदूषण में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही हैं।
अब समय आ गया हैं जब वन संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाना जरूरी हैं।
- वनों के संरक्षण में वनों के आसपास रहने वाले लोग विशेष भूमिका निभा सकते है। वनों के संरक्षण के लिए इन्हीं लोगों को प्रशिक्षित करना व जागरूक करना आवश्यक है। इन लोगों को यह बताना भी आवश्यक है कि वनों को सुरक्षित रखने से उन्हें क्या-क्या लाभ मिल सकता हैं।
- वनों के संरक्षण के लिए वनों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए ईंधन की कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि वो ईंधन के लिए इन जंगलों को ना काटे।
- कुछ स्वार्थी लोग अपनी कमाई को बढ़ाने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई कर देते हैं। ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
- वनों में उत्पन्न होने वाली वस्तुओं पर आधारित लघु एवं कुटीर उद्योगों से रोजगार के विकल्पों को तलाशने पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए। ताकि रोजगार मिलने की वजह से जंगलों के आसपास रहने वाले लोग इन जंगलों के रखरखाव व इनके संरक्षण में ज्यादा ध्यान दे सकें।
- विकास के नाम पर अंधाधुंध वनों की कटाई पर रोक लगनी चाहिए। जिस जगह पर पेड़ों की कटाई अनिवार्य है।सरकार को चाहिए कि पहले किसी दूसरे स्थान पर उतने ही या उससे दुगुने पौधों का रोपण करवाएं। तब उन पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान करें। जिससे यह धरती हरी भरी रहे और प्राकृतिक संतुलन भी बना रहे।
- वन महोत्सव व हरेला जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देकर नए पौधों का रोपण यानी वृक्षारोपण करना अति आवश्यक है।
- सरकार को कठोर नियमों के साथ वन संरक्षण की नीति बनाने की आवश्यकता है।
उपसंहार (Essay on Forest Conservation)
दुनिया भर के लोग व सरकारों अब वनों के संरक्षण के लिए जागरूक हुई हैं।पर्यावरण सुरक्षा या वन सुरक्षा से संबंधित अनेक नियमों को बनाया गया है।वनों की आवश्यकता व उसके महत्वता को लोगों को समझाने व उसके प्रति जागरूक करने के लिए अनेक कार्यक्रमों को भी चलाया जा रहा है। कई वन्यजीव अभयारण्य , राष्ट्रीय उद्यानों आदि को संरक्षित किया जा रहा है।
वन महोत्सव जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देकर नए पौधों का रोपण यानी वृक्षारोपण किया जा रहा है।क्योंकि वनों व पेड़ पौधों के बिना एक दिन यह धरती व इसमें रहने वाले प्राणी मात्र का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। इसीलिए हमें अपने अस्तित्व को बचाए रखना है तो वनों का संरक्षण करना अति आवश्यक है।
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वन संरक्षण पर निबंध, वनों का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। वन पृथ्वी के संतुलन की बनाये रखता है। पेड़ पोधो को बचना एक बहुत जरुरी कार्य बन गया है। क्योकि लोग दिन प्रतिदिन वनों की कटाई करते जा रहे है जिससे पृथ्वी का संतुलन बिगड़ते जा रहा है इसके वजह से कई घटनाये घटती रहती है। हमारे 21वी सदी में पेड़ पौधों को बचाना प्रमुख काम बन गया है। वनों का संरक्षण आजकल एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय बन गया है। वनें हमारे पर्यावरण का अभिन्न हिस्सा हैं और वनों के बिना हमारे जीवन का अस्तित्व संभावित नहीं है।
ये सब बहुत तेजी विलुप्त होते जा रहे है जिससे वनों में रहने वाले पशु पंछी, जंगली जानवर सब बेघर होते जा रहे है। इससे जंगली जानवर इंसानों के इलाको में घुस जाते है जिससे लोगो में भय का माहौल होता है। सब मिलकर एक ही बात है की हम सब एक पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़े हुए है। वनों की कटाई की वजह से नदियों, झीलों पर भी असर पड़ता है।
वनों के एक विशाल भूमि क्षेत्र है। दुनिया में विभिन्न प्रकार के वन है, उनके मिटटी, पेड़ पौधों, वनस्पतियों एवं उसमे रहने वाले कई प्रकार के जीव जन्तुओ के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। वनों की वजह से वातावरण में हवा शुद्धिकरण होता रहता है। इससे जलवायु परिवर्तन होने भी मदद करता है।
वन संरक्षण, वन शब्द की उत्पत्ति
वन शब्द का विकास फ़्रांसिसी शब्द के द्वारा हुआ था । इसका मतलब भरी संख्या में पेड़ पौधों का जमावड़ा होना या आस्तित्व होना। इसको अंग्रेजी शब्द के रूप में प्रदर्शित किया गया था। जो जंगल के भू-भाग को प्रदर्शित करता है।
दुसरे तरह से कहा गया की जंगल शब्द का विकास लैटिन शब्द “फोरेस्टा” से हुआ था। जिसका मतलब खुली लकड़ी शब्द से है । ये शब्द राजा शाही शिकार के दौरान उपयोग करते थे।
वनों के प्रकार (वन संरक्षण पर निबंध)
पुरे विश्व में कई प्रकार के वन पाए जाते है। इन सभी वनों को विभिन्न प्रकार के श्रेणी में बाटा गया है। इन सभी वर्गों को संछिप्त में नीचे दर्शाया गया है-
- पर्णपाती वन
पर्णपाती वन में पेड़ पौधों जो पाए जाते है। उनमे हर साल एक पतझड़ का समय आता है जो पेड़ के सारे पत्ते झड़ जाते है। ये अक्सर फरवरी – मार्च में महीने में देखने को मिलता है। जब सर्दी जा रही होती है। ये वन यूरोप, एशिया, न्यूजीलैंड, उत्तर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे विभिन्न जगहों पर पाया जाता है।
- उष्णकटिबंधीय वर्षा वन
उष्णकटिबंधीय वन में तापमान बहुत अधिक होता है । लेकिन उससे ज्यादा यहा बारिश होती रहती है पुरे वर्ष । यहाँ पर रहने वाले सभी जीव जन्तुओ का सफर ज्यादातर बारिश में बीतता है। ये क्षेत्र भूमध्य रेखा निकट (दक्षिण या उत्तर में 28 डिग्री के भीतर) स्थित है।
ये वन बहुत ही घने होते है। यहा पेड़ लम्बे और ऊचे होते है। यहाँ पर सूर्य की रोशनी न पहुँच पाने की वजह से बड़े वृक्षों के निचे छोटे पौधों का बहुत ही कम विकास होता है । सदाबहार जैसे वृक्षो की संख्या अधिक होती है। यह वन एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका, मेक्सिको और प्रशांत के द्वीपों पर पाए जाते है।
- उप उष्णकटिबंधीय वन
ये जंगल उत्तर और दक्षिण भाग में स्थित है। उप उष्णकटिबंधीय जलवायु में सर्दियों के अपेक्षा गनगुनी होती है। लेकिन गर्मी के मौसम की तरह गर्म नही होता है। यहा पर पेड़ पौधों के अनुकूल वातावरण होता है।
- टेम्पेरेट वन
यह वन एशिया, पूर्वी उत्तर अमेरिका और पश्चिमी पूर्वी यूरोप में स्थित है। यहाँ पर घने जंगल होने की वजह से हमेशा पर्याप्त मात्रा में बारिश होती रहती है । यहाँ पर शंकुधारी सदाबहार वृक्ष पाए जाते है।
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वन संरक्षण, वनों के महत्व
वनों से हमें कई प्रकार की लाभ प्राप्त होती है । वनों हमारे जीवन में कई तरह के भूमिका निभाते है । वन से हमें लकड़ी, बॉस, पशुओ का चारा, ऑक्सीजन, बीज, आयुर्वेद की दवाए, प्राकृतिक औषधि और जड़ी-बूटिया प्राप्त होती है । वनों की वजह से मौसम बनता है तो बारिश होती है । वन पारिस्थितकी तंत्र को भी संतुलन बनाये रखता है।
मानव जीवन वन का बहुत ही बड़ा उपयोग है, मनुष्य वन से कच्चे माल का भी प्रदान करता है, जैसे लकड़ी से मनुष्य अपना घर बनता है । जंगली जड़ी बूटी से लोग कई तरह दवाये तैयार करते है । जो हमारे लिए बहुत उपयोगी होता है। अगर वन है तो पशु है क्योकि वन पशुओ के रहने के लिए घर देता है । पेड़ पौधों पर चिड़ियो का आशियाना होता है। वो अपना घोसला बनाती है । ताकि बरसात और सर्दी के समय सुरक्षित रह सके।
वनें हमारे प्राकृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं। वनें हमारे पास जीवन का अमूर्त धरोहर हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को संतुलित और सुरक्षित बनाने का काम किया है। इसलिए, हमें वनों को बचाने का निर्णय लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
वन संरक्षण पर निबंध (van sanrakshan par nibandh)
यहाँ कुछ सरल बिंदुओं को समझाने के लिए हैं जो वनों के महत्व को समझाते हैं:
- जीवन का निवास: वनें अनगिन्नत वनस्पतियों और जानवरों के घर हैं। जब हम वनों को नष्ट करते हैं, तो हम उनके निवास को छीन रहे हैं, जिससे कई प्रजातियों का संकट हो सकता है।
- ऑक्सीजन उत्पादन: पेड़-पौधे प्राकृतिक ऑक्सीजन कारख़ाने के रूप में काम करते हैं। वे कार्बन डाइऑक्साइड को अपशिष्ट लेते हैं और ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं, जो मानवों और जीवों के लिए आवश्यक है। वनों के बिना, वायुमंडल में कीटकों का उत्थान हो सकता है, जो हमारे लिए हानिप्रद है।
- मिट्टी का अपघात रोकना: पेड़ों की जड़ें मिट्टी को एक साथ बांधती हैं, जिससे भूमि का अपघात नहीं होता। जब पेड़ काटे जाते हैं, तो वर्षा से मिट्टी बह जाती है, जिससे उद्यानों का सूखना और उर्वरकीय भूमि की हानि होती है।
- जलवायु नियंत्रण: वनों का महत्वपूर्ण योगदान है जलवायु का नियंत्रण करने में। वे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है। वनों को बचाकर, हम जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में सहायता कर सकते हैं।
औषधि का स्रोत:
वनों में पाए जाने वाले कई पौधे उपयोग होते हैं जो विभिन्न बीमारियों का इलाज करने के लिए काम आते हैं। वनों को नष्ट करना किसी बीमारी के इलाज की संभावनाओं को नष्ट करने के समान है।
- मनोरंजन और शिक्षात्मक महत्व: वनें मनोरंजन , आवाज़न और शिक्षा के लिए स्थान प्रदान करती हैं। ये लोगों को प्राकृतिक संपर्क करने और उसके महत्व को समझने का एक स्थान प्रदान करती हैं।
- आर्थिक लाभ: वनें लकड़ी, फल और नट्स जैसे संसाधन प्रदान करके अर्थव्यवस्था का योगदान करती हैं। वे पर्यटन और कृषि जैसे उद्योगों को भी समर्थन करती हैं, जिनका स्थितिकरण स्वस्थ पारिस्थितिकियों पर निर्भर करता है।
- सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण: कई आदिवासी समुदायों के लिए वनों में सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। वनों को संरक्षित करना उनके जीवन शैली का सम्मान और सुरक्षा करने के लिए आवश्यक है।
वन संरक्षण पर निबंध
वनों को बचाना सिर्फ पेड़ों की सुरक्षा के बारे में नहीं है; यह धरती पर जीवन के नाजुक संतुलन को सुरक्षित करने के बारे में है। हर व्यक्ति का इस कार्य में योगदान है। संरक्षण के प्रयासों का समर्थन करके, पेड़ लगाकर और वन्यजीवों की सुरक्षा करके, हम हमारी सुंदर पृथ्वी पर जीवन की रक्षा कर सकते हैं। ध्यान दें, हर बचाया पेड़ एक जीवन की रक्षा है।
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वनों का संरक्षण
वन हमें आंधी, तूफान जैसे कई आपदाओ से हमें रक्षा करता है । पर्यावरण हमारे जीवन चक्र का एक हिस्सा बनकर मदद करते आयी है । प्रकृति का संतुलन वनों से होती रहती है । इसलिए हमें वनों का संरक्षण करना चाहिए।
बाढ़ और अकाल से भी बचाता है । वन के पेड़ पौधों की वजह से हमें कई फायदे होते है, जैसे जल की प्रवाह को रोकता है, जल की गति से मिटटी की कटाव को कम करता है । जंगल एक मजबूत ढाल की तरह हमारी रक्षा करता है।
जंगलो की वजह से हमें शुद्ध हवा प्रदान करता है ऑक्सीजन के रूप में । पेड़ पौधे दिन के समय ऑक्सीजन और रात के समय कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है। पेड़ पौधों की वजह मिटटी की उर्वरता बनी रहती है । आस पास के पेड़ पौधों को हर भरा रखता है।
वनों का संरक्षण एवं महत्व
वनों का संरक्षण हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ये हमारे प्राकृतिक वातावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वनों का संरक्षण क्यों महत्वपूर्ण है, इसे निम्नलिखित बिंदुओं में समझाया जा सकता है:
- जीवन के लिए महत्वपूर्ण: वनें पौधों, जानवरों, और पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण निवास स्थल होते हैं। वनों के बिना, इन सभी जीवों के लिए घर की कमी हो सकती है, जिससे जीवन के लिए संघटन बढ़ सकती है।
- वायुमंडल के लिए महत्वपूर्ण: पेड़-पौधे ऑक्सीजन का महत्वपूर्ण उत्पादक होते हैं, जो हमारे साँस लेने के लिए आवश्यक है। वनों के बिना, हमारा वायुमंडल प्रदूषित हो सकता है और स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकता है।
- जलवायु संरक्षण: वनें कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद करते हैं। ये हमें जलवायु परिवर्तन के प्रति सहायक भूमिका निभाने में मदद करते हैं।
- जैव विविधता का संरक्षण: वनों में अनगिनत प्रजातियां होती हैं, जिन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए। यहाँ तक कि आपके बच्चों के लिए यहाँ खेलने और सीखने के लिए स्थल भी होता है।
- मानव संसाधनों का स्रोत: वन और वनस्पतियाँ हमें लकड़ी, फल, और औषधियाँ प्रदान करती हैं, जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।
- आर्थिक लाभ: वनों से हमें आर्थिक लाभ मिलता है, जैसे कि वनस्पतियों का व्यापार, पर्यटन , और कृषि से संबंधित उद्योगों के रूप में।
- सांस्कृतिक महत्व: वनों के कई आदिवासी समुदायों के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व होता है।
वन संरक्षण, वनों को कैसे बचाया जाय
वनों को बचाने के लिए हमें कई तरह के कदम उठाना चाहिए । वनों की कटाई करने से रोकना और ज्यादे से ज्यादे पेड़ पौधों को लगाना चाहिए । हम जिस वातावरण में रहते है शान्ति और शुद्ध होता है।
- हम जितना हो सके उतना पैदल चले इससे आपकी सेहत और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
- सभी लोगो को वृक्षारोपण और सरंक्षण करना चाहिए।
- सिमित मात्र में पानी का उपयोग करे और अनावश्यक पानी का बर्बादी न करे और जल सरंक्षण करना चाहिए।
- प्लास्टिक का उपयोग नही करना चाहिए।
- जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए।
- वनों में रहने वाले जिव जन्तुओ का शिकार ना हो, इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
- हमें वनों को बचाने के लिए बनाये गये नियमो का पालन करना चाहिए।
वन संरक्षण का महत्व
वन संरक्षण का महत्व आजकल विश्वभर में उच्च चरम सीमा तक पहुँच चुका है। ये वनस्पतियाँ हमारे प्राकृतिक वातावरण का अभिन्न हिस्सा हैं और जीवों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इनकी सुरक्षा न केवल वनस्पतियों के लिए बल्कि हमारे सभी जीवों के लिए आवश्यक है।
- वायुमंडल को शुद्ध करना: वनें कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके वायुमंडल को शुद्ध करते हैं और ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। यह वायुमंडल की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है और जीवों के लिए स्वस्थ वातावरण प्रदान करता है।
- जलवायु नियंत्रण: वनें जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में मदद करते हैं और जलवायु की स्थिति को स्थिर रखते हैं।
- जलसंसाधन का संरक्षण: वनों में अनगिन्नत नदियाँ और झीलें होती हैं, जो पानी को संचित करती हैं और जलसंसाधन का संरक्षण करती हैं। यह जलसंकट से निपटने में मदद करता है और जल संयंत्रों की स्थिति को सुरक्षित रखता है।
- जैव विविधता का संरक्षण: वनें अनगिन्नत प्रजातियों को अपने विभिन्न आवासों में निवास करने का अवसर प्रदान करती हैं। जब हम वनों को नष्ट करते हैं, तो यह सृष्टि की सबसे कीमती समृद्धि, जीवों की विविधता, को खो देते हैं।
- आर्थिक लाभ: वन सेंद्रियों के लिए महत्वपूर्ण स्रोत हैं और निर्मिति, औषधियों, लकड़ी, और फलों की आपूर्ति करते हैं। वनों के बिना यह सभी आर्थिक लाभ समाप्त हो सकते हैं।
निष्कर्ष (वन संरक्षण पर निबंध)
वन संरक्षण का महत्व अत्यधिक है और हम सभी को इसके लिए जिम्मेदारी उठानी चाहिए। वनों को बचाने से हम न केवल वनस्पतियों की रक्षा करते हैं, बल्कि सम्पूर्ण पर्यावरण को स्वस्थ रखने में योगदान करते हैं। यह एक सभ्य समाज की जिम्मेदारी है कि वन संरक्षण के लिए कदम उठाए और हमारे आने वाली पीढ़ियों को भी एक हरित और स्वस्थ भविष्य दें।
वन्य जीवों का संरक्षण जीवन के लिए उनके प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखने में मदद करता है, जिससे पृथ्वी की जीवन-संस्कृति को संतुलित बनाए रखा जा सकता है।
वनों का संरक्षण पृथ्वी के जलवायु संतुलन को बनाए रखने, जंगली जीवन की सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों को बचाव करने के लिए आवश्यक होता है।
वनों का उपयोग हमें लकड़ी, अनाज, और औद्योगिक उत्पादों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है।
हां, वनों का संरक्षण पर्यावरण की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हमारे पर्यावरण को स्थिर रखने में मदद करता है।
वन्य जीवों का संरक्षण जंगली जीवन के लिए संरक्षित क्षेत्रों का निर्माण, वन्य जीवों के आवास की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से बचाव के उपायों को सम्मिलित करने के द्वारा किया जा सकता है।
वनों की प्रमुख प्रकार हैं: ऊष्णकटिबंधीय, उप-ऊष्णकटिबंधीय, पर्णपाती, टेम्पेरेट, मोंटेन, बागान, भूमध्य, और शंकुधारी वन।
वन संरक्षण समाज को लाभ प्रदान करता है क्योंकि वन से आर्थिक, पर्यावरणीय, और सामाजिक रूप से विभिन्न उत्पादों और सेवाओं का लाभ मिलता है।
वनों के संरक्षण से पर्यावरण में हवा शुद्धिकरण, जलवायु स्थिरता, और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उपाय आते हैं।
भारत में वनों का संरक्षण महत्वपूर्ण है क्योंकि वन भारतीय सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत का हिस्सा है और इससे आर्थिक, पारिस्थितिकी, और सामाजिक रूप से विकास होता है।
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वन और वन्य जीवन संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Forest and Wildlife in Hindi
इस शीर्षक का सीधा अर्थ है, वो सारे प्रयास जो वनो एवम वन्य जीवों को संरक्षित और सुरक्षित करने के लिय किए जाते है। वन और वन्यजीवन, यह प्रकृती, ही हमारे असतित्व की नींव है। इनका नष्ट एवम विलुप्त होना हमारे लिए खतरे का संकेत है।
संरक्षण के प्रयासो द्वारा पेड़, पौधो, पक्षियों की प्रजातीयां सुरक्षित रहती है एवम फलति फूलती है, जो हमारे पर्यावरण के लिए बहुत लाभदायक है। जंगली जानवरों की प्रजातीयां भी सुरक्षित रहे तो यह भी अति उपयोगी है।
Table of Content
वन और वन्य जीवन के संरक्षण से हमें क्या लाभ है? What are the Benefits of Conservation of Forest and Wildlife?
चूंकी मनुष्य प्रलोभी है, हर कार्य में अपना स्वार्थ देखता है, वन्यजीवन संरक्षण के बारे में भी जब सोचते है तो यही सवाल हमारे मन मे आते है। पानी, हवा, मिट्टि – तीनो ही पर्यावरण के अभिन्न अंग है। पानी जिसे हम पीते है और अनगिनत कार्यों में इस्तेमाल करते है, जिसके बिना हमारे जीवन की कल्पना करना भी संभव नही है।
हवा, जिसमें घुला होता है पेड़ो द्वारा निर्मित ऑक्सिजन, जिससे हमारी साँसे चलती है। मिट्टि, वो उपजाऊ मिट्टि जिसमें हम तरह तरह के अनाज, दाले, फल, सब्ज़ीयाँ आदी उगाते है, इन सभी से हमारे शरीर को पोषण मिलता है, स्वास्थ बना रहता है और नित नए व्यंजनो का स्वाद चखते है।
वन और वन्य जीवन सुरक्षित रहे तो ये सभी संसाधन हमें पर्याप्त मात्रा में मिलते रहेंगे और हम अपना जीवन व्यापन कर पाऐंगे। सोचिये के अगर इन संसाधनो का नष्टीकरण हुआ तो क्या हालात सामने आ सकते है।
पर्यावरण में ही प्रकृती की सच्चि सुंदरता है – हरे हरे लहलहाते बाग़, भिन्न भिन्न प्रकार के पशु पक्षियों की प्रजातीयाँ जो मन मोहती है – यही तो वास्तविक लालित्य है। अगर यही नही बचा तो हमारे पास क्या शेष रह जाऐगा, सूखी बेजान बंजर ज़मीन और ख़राब आबोहवा, मनुष्य द्वारा बनाई गई वस्तुऐ तो सब कृत्रिम है, उनमें वो आँखो को ठंडक देने वाला रंग रूप कहाँ !!
वन और वन्य जीवन के संरक्षण की आवश्यकता क्यों? Why Conservation of Forest and Wildlife
वन्यजीवन का नष्टिकरण हम अपने ही हाथों से बिना सोचे समझे भावहीन होकर किए जा रहे है। जंगलो की अंधाधुंध कटाई की जाती है, ताकि हमारी “बहुमुल्य इमारते” खड़ी हो सके। जानवरों का अवैध शिकार तथा माँस खाल कि तस्करी करके मनुष्य अपनी जेंबे तो भर लेता है, पर हृद्य तो खाली ही रहता है।
पशुओ के मुलायम रुए से बने वस्त्र बहुत आर्कषित करते है, चाहे इसके लिए किसी बेज़ूबान की जान ही क्यों न लेनी पड़े, इस बात से मनुष्य को कोई फर्क नहीं पड़ता। मनुषय यह नहीं सोचता के इनमें भी जान है, इनको भी कष्ट होता है, बस आँखे मूंद के अपना स्वार्थ पूरा करने में लगा है।
इन सभी दुर्भाग्यपूर्ण स्थितीयों पर रोकथाम के लिए भारत सरकार द्वारा कई कड़े कदम उठाए जा चुके है। भारत सरकार ने सन 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम दिया ताकी वन्यजीवों का संरक्षण हो सके तथा उनके अवैध शिकार एवम खाल माँस का व्यापार रोका जा सके।
सन 2003 ई. में कानून को संशोधित करके भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 में बदल दिया गया। यह कानून पशु, पक्षि, पौधो की प्रजातीयों के अवैध शिकार एवम व्यापार को रोकने का भरपूर प्रयास करता है।
यह कानून जम्मु और कशमीर के क्षेत्र को छोड़कर पूरे भारतवर्ष में लागू होता है। अधिनियम के अनुसार गैरकानूनी शिकार एवम व्यापार एक दण्डनीय अपराध है। विलुप्त होती हुई प्रजातीयों को भी सुरक्षा देने का प्रावधान है।
अवैध कार्यकलाप वन विभाग में मौजूदा भ्रष्टाचार को दर्शाते है, अगर निपुणता से कार्य करे तो यह सब संभव ही न हो। सरकार द्वारा कई राज्यों में राष्ट्रीय उद्दान एवम वन्यजीव अभ्यारण स्थापित किए जा चुके है, जो कि सुचारू रूप से आज भी कार्यरत है, लक्ष्य एक ही था और है – वनो और वन्यजीवन को सुरक्षित करना, बचाए रखना। इन समस्याओं को कम करने के लिए सरकार के साथ साथ बहुत सारे गैरसरकारी विभाग भी बढ़ चढ़कर आगे आते है।
वन्यजीवन पारीतंत्र का संतुलन बनाए रखता है जिससे प्रकृति में स्थिरता बनी रहती है। वन्यजीवन संरक्षण का एक लक्ष्य यह भी है कि आगे आने वाली पीढीयां भी प्रकृती का आनंद ले सके एवम वन्यजीवों की उपयोगिता, उनके महत्व को समझे। वन एवम वन्यजीवन का खतरे में होना एक चिंता का विषय है, और अभी भी अगर मन को नही झकझोरा, तो शायद बहुत देर हो जाएगी।
वन और वन्यजीवन के विनाश से पड़ने वाले प्रभाव Impact of the destruction of forests and wildlife
देखा जाए तो, आज के मौजूदा दौर में प्रकृती में जितने भी विनाशकारी बदलाव आए, वे सभी मनुष्य की ही देन है। वन्यजीवन के खतरे में होने से हम मनुष्यों एवम अन्य जीवों को क्या हानी है, हमें क्या नुकसान झेलने पड़ सकते है?
- ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी समस्या उभर कर आई है, जिसके कारण मौसम में भारी बदलाव आए है, जैसे गर्मियो तथा सर्दियों में तापमान का चरम पर जाना,चक्रवाती तूफान एवम सूखे का दस्तक देना, बिन मौसम बरसात का होना या मूसलाधार बारिशें, जिसके कारण बाढ़ जैसे हालातों का सामना करना पड़ता है।
- जनसंख्या विस्फोट के कारण प्रदूषण का बढ़ना और कारणवश हवा में घुलता ज़हर भी एक चेतावनी ही है। साँस लेने के लिए साफ हवा का मिल पाना मुश्किल हो रहा है।
- मौसम एवम पारितंत्र में इतनी उथल पुथल के कारणवश वन्यजीवों को जीवित रहने में भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है, और न जाने कितने ही जीव मौत के घाट उतर जाते है,जो कि अपने आप में एक समस्या है।
- प्रकृती के संसाधनों का अत्यधिक दोहन, जिसका एकमात्र कारण है भयावह रूप से बढ़ती हुई आबादी। यह भी एक चिंताजनक तथ्य है। संसाधनो में कमी आने पर हाहाकार मच सकता है, और पृथवी के कई हिस्सो में ऐसी स्थितीयां उत्पन्न हो चुकि है।
- वनो की कटाई करके मनुष्य न जाने कितने ही पशु पक्षि की प्रजातीयों को बेघर कर देता है, जिसके कारण प्रकृती एवम वन्यजीवन के असंतुलित होने का डर है।
एक वन की जब कल्पना करते है, तो मन सोचकर ही प्रसन्न हो जाता है। वो हरा भरा वातावरण, चिड़ियों का चहकना, पशु पक्षियों का डालीयों पर झूलना, मधुमक्खियों तथा तितलीयों का अंबार। वन बाहरी रूप से जितने शांत मालूम पड़ते है, असल में उतने ही जीवंत होते है।
वनों एवम वन्यजीवन की महत्वता को देखते हूए, इसके रख रखाव और संरक्षण को अत्यधिक प्राथमिकता देनी चाहिए। यह तथ्य भी स्पष्ट होना चाहिए के वन्यजीवन संरक्षण किसी एक के प्रयासो से संभव नही है, सभी की कड़ी मेहनत से ही अच्छे परिणाम आएंगे।
केवल सरकार के सक्रिय होने से कुछ नही होगा, हमें देश का नागरिक होने के नाते अपना कर्तव्य समझना होगा। आज हम विज्ञान के क्षेत्र में इतना आगे बढ़ चुके है, तकनीकी रूप से इतने सक्षम है, क्या हम अपनी बुद्धिमता को पर्यावरण को सुरक्षित करने हेतू उपयोग नही कर सकते।
पर्यावरण, जिसके दम पर हमारा जीवन है, अगर उसको ही अपने हाथो से नष्ट करेंगे तो फिर अंत तो दुर्भाग्यपूर्ण ही होगा।
वन और वन्यजीवन की रक्षा कैसे कैसे? How to Save and Conserve our Forest and Wildlife
कहने का तात्पर्य यह है के हम भी अपनी छोटी छोटी कोशिशों से अपनी भुमिका निभा सकते है, जैसे के –
- संसाधनो का समझदारी से उपयोग करना।
- प्लास्टिक का उपयोग न करना।
- कीटनाशक पदाथ्रो का कम से कम इस्तेमाल करना।
- हर त्योहार, जन्मदिवस , पर्व पर हर व्यक्ति एक पौधा लगाए, तो इस नन्हे कदम से भी स्थिति में सुधार आ सकता है।
- अवैध पशु पक्षि संबंधित व्यापार के विरोध में आम आदमी को भी अपनी आवाज़ उठानी होगी, ताकी सरकार इस विषय को लेकर अधिक कठोर नियम बनाए एवम भारी दण्ड और जुर्माने का प्रावधान हो।
- मानव द्वारा उतपन्न कचरे के निवारण के बारे में भी विचार करना होगा, जिससे ये मानव निर्मित ज़हर पर्यावरण में न घुले। इस बिंदु की शुरुआत हम अपने ही घरो से कर सकते है, जैसे गीले और सूखे कचरे को अलग करके रखना, कूड़े को खाद के रूप में उपयोग करना आदी।
- फैक्ट्रियों का निर्माण वनो से दूर किया जाए, एवम तथाकथित शहरी करण के नाम पर प्रकृती से खिलवाड़ न हो।
- बस इन्हीं सब प्रयासों द्वारा ही हम सब अपने इस अनमोल पर्यावरण को जीवंत बनाए रख सकते है।
- जब हम हिम्मत से कदम आगे बढ़ाएंगे, तभी सम्सया से पूर्ण राहत पाएंगे।
नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।
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वन का महत्व पर निबंध (Importance of Forest Essay in Hindi)
वन वह महत्वपूर्ण इकाई है जो प्रकृति द्वारा हमें प्रदान की गई हैं। इतनी कीमती चीज पाने के बाद हमें धन्य महसूस करना चाहिए। वे लगातार हमें भोजन, लकड़ी, सांस लेने के लिए हवा, और अन्य जरूरी चीजें प्रदान करते रहते हैं। वे तमाम तरह के जीवों के लिए एक घर की तरह हैं। वन के बिना हम अपने जीवन और अन्य क्रियाकलापों की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, लेकिन वनों की कटाई और छंटाई के प्रति बढ़ता कदम एक गंभीर मुद्दा बनते जा रहा है और यह रुकना या कम होना चाहिए। इन निबंधों को पढ़िए ताकि आप इस विषय को बेहतर समझ सकें।
वन का महत्व पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Importance of Forest, Van ka Mahatva par Nibandh Hindi mein)
निबंध 1 (250 – 300 शब्द) – वन का महत्व.
जंगल, प्रकृति द्वारा इंसानों को दिया गया सबसे बेहतर तोहफा है। यह कई जीवित प्राणियों के लिए रहने की जगह देता है। इसके अलावा, हम वनों से तमाम तरह के फायदे लेते रहते हैं। वनों में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, जड़ी-बूटियाँ, झाड़ियाँ आदि होते हैं। उनमें से कई औषधीय मूल्य प्रदान करते हैं। आश्रय और छाया प्रदान करते हैं।हवा, भोजन, फल, लकड़ी, पानी, और दवा प्रदान करते है।
वन का महत्व
वन,एक प्राकृतिक वायुमंडलीय शोधक के रूप में कार्य करते हैं।जलवायु, मृदा अपरदन को रोकने और प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।जैव विविधता के प्रबंधन द्वारा स्थिरता में मदद करते है।लोगों को रोजगार लाभ प्रदान करते हैं।वन पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण पहलू है और ग्रीनहाउस गैसों का एक भंडार भी है।वन के सौंदर्य मूल्य भी हैं।हमें वनों से विभिन्न प्रकार के लकड़ी के उत्पाद भी प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, वे वायु में प्रदूषकों को हटाने में भी सहायक होते हैं, इस प्रकार वायु प्रदूषण को कम करने में वन अहम भूमिका निभाते हैं।
वन, मानव जाति के लिए विभिन्न लाभों का प्रदाता हैं। इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन गतिविधियों को कम करें जो वन में कमी की ओर अग्रसर हैं।वनों में विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं का समावेश होता है जिसमें पक्षी, कीट और स्तनधारी सभी शामिल हैं। वे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे परागण और फैलाव तंत्र के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस प्रकार से वन इन सभी वनवासियों के समूह का घर है।
निबंध 2 (400 शब्द) – हमें वन संरक्षण की आवश्यकता क्यों है
वन कई जीवों के रहने की जगह है। वे हमारे लिए प्रकृति का एक अनूठा आशीर्वाद हैं। वे हमें कई आवश्यक सेवाएं प्रदान करते हैं जिनमें वायु, लकड़ी, आश्रय, छाया और तमाम वस्तुएं शामिल हैं। वे जल चक्र के तंत्र को विनियमित करके, जलवायु परिवर्तन में एक सक्रिय भूमिका निभाते हैं। चूंकि वन कई जीवित जीवों को एक घर या आश्रय प्रदान करते हैं, इसलिए जब वन को काट दिया जाता है या उस स्थान को साफ़ कर के कृषि भूमि के लिए मंजूरी दे दी जाती है, तो ये जीव अपने निवास स्थान के नुकसान से काफी पीड़ित होते हैं, जिसकी वजह से आगे चलकर इस प्रक्रिया में जैव विविधता की हानि होती है।
वनों में विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं का समावेश होता है जिसमें पक्षी, कीट और स्तनधारी सभी शामिल हैं। वे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे परागण और फैलाव तंत्र के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस प्रकार से वन इन सभी वनवासियों के समूह का घर है।
हमें जंगल के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है ?
यहाँ ऐसे कई पहलू हैं जो बताते हैं कि हमें अपने वनों को बचाने की आवश्यकता हैं।
- वे जीवों के एक विविध समूह और हमारे लिए भोजन, वायु, लकड़ी, आश्रय जैसे सभी आवश्यक आवश्यकताएं प्रदान कराते हैं।
- वे पृथ्वी की सतह को बांधकर मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करते हैं।
- वे हमारे चारों ओर की वायु के शुद्धिकारक हैं।
- वे कुछ जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ बारिश और तापमान को नियमित रखने के लिए जिम्मेदार हैं।
- वे भूमिगत जल के स्तर को बढ़ने में भी मदद करते हैं।
- वनों में कुछ जड़ी-बूटियाँ (औषधीय महत्व वाली) होती हैं जिनका इस्तेमाल दवाओं को बनाने में किया जाता है।
वनों की कटाई के प्रभाव
विकास की दौड़ में मनुष्य निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है। इस तरह से शहरीकरण को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है। उद्योग तथा रहने के लिए बिल्डिंग आदि के निर्माण के उद्देश्य से वन भूमि की कटाई की जा रही है। मानव का यह कार्य जो पूरी तरह से विकास के उद्देश्य के लिए केंद्रित है, वन भूमि के विनाश और गिरावट की तरफ बढ़ रहा है। भविष्य या प्रकृति की चिंता किए बिना मनुष्य पूरी तरह से एक लालची इंसान में बदल गया है। इस प्रकार पेड़ों की संख्या में दैनिक आधार पर कटौती की जा रही है।
इससे बहुत सी जलवायु असामान्यताएं, बाढ़ और सूखे जैसी विभिन्न आपदाओं को निमंत्रण मिलता है।
इसलिए हमारा मुख्य ध्यान वन इकाई के संरक्षण की आवश्यकता पर होना चाहिए। यह हमारी भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं से समझौता किए बिना हमारी स्थिरता को बनाए रखेगा और हमारी आवश्यकताओं को पूरा करेगा। मनुष्य पर्यावरण से लाभ प्राप्त करने के लिए निरंतर सक्रिय रहा है, लेकिन इस समय अंतराल में पर्यावरण से जिस तरह लिया उसे उसी प्रकार से लौटाना भूल गया। इससे प्राकृतिक चक्र में असंतुलन पैदा होता है। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने पर जोर दिया जाना चाहिए।
“पेड़ लगाओ – वातावरण को स्वच्छ बनाओ”
“अधिक से अधिक पेड़ लगाएं, सांस लेने के लिए पर्यावरण को शुद्ध बनाएं”।
निबंध 3 (600 शब्द) – वन का महत्त्व
जैसे ही हमारे दिमाग में वन शब्द आता है, अचानक ही हमारे दिमाग में फलों और फूलों के साथ हरियाली और पेड़-पौधों की तस्वीर सामने आ जाती है। इसलिए सीधे अपनी परिभाषा पर आते हैं, जंगल विभिन्न प्रकार के पेड़ों, जड़ी-बूटियों और झाड़ियों वाली भूमि का एक विस्तृत क्षेत्र है। दुनिया भर में वन धरती का तक़रीबन 30% हिस्सा हैं। वन हमारी प्रकृति द्वारा मानव जाति को प्रदान की जाने वाली बेहद महत्वपूर्ण सुविधा है। यह हमें विभिन्न आवश्यक सेवाएं प्रदान करता है और हमारी कई जरूरतों को पूरा करता है। यह विभिन्न जीवों का घर भी है और तमाम तरह की जनजातियों का भी। जलवायु परिस्थितियों और पेड़ों के प्रकार के आधार पर वन कई प्रकार के होते हैं। यह सदाबहार, पर्णपाती, आंशिक रूप से सदाबहार, शुष्क और उष्णकटिबंधीय हो सकता है।
वन बड़ी संख्या में लोगों के लिए रोजगार का एक स्रोत हैं। कई लोग सक्रिय रूप से सीधे तौर पर या फिर किसी अन्य माध्यम से वन उत्पादों, या तो लकड़ी या गैर-लकड़ी उत्पादों द्वारा अपना जीवन यापन कर रहे हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि निवास स्थान प्रदान करने के साथ, वन हमें जीविका अर्जित करने में भी मदद करते हैं। कुछ लोग जंगलों और पेड़ों की पूजा भी करते हैं, वे इसे पवित्र खांचा कहते हैं, इसलिए यह कहा जा सकता है कि वन का धार्मिक महत्व भी हैं।
हमारे जीवन में वन हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं, यह दर्शाने के लिए नीचे कुछ बिंदु सूचीबद्ध किये गए हैं:
पारिस्थितिक और आर्थिक महत्व
- उत्पादक – यह हमें अलग अलग प्रकार का भोजन, फल, साथ ही साथ दवा भी प्रदान करता है। इसके अलावा यह हमें लकड़ी भी प्रदान करता है जो विभिन्न तरह के तैयार उत्पादों के लिए कच्चा माल होता है। लकड़ियाँ विभिन्न उद्योगों के प्रयोग के लिए कच्चा माल है।
- सुरक्षात्मक – यह तमाम तरह के जीवों के साथ-साथ जनजातियों के लिए एक निवास स्थान है। इसलिए जैव विविधता को भी बनाए रखता है। यह तक़रीबन 80% स्थलीय जीवों को एक घर प्रदान करता है। जंगल के फर्श का अपना अलग ही मूल्य है, क्योंकि इसमें बहुत सारे डीकंपोज़र और सैप्रोफाइट मौजूद होते हैं।
- सामाजिक और मनोरंजन – हमें मौज-मस्ती के लिए एक जगह प्रदान करता है, साथ ही साथ सुखदायक स्थान और इलाज व ध्यान के लिए बेहतर वातावरण भी प्रदान करता है।
- वन, वाहनों के उच्च शोर स्तर को अवशोषित करके ध्वनि प्रदूषण को कम करने में मदद करता है।
जलवायु महत्व
- वन मृदा अपरदन को कम करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, क्योंकि पेड़ों की जड़ें पृथ्वी की सतह परत को काफी मजबूती से जकड लेते हैं और, इस प्रकार मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
- वन एक क्षेत्र पर जलवायु के प्रबंधन में मदद करते हैं क्योंकि यह जल चक्र को बनाने में सक्रिय रूप से मदद करता है। यह तापमान नियमित करने में भी मदद करता है।
- वन, बहते पानी को नियंत्रित करते हैं, इसे बहने या बर्बाद होने की बजाय इसे अवशोषित कर लेते हैं। यह बहते हुए पानी को अवशोषित करके भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाने का भी काम करता है। बाढ़ के दौरान पानी की गति को कम करने में मदद करता है।
- कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों को अवशोषित करके वन प्राकृतिक प्यूरीफायर की भूमिका निभाते हैं। महासागरों के बाद, वन कार्बन डाइऑक्साइड गैस का दूसरा सबसे बड़ा भंडार है। इस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग प्रभाव के स्तर में कमी लाने में वन एक प्रमुख भूमिका निभाते है।
वन कटाई के लिए अग्रणी कारक
- वनों की कटाई
- कृषि भूमि के लिए वनों की बिना किसी उचित योजना के कटाई
- अत्यधिक चराई
- लकड़ी और जीवाश्म ईंधन की बढ़ती मांग
वन संरक्षण के उपाय
- सक्रिय रूप से अभियान शुरू करना और लोगों को इस परिदृश्य के बारे में जागरूक करना। जन भागीदारी को बढ़ाया जाना चाहिए।
- कुछ अन्य विकल्प चुनकर जीवाश्म ईंधन और लकड़ी पर निर्भरता को कम करना।
- पुनर्वनरोपण और वनरोपण नीतियां अपनाना।
- जंगल की आग पर नियंत्रण।
- वन उत्पादों का सतत उपयोग।
वन वह संसाधन है जो मानव के लिए काफी अधिक महत्व रखते है। यह हमें हमारी बुनियादी आवश्यकताओं वाली हर इकाई प्रदान करता है; इसलिए यह हमसे कुछ भी हासिल करने के बजाय हमें लगातार देता ही आ रहा है। हम अपनी प्रकृति के लिए हमेशा कर्ज में डूबे हैं और हमेशा रहेंगे भी। हमें अपने वन संसाधनों के संरक्षण में एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए। आज वे उपलब्ध हैं, लेकिन भविष्य में, अगर वे समाप्त हो जाते हैं, तो केवल एकमात्र पीड़ित हम ही होंगे।
प्रकृति के साथ, एक आदमी, इस प्रकृति की एक सबसे सुंदर रचना है। प्रकृति के साथ-साथ एक इंसान पूरी तरह से एक दूसरे पर आश्रित है। पेड़ हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र की सुंदरता हैं। हमें प्रत्येक जीव के अस्तित्व के लिए उनकी रक्षा करने की आवश्यकता है। उचित वन और वन उत्पाद प्रबंधन नीतियों को लागू किया जाना चाहिए, साथ ही जो लोग इसका पालन नहीं कर रहे हैं उनपर दंड और जुर्माना लगाना चाहिए।
“वन ही जीवन है”
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ADVERTISEMENTS:
वन, अरण्य, जंगल, विपिन, कानन आदि सभी शब्द प्रकृति की अनुपम देन के अर्थ, भाव और स्वरूप को प्रकट करने वाले हैं । आदिमानव का जन्म, उसकी सभ्यता संस्कृति का विकास इन वनों में पल-बढ़कर ही हुआ था । उसकी खाद्य, आवास आदि सभी समस्याओं का समाधान करने वाले तो वन थे ही, उसकी रक्षा भी वन ही किया करते थे ।
वेदों, उपनिषदों की रचना तो वनों में हुई ही, आरण्यक जैसे ज्ञान-विज्ञान के भण्डार माने जाने वाले महान ग्रन्ध भी अरण्यों यानि वनों में लिखे जाने के कारण ही ‘ आरण्यक ‘ कहलाए । यहाँ तक कि संसार का आदि महाकाव्य माना जाने वाला आदि महाकवि वाल्मीकि द्वारा रचा गया ‘ रामायण ‘ नामक महाकाव्य भी एक तपोवन में ही स्वरूपाकार पा सका ।
भारत क्या विश्व की प्रत्येक सभ्यता-संस्कृति में वनों का अत्यधिक मूल्य एवं महत्त्व रहा है । इस बात का प्रमाण प्रत्येक भाषा के प्राचीनतम साहित्य में देखा जा सकता है कि जिनमें सघन वनालिपों के साधन वर्णन बड़े सजीव ढग से और बड़ा रस ले कर किए गए हैं । उन सभी साहित्यिक रचनाओं में अनेक तरह के संरक्षित वनों की चर्चा भी मिलती है ।
पूछा जा सकता है कि आखिर वनों को संरक्षित क्यों और किसलिए घोषित किया जाता था ? इस का एक ही उत्तर है या फिर हो सकता है कि न केवल मानव-सभ्यता संस्कृति की रक्षा बल्कि अन्य प्राणियों की रक्षा के लिए तरह-तरह की वनस्पतियों, औषधियों आदि की रक्षा के लिए वन संरक्षण आवश्यक समझा गया । वन तरह-तरह की पशु-पक्षियों की प्रजातियों के लिए तो एकमात्र आश्रय स्थल थे और आज भी हैं । वहाँ कई प्रकार की वन्य एवं आदिवासी मानव जातियाँ भी निवास किया करती थी ।
इनकी रक्षा और जीविका भी आवश्यक थी, जो वनों को संरक्षित करके ही संभव एवं सुलभ हो सकती थी । आज भी वस्तु स्थिति उसमे बहुत अधिक भिन्न नहीं है । स्थितियों में समय के अनुसार कुछ परिवर्तन तो अवश्य माना जा सकता है । पर जो वस्तु जहाँ की है वह वास्तविक शोभा और जीवन शक्ति वहीं से प्राप्त कर सकती है । इस कारण वन संरक्षण की आवश्यकता आज भी पहले के समय से ही ज्यों की त्यों बनी हुई है ।
आज जिस प्रकार की नवीन परिस्थितियाँ बन गई है, जिस तेजी से नए-नए कल-कारखानों, उद्योग-धन्धों की स्थापना हो रही हैं, नए-नए रमायन, गैसें, अणु, उदजन, कोबाल्ट आदि बम्बों का निर्माण और निरन्तर पराक्षण जारी है, जैविक शस्त्रास्त्र बनाए जा रहे हैं, इन सभी ने धुएँ, गैसों और कचरे आदि के निरन्तर निसरण से मानव तो क्या सभी तरह के जीव-जन्तुओं का पर्यावरण अत्यधिक प्रदूषित हो गया है ।
केवल वन ही हैं, जो इस सारे विषैले और मारक प्रभाव से प्राणी जगत की रक्षा कर सकते हैं । उन्हीं के रहते समय पर उचित मात्रा में वर्षा होकर धरती की हरियाली बनी रह सकती है । हमारी सिंचाई और पेयजल की समस्या का समाधान भी वन संरक्षण से ही सम्भव हो सकता है । वन हैं तो नदियों भी अपने भीतर जल की अमृत धारा संजोकर प्रभावित कर रही हैं ।
जिस दिन वन नहीं रह जायेंगे, सारी धरती वीरान, बंजर और रेगिस्तान बन जाएगी । तब धरती पर वास कर रहे सभी की प्राणी प्रजातियों का अन्त हो जाएगा । वनों के कम होते जाने के कारण अभी तक प्राणियों की अनेक प्रजातियाँ, अनेक वनस्पतियाँ एव अन्य खजिन तत्व अतीत की भूली-बिसरी कहानी बन चुके हैं, यदि आज की तरह ही निहित स्वार्थों की पूर्ति, अपनी शान-शौकत दिखाने के लिए वनों का कटाव होता रहा तो धीरे- धीरे अन्य सभी का भी सुनिश्चित अन्त हो जाएगा ।
उपर्युक्त सभी तरह के तथ्यों के आलोक में ही आज के वैज्ञानिक, सभी तरह के समझदार लोग, पर्यावरण विशेषज्ञ आदि वन संरक्षण की बात जोर-शोर से कह और कर रहे हैं । सरकार ने वन्य प्रजातियों की रक्षा के लिए कुछ अभ्यारण्य बनाए ओर संरक्षित भी किए है, जहाँ शिकार खेलना तो क्या घास का तिनका तक तोड़ना भी पूर्णतया वर्जित है ।
आज पर्यावरण जिस प्रकार हमारी अपनी ही कमियों, गलतियों के कारण प्रदूषित हो रहा है, उस सबके चलते और अभ्यारण्य बनाने और वन प्रदेश सख्ती के साथ संरक्षित करने की बहुत अधिक आवश्यकता है । ऐसा करके ही मानव मात्र ही नहीं प्राणीमात्र को भविष्य संरक्षित समझा जा सकता है ।
वन संरक्षण जैसा महत्त्वपूर्ण कार्य वर्ष में वृक्षारोपण जैसे सप्ताह मना लेने से संभव नहीं हो सकता । इसके लिए वास्तव में पंचवर्षीय योजनाओं की तरह आवश्यक योजनाएँ बनाकर कार्य करने की जरूरत है । वह भी एक – दो सप्ताह या मास वर्ष भर नहीं, बल्कि वर्षों तक सजग रहकर प्रयत्न करने की आवश्यकता है ।
जिस प्रकार बच्चे को मात्र जन्म देना ही काफी नहीं हुआ करता, बल्कि उसके पालन पोषण और देख-रेख की उचित व्यवस्था करना, वह भी दो-चार वर्षों तक नहीं, बल्कि उसके बालिग होने तक आवश्यकता हुआ करती है, उसी प्रकार की व्यवस्था, सतर्कता और सावधानी वन उगाने, उनका संरक्षण करने के लिए भी किया जाना आवश्यक है ।
तभी धरती और उसके पर्यावरण की जीवन एवं हरियाली की रक्षा संभव हो सकती है । इस दिशा में और देर करना घातक सिद्ध होगा, इस बात का ध्यान रखते हुए आज से ही कार्य आरम्भ कर देना नितान्त आवश्यक है ।
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Essay on importance of forests in hindi.
Essay on Importance of Forests in Hindi. Read this essay and know more about forest in Hindi language. Good to know more about forest in Hindi for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. वनों का महत्व पर निबंध।
वन और हमारा पर्यावरण – विचार – बिंदु – • वन और पर्यावरण का संबंध • वन-प्रदूषण-निवारण में सहायक • वनों की उपयोगिता • वन-संरक्षण की आवश्यकता • वन संरक्षण के उपाय।
वन और पर्यावरण का गहरा संबंध है। प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए धरती के 33% भाग पर वनों का होना आवश्यक है। वन जीवनदायक हैं। ये वर्षा लाने में सहायक होते हैं। धरती की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते हैं। वनों की कृपा से ही भूमि का कटाव रुकता है। सूखा कम पड़ता है तथा रेगिस्तान का फैलाव रुकता है। वन और वृक्ष ध्वनि प्रदूषण भी रोकते हैं। यदि शहरों में उचित अनुपात में पेड़ लगा दिए जाएँ तो प्रदूषण की भयंकर समस्या का समाधान हो सकता है।
वन ही नदियों, झरनों और अन्य प्राकृतिक जल-स्रोतों के भंडार हैं। इसके अतिरिक्त वन हमें लकड़ी, फूल-पत्ती, खाद्य-पदार्थ, गोंद तथा अन्य सामान प्रदान करते हैं। दुर्भाग्य से आज भारतवर्ष में केवल 23% वन रह गए हैं। जैसे-जैसे उद्योगों की संख्या बढ़ती जा रही है, वाहन बढ़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे वनों की आवश्यकता और अधिक बढ़ती जाएगी। वन-संरक्षण कठिन किंतु महत्त्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए एक-एक व्यक्ति को अपना योगदान देना पड़ेगा। अपने घर में, मुहल्ले में, नगर में, ग्राम में बड़ी संख्या में पेड़ लगाने होंगे।
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वनों का महत्व पर निबंध | वनों की उपयोगिता पर निबंध | essay on importance of forest in hindi
समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com आपको निबंध की श्रृंखला में वनों का महत्व पर निबंध | वनों की उपयोगिता पर निबंध | essay on importance of forest in hindi प्रस्तुत करता है।
इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम
(1) मानव जीवन में वनों की उपयोगिता पर निबंध (2) वन संपदा और मानव जीवन पर निबंध (3) वन संपदा और पर्यावरण (4) पर्यावरण की रक्षक हमारी वन संपदा (5) हमारी वन संपदा पर निबंध (6) सामाजिक वानिकी और पर्यावरण पर निबंध (7) पर्यावरण प्रदूषण और वनों की उपयोगिता पर निबंध
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पहले जान लेते है वनों का महत्व पर निबंध | वनों की उपयोगिता पर निबंध | essay on importance of forest in hindi की रूपरेखा ।
निबंध की रूपरेखा
(1) प्रस्तावना (2) वनों की उपयोगिता / लाभ (क) ऑक्सीजन की प्राप्ति (ख) वर्षा की प्राप्ति (ग) लकड़ी की प्राप्ति (घ) अमूल्य औषधियों की प्राप्ति (3) वनों से अन्य लाभ (4) वनों से आध्यात्मिक लाभ (5) पर्यावरण के रक्षक (6) उपसंहार
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मानव को अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भौतिक साधनों की आवश्यकता पड़ती है।
भोजन की पूर्ति के लिए उसे अन्न दाल, सब्जी, फल आदि की, शरीर को ढाँपने के लिए वस्त्रों की और निवास के लिए घर की आवश्यकता होती है।
इसके अतिरिक्त अस्वस्थ होने पर औंषधियाँ भी जीवन के लिए आवश्यक हो जाती हैं। वह अपनी इन आवश्यकताओं की पूर्ति प्राकृतिक साधनों की सहायता से परिश्रम करके करता है।
प्रकृति का चक्र कुछ ऐसा है कि जिन वस्तुओं की आवश्यकता जीवन के लिए अनिवार्य है, प्रकृति उन्हें स्वयं ही उपलब्ध करा देती है। इन साधनों को, जो मानव के भौतिक पक्ष की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं, हम प्राकृतिक स्रोत कहते हैं।
वनों की उपयोगिता
वन एक प्राकृतिक स्रोत हैं जो मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
यह एक अमूल्य सम्पदा है जिसके बिना मानव जीबन खतरे में पड़ जायेगा वनों से हमें इतनी सामग्री उपलब्ध होती है कि हमारे जीवन का कोई भी भाग वनों के प्रभाव से अछूता नहीं कहा जा सकता, इसलिए भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही वनों को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है।
अब हम इस बात पर विचार करेंगे कि वनो से मनुष्य को किस-किस विशिष्ट क्षेत्र में उपलब्धियां होती हैं।
(क) ऑक्सीजन की प्राप्ति
(ख) वर्षा की प्राप्ति.
सर्वप्रथम वन किसी भी स्थान पर होने वाली वर्षा के लिए उत्तरदायी होते हैं, जितने घने रूप में किसी देश में वम होंगे, उतनी ही अधिक मात्रा में वहाँ वर्षा होगी।
भारत जैसे कृषि-प्रधान देश में तो वर्षा का अत्यधिक महत्त्व है। इस्राइल जैसे बंजर देश में भी ‘वृक्ष लगाओ अभियान के द्वारा भारी वन खडे कर लिए गये हैं,और परिणाम यह हुआ है कि अब वहाँ पर्याप्त मात्रा में अन्न एवं फलादि पैदा होने लगे हैं; अत: स्पष्ट है कि किसी देश में वर्षा की पूर्ति वहाँ के लम्बे और घने बनों पर निर्भर करती है।
(ग) लकड़ी की प्राप्ति
हमारे जीवन में लकड़ी का स्थान लोहे के बराबर है। भौतिक जीवन में लकड़ी के इतने अधिक सामान का उपयोग किया जाता है कि उसके अभाव में मानब का जीबन कठिन हो जायेगा और जीवन की अधिकांश सुख-सुविधाएँ समाप्त हो जाएँगी।
घरों में लगाने के लिए दरवाजे और बैठने व लेटने के लिए कुर्सी, मेज, पलंग आदि सामान, लकड़ी से ही बनता है और वह लकड़ों हमें वनो से उपलब्ध होती है।
यातायात में सुविधा के लिए वहुत-से पुल लकड़ी से भी बनते है। रेलगाड़ियों, पटरियों तथा नौकाओं और जलपोतों आदि में लकड़ी का बहुत अधिक प्रयोग होता है।
ईंधन तथा दैनिक उपयोग की सभी वस्तुओं में लकड़ी की भारी उपयोगिता है। कहने की आवश्यकता नहीं कि लकड़ी के सिए हमें पूर्णतया बनों पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
(घ) अमूल्य औषधियों की प्राप्ति
वनों से हमें अनेक औषधियाँ भी मिलती हैं। वृक्षों की छालं से जंगली फलों से, फूलों और जड़ी-बुटियों से बिभिन्न रोगों में काम आने वाली औषधियाँ बनती हैं।
वास्तव में वनों से प्राप्त औषधियों से अनेक दुसाध्य रोगों की चिकित्सा सम्भव है। आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगो से यह सिद्ध हो चुका है कि वनो से प्राप्त अनेक फल-फूल आदि बिना रासायनिक प्रक्रिया के ही केंसर जैसे भयंकर रोगों को नष्ट करने में सहायक होते है।
इस बिषय में आगे भी शोध जारी है, तथा नयी-नयी औषधियों की उत्पत्ति के लिए वनों की उपयोगिता और भी बढ़ती जा रही है।
वनों से अन्य-लाभ
वनों से एक ओर वर्षा होती है तो दूसरी ओर बर्षा के पानी के साथ मिट्टी का अपरदन रुकता है।
मिट्टी का कटाव अधिक होने से बाढ़ आने का भय बढ़ जाता है। इस प्रकार बन बाढ़ से सुरक्षा के लिए भी उपयोगी सिद्ध होते हैं इसीलिए भारत के उन भागों में जहाँ बाढ़ का भयंकर प्रकोप होता है, तेजी से वृक्ष लगाये जाने पर बल दिया जा रहा है।
वनों में भाभड आदि की उपज भी पर्याप्त होती है, जिसका प्रयोग कागज जैसी बहुमूल्य वस्तुएँ बनाने में होता है। इससे रारकार को भी प्रतिवर्ष भारी आय होती है। इस प्रकार बन राजकीय आय के भी अच्छे स्रोत हैं।
वनों से आध्यात्मिक-लाभ
भौतिक जीवन के अतिरिक्त मानसिक एवं आध्यात्मिक पक्ष में भी वनों का महत्व कुछ कम नहीं है।
सांसारिक जीवन से क्लान्त मनुष्य यदि बनों में कुछ समय निवास करते हैं तो उन्हें सन्तोष तथा मानसिक शान्ति प्राप्त होती है। इसीलिए हमारी प्राचीन संस्कृति में तीर्थयात्रा का विधान किया गया था ।
हमारे प्राचीन ऋषि मुनि वनों में ही निवास करते थे तथा अपना सारा समय चिन्तन-मनन में ही व्यतीत किया करते थे। इस प्रकार भारतीय जीवन में ज्ञान विज्ञान के नये आयामों की खोज वनों में ही हुई।
पर्यावरण के रक्षक
वृक्ष पर्यावरण में उपस्थित घातक कार्बन डाइऑक्साइड गैसों को अवशोषित करके इसके बदले में प्राणवायु ऑक्सीजन प्रदान करते हैं ।
इन्हीं बृक्षों की पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। वृक्ष मृदा की ऊपरी सतह के अपरदन को रोकने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करते हैं ।
इस प्रकार पर्यावरण प्रदूषण को रोकते में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती हैं।
उपसंहार
किसी भी दृष्टि से देखिए, मानव जीवन में वनों की उपयोगिता अत्यधिक है; किन्तु स्वार्थी मनुष्य इन उपयोगी बनों को काटकर अपने भविष्य को संकटमय बना रहा है।
इसलिए विश्वभर में अब वनों के संरक्षण पर बल दिया जा रहा है। एक निश्चित सीमा से अधिक बनों को काटने पर रोक लगा दी गयी है।
भारतवर्ष में वन संरक्षण के साथ-साथ ‘वृक्ष लगाओ’ अभियान भी सरकार द्वारा चलाया जा रहा है तपक जितनी संख्या में वृक्ष कटें, उतनी ही संख्या में नये वृक्ष तैयार हो जाएँ, प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह वनों की सुरक्षा पर पूर्ण ध्यान दें, जिससे राष्ट्रीय तथा आर्थिक जीवन समृद्ध हो सके।
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