जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, लेख

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

Essay on Jawaharlal Nehru in hindi-जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

देश की स्वाधीनता संग्राम से लेकर आधुनिक भारत के निर्माताओं में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रत्येक देशवासी सादर पूर्वक प्यार याद करते हैं पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम शांति के अग्रदूत और अहिंसा के संवाहक के रूप में भी विश्व के महान व्यक्तियों के साथ लिया जाता है इनका जन्म 14 नवंबर 1889 ई. में इलाहाबाद में हुआ था।इनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू पूरे भारत के सर्वश्रेष्ठ और विश्व के इने-गिने प्रतिभाशाली और सम्मानित बैरिस्टरों में से एक थे।

एक अत्यधिक संपन्न परिवार के होने के कारण पंडित जवाहरलाल नेहरु को किसी वस्तु का कोई अभाव नहीं हुआ उनकी माता श्रीमती स्वरूपा रानी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी इनके पिताजी की असाधारण बुद्धि प्रतिभा और तेज का एवं माता की धार्मिक प्रवृत्ति का पंडित जवाहरलाल नेहरू पर गहरा असर पड़ा

पंडित जवाहर लाल नेहरू की आरंभिक शिक्षा अत्यधिक संपन्न व्यवस्था में घर पर ही हुई पढ़ाने के लिए एक अंग्रेज शिक्षक की व्यवस्था की गई थी उन्होंने बालक के मन में विज्ञान के प्रति अभिरुचि उत्पन्न कर दी आरंभिक शिक्षा समाप्त करके यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सन 1905 में इंग्लैंड गए।उस समय इनकी आयु लगभग 15 वर्ष की थी।इंग्लैंड में रहकर इन्होंने विज्ञान और कानून की उच्च शिक्षा प्राप्त की ।वहां रहते हुए और दूसरे विषयों से संबंधित गर्न्थो का विस्तार पूर्वक अध्ययन किया। इसके साथ ही साथ ये दूसरे देशों में चल रहे स्वाधीनता आंदोलन से भी परिचित होते रहे।इससे ये अ अपने देश की परतंत्रता और अंग्रेजी सत्ता की राजनीति भी बड़ी बारीकी से समझ गए।

इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से इन्होंने बी .ए की परीक्षा उत्तीर्ण की ।इसके बाद उन्होंने बैरिस्टर की भी परीक्षा उत्तीण कर ली।तत्पश्चात सन 1912 ईस्वी .में स्वदेश लौट आए। स्वदेश आकर जवाहरलाल नेहरू ने सन 1912 ईस्वी में ही इलाहाबाद में वकालत करने लगे। उसी वर्ष यह कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में सम्मिलित हुए। सन् 1916 में जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटे, तब उनसे इन्होंने भेंट की। महात्मा गांधी के राजनीतिक प्रभाव को सुन चुके थे। लेकिन उन्हें निकट से नहीं पहचान सके। गांधीजी को देखते ही उन्होंने उनकी शांत प्रकृति और अहिंसक व्यवहार के पीछे जो महान शक्ति छिपी हुई थी, उसे पहचानने में तनिक भी देर नहीं की। इस प्रकार उनके प्रभाव में आकर इन्होने उनके अनन्य अनुयाई और सहयोगी बन गए। सन 1916 ई.में ही इनका विवाह पंडित कमला नेहरू से हो गया।

सन 1914 ई. से सन 1918 ई. तक प्रथम विश्व युद्ध विश्व काल रहा। युद्ध की समाप्ति पर बिट्रिश सत्ता ने अपनी दमन नीति के अंतर्गत “रॉलेट एक्ट”पास करके भारतीयों की स्वतंत्रता प्राप्त करने की भावना को कुचल दिया। इसके विरोध में गांधी जी ने आंदोलन चलाया। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस आंदोलन में अपनी अच्छी भूमिका निभाई।

सन 1919 ई. में अंग्रेजी सत्ता में भारतीयों की स्वतंत्रता प्राप्त करने की भावनाओं को कुचलने के लिए अपनी दमनकारी कदमों को तेजी से बढ़ाया। इसके लिए उन्होंने पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में निहत्थो पर जनरल डायर से गोली चलवा दी।अनेक निर्दोष मौत के घाट उतार दिए गए।इस हत्याकांड से क्षुब्ध होकर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन छेड़ दिया। तब पंडित जवाहर लाल नेहरु ने अपनी वकालत को तुरंत ही तिलांजली दे दी।फिर अपने तन- मन बुद्धि – प्रतिभा और धन से स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में लग गए।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश को स्वतंत्र करने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देने का दृढ़ संकल्प कर लिया ।इन्होंने अपनी आलीशान जिंदगी को स्वतंत्रता – संग्राम में संघर्षरत होकर झोंकने में किसी प्रकार की आनाकानी नहीं कि। सन 1921 ई. में “प्रिंस ऑफ वेल्स” के भारत आने पर उन्होंने उनका बहिष्कार किया। इसके लिए इनको गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया ।फिर भी जवाहरलाल नेहरू ने अपना दृढ़-व्रत को नहीं तोड़ा। स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष का प्रबल नायक होने के कारण इन्होंने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जवाहरलाल नेहरू ने राजनीतिक गुरु महात्मा गांधी की तरह खादी के कुर्ते और धोती पहनकर शहरों में ही नहीं अपितु गांव में भी स्वतंत्रता का बिगुल फूंकते रहे।

पंडित मोतीलाल भी महात्मा गांधी की असाधारण देशभक्ति से प्रभावित हुए बिना ना रह सके वह अपने सुपुत्र पंडित जवाहरलाल नेहरु की तरह स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में कूद पड़े। उन्होंने भी बेरिस्टरी करनी छोड़ दी ।फिर महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में देश के आजादी के लिए अपनी विदेशी वस्तुओं का परित्याग कर दिया।

देश की आजादी के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने महात्मा गांधी के द्वारा दिए गए दिशा बोध के अनुसार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई 31 दिसंबर सन 1930 ईस्वी में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने कांग्रेस अध्यक्ष के भाषण में पंजाब की रावी नदी के तट पर स्पष्ट रूप से घोषणा कि “हम पूर्ण रूप से स्वाधीन होकर ही रहेंगे “उनकी इस घोषणा से पूरे देश में स्वाधीनता का प्रबल स्वर गूंज उठा। उससे स्वाधिनता-संग्राम का संघर्ष और तेज होकर प्रभवशाली बन गया ।इसके बाद नमक सत्याग्रह में भी इन्होंने अपना पूरा योगदान दिया।

सन 1942 ईस्वी में महात्मा गांधी ने “भारत छोड़ो का आव्हान किया ।पूरा देश इससे प्रभावित हो गया ।इस आंदोलन में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई बार-बार अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के कारण वे अंग्रेजों की आंख की किरकिरी बन गए। इसलिए वह मौका पाते ही उन्हें जेल में बंद कर दिया करते थे। यही नहीं उन्हें कड़ी से कड़ी यातनाएं भी दी जाती थी इससे भी वे आजादी के संघर्ष से तनिक भी विचलित नहीं हुए। अपितु दिनों दिन और दिलेरी और लौह पुरुष बनते गए। फूल की तरह रहने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू काँटो रूपी यातनाओं में किस तरह मुस्कुराते रहें।यह आज भी लोग समझ नहीं पाते हैं।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में हमारा देश पूर्ण रूप से आजाद हो गया ।पंडित जवाहरलाल नेहरु के असीम त्याग तप को देखकर उन्हें देश का पहले प्रधानमंत्री के रूप में मनोनीत किया गया। इनके नेतृत्व में पूरे देश ने अभूतपूर्व उन्नति की। 23 मई सन 1964 ईस्वी को वे हमें इस संसार से छोड़कर चले गए ।लेकिन उनका शांति संदेश इस धरती से भी कभी नहीं जा सकेगा।

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पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

इस लेख में पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध (Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi) लिखा गया है।

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री होने के कारण पंडित नेहरू के विषय में छोटी बड़ी लगभग सभी परीक्षाओं में निबंध पूछा जाता है। यह निबंध बहुत ही सरल शब्दों में लिखा गया है आशा है आपको यह निबंध जानकारी से भरपूर लगेगी।

Table of Contents

प्रस्तावना (पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi)

आज के समय में भारत पूरी दुनिया में एक अलग स्थान रखता है। भारत को इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए न जाने कितने लोगों ने अपना जीवन देश के लिए बलिदान कर दिया है। 

जब भारत ब्रिटेन का गुलाम था तब महान राजनेताओं और क्रांतिकारियों ने मिलकर भारत को एक स्वतंत्र देश बनाया। पंडित जवाहरलाल नेहरू जो स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे उन्होंने देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

जवाहरलाल नेहरू का जन्म कश्मीरी पंडित के एक समृद्ध परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू तथा माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था।

पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता पेशे से ब्रिटिश गवर्नमेंट में एक नामी वकील थे। इसीलिए मोतीलाल नेहरू चाहते थे कि उनका पुत्र भी एक प्रसिद्ध बैरिस्टर बने।

जवाहरलाल नेहरू की शिक्षा विदेशों के सबसे जाने-माने शिक्षा संस्थानों पर संपन्न हुई। पंडित नेहरू उस समय विदेश जाकर अपनी पढ़ाई कर रहे थे जिस समय  ब्रिटिश  सरकार भारत को एक गरीब और पिछड़ा देश समझती थी।

अपनी पढ़ाई पूरी कर भारत लौटने के बाद नेहरू गांधी जी की विचारधारा से बहुत आकर्षित हुए। कुछ समय बाद गांधी जी के संपर्क में आकर उन्होंने कई सारे आंदोलनों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

प्रारंभिक जीवन Early Life of Jawaharlal Nehru in Hindi

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 ब्रिटिश भारत के इलाहाबाद जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक बहुत प्रख्यात बैरिस्टर थे। पंडित नेहरू की माता का नाम स्वरूप रानी था जो लाहौर के प्रख्यात कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थी।

मोतीलाल नेहरू के कुल तीन बच्चे थे जिनमें जवाहरलाल नेहरू इकलौते पुत्र थे और 2 बेटियां थी जिनमें  जवाहरलाल नेहरू सबसे बड़े थे।

जवाहरलाल नेहरू के पिता वकील थे इसलिए वे अपने पुत्र को भी उसी दिशा में आगे बढ़ाना चाहते थे। अपने पिता के जैसे ही जवाहरलाल नेहरू भी उस समय देश के लिए कुछ करने की इच्छा रखते थे।

नेहरू बचपन से ही पढ़ने में रुचि रखते थे। अपने पिता के जैसे ही वह भी बड़े होकर एक प्रख्यात वकील बनना चाहते थे उन्होंने अपनी पढ़ाई विदेशों से की।

शिक्षा Education of Jawaharlal Nehru in Hindi

जवाहरलाल नेहरू का परिवार आर्थिक रूप से बहुत ही संपन्न था, जिससे पंडित नेहरू को दुनिया के कुछ सबसे बेहतरीन विश्वविद्यालयों से पढ़ने का मौका मिला।

उन्होंने अपनी  प्रारंभिक शिक्षा हैरो स्कूल से पूरी करने के बाद ट्रिनिटी कॉलेज कैंब्रिज जोकि लंदन के सबसे प्रख्यात विश्वविद्यालय में से एक है वहां अपनी पढ़ाई की।

कॉलेज की शिक्षा खत्म करने के बाद उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से कानून की शिक्षा ग्रहण की। जवाहरलाल नेहरू अंग्रेजी के बहुत अच्छे ज्ञाता थे। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं वापस अपने वतन भारत लौट गए।

राजनीतिक करियर Political Career of Jawaharlal Nehru in Hindi

1912 में जवाहरलाल नेहरू कानून की पढ़ाई पूरी करके भारत आ गए और वकालत का कार्य आरंभ कर दिया।

भारत लौटने के बाद पंडित नेहरू महात्मा गांधी के विचारों से बहुत प्रभावित हुए। देश की आजादी में अपना योगदान देने के लिए बाल तिलक द्वारा स्थापित होम रूल लीग में 1917 जुड़े।

कुछ समय बाद 1919 में पंडित नेहरू की मुलाकात गांधी जी से हुई जिस समय रोलेट अधिनियम के विरोध में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आंदोलन चलाया जा रहा था। जवाहरलाल नेहरू ने इस आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और अपना योगदान दिया।

ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आंदोलन में  पंडित नेहरू की अहम भूमिका रही है। इसके बाद पूरे देश में जवाहरलाल नेहरू को जाना जाने लगा।

गांधी जी के उपदेशों से प्रभावित होकर जवाहरलाल नेहरू ने अपने पूरे परिवार के साथ ब्रिटिश सरकार के विरोध में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा स्वदेशी अपनाने पर अधिक बल दिया तथा पश्चिमी देशों में बने वस्त्र त्याग कर खादी से बने कपड़े और टोपी धारण करने लगे।

अब तक के सभी आंदोलन में पंडित नेहरू प्रत्यक्ष रूप से आगे नहीं आए थे किंतु 1920 से 1922 तक चले असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिए और ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध खूब विरोध किया जिसके लिए उन्हें  जेल भी जाना पड़ा था।

 जवाहरलाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद में नगर निगम के प्रमुख चुने गए जहां उन्होंने 2 वर्ष तक काम किया और 1926 में त्यागपत्र दे दिया।

जवाहरलाल नेहरू की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि 1929 में लाहौर में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष चुन लिए गए।

गांधी जी के नेतृत्व में पंडित नेहरू ने 1930 में ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर लगाए अन्याय पूर्ण कानून के खिलाफ दांडी मार्च में हिस्सा लिया। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन  के बाद 1947 में कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री के पद के लिए चुनाव लड़े।

स्वतंत्र भारत में पहली बार हुए चुनाव में सरदार वल्लभ भाई पटेल को बहुमत मिला था किंतु गांधी जी के कहने पर पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए।

जवाहरलाल नेहरू के कार्य Works of Jawaharlal Nehru in Hindi

भारत को जब ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता मिली तो वह कुल 565 देसी रियासतों में बटा हुआ था। अपने कुशल बुद्धि तथा रणनीति से जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और वीपी मेनन के भागीदारी में सभी 565 देसी रियासतों को भारत में विलय कर लिया गया।

भारत के आजाद होने के बाद चीन हमेशा से भारत के सीमा पर अपना अधिकार होने का दावा करता है। चीन ने जब तिब्बत पर कब्जा किया था तो वहां के धर्मगुरु दलाई लामा को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से प्रार्थना करने पर भारत में शरण दी थी।

दलाई लामा को भारत में शरण देने के कारण चीन भारत के सीमा पर भी अपना दावा करने लगा। 1962 में धोखे से चाइना ने अचानक से भारत पर हमला कर दिया और भारत के उत्तर पश्चिम मैं स्थित सीमा से लगने वाले कुछ भाग पर अपना कब्जा कर लिया।

 जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में भारत के इस प्रकार हादसे पूरा देश गुस्से में था और कांग्रेस पार्टी की बहुत अधिक आलोचना हो रही थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू को  भारत का यह जगह होने पर बहुत दुख था। 

निजी जीवन Personal Life of Jawaharlal Nehru in Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरू एक अच्छे राजनीतिज्ञ की तरह बहुत अच्छे लेखक भी थे। पंडित नेहरू जब भारत आए थे तब 7 फरवरी 1916 में उनका विवाह कमला नेहरू से हुआ था।

कमला नेहरू दिल्ली के एक प्रमुख व्यापारी पंडित ‘जवाहरलालमल’ और राजपति कॉल की पुत्री थी। विवाह के कुछ समय बाद उनकी एक प्यारी सी पुत्री हुई  जिसका नाम इंदिरा रखा गया। इंदिरा गांधी आगे चलकर भारत की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनी।

जवाहरलाल नेहरू को बच्चे बहुत प्रिय लगते थे। उनका मानना था कि यह बच्चे ही आगे चलकर देश का भविष्य निर्धारित करेंगे। इसलिए पंडित नेहरू के जन्म तिथि 14 नवंबर को पूरे भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू पर 10 लाइन Best 10 Lines on Jawaharlal Nehru in Hindi

  • चाचा नेहरू जो स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे उन्होंने देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया
  • पंडित नेहरू का जन्म कश्मीरी पंडित के एक समृद्ध परिवार में हुआ था। 
  • उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू तथा माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था।
  • अपनी पढ़ाई पूरी कर भारत लौटने के बाद नेहरू गांधी जी की विचारधारा से बहुत आकर्षित हुए।
  • पंडित नेहरू के जन्म तिथि 14 नवंबर को पूरे भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 ब्रिटिश भारत के इलाहाबाद जिले में हुआ था।
  • मोतीलाल नेहरू के कुल तीन बच्चे थे जिनमें जवाहरलाल नेहरू इकलौते पुत्र थे।
  • कॉलेज की शिक्षा खत्म करने के बाद उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से कानून की शिक्षा ग्रहण की
  • 1919 में पंडित नेहरू की मुलाकात गांधी जी से हुई जिस समय रोलेट अधिनियम के  विरोध में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आंदोलन चलाया जा रहा था।
  • तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से प्रार्थना करने पर भारत में शरण दी थी।

मृत्यु Death

जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु के सम्बन्ध में बहुत लोगों के अलग अलग तर्क हैं लेकिन जो बात भारतीय कांग्रेस पार्टी द्वारा कही जाती है वह यह है की जवाहर लाल चीन द्वारा मिले धोखे के बाद विरोधियों के निशाने पर आ चुके थे।

उसके बाद वे काफी बीमार रहने लगे थे और एक बार 26 मई 1964 की अगली सुबह नेहरु की पीठ में लगातार दर्द होना शुरू हो गया और उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

जब तक उन्हें डॉक्टर देख पाते तब तक उनके प्राण निकल चुके थे 27 मई 1964 की दोपहर को लोकसभा ने यह ऐलान किया की नेहरु अब नहीं रहे। 

मृत्य के कारण में हार्ट अटैक बताया गया लेकिन कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है की नेहरु की मौत की असली रिपोर्ट को छुपाया गया। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने जवाहरलाल नेहरु पर निबंध हिंदी में (Jawaharlal Nehru Essay in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपके लिए मददगार साबित हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें। 

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Essay on Jawaharlal Nehru: स्टूडेंट्स के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

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  • Updated on  
  • मई 17, 2024

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi

जवाहरलाल नेहरू वह नाम है जिससे हर भारतीय परिचित है। जवाहरलाल बच्चों के बीच काफी मशहूर थे. जिसके कारण बच्चे उन्हें ‘चाचा नेहरू’ कहकर बुलाते थे। चूँकि वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे इसलिए सरकार ने उनके जन्मदिन को ‘ बाल दिवस ‘ के रूप में मनाया। जवाहरलाल नेहरू एक महान नेता थे। वे भारत के पहले प्रधानमंत्री होने के साथ साथ अब तक के सबसे लोकप्रिय भारतीय प्रधानमंत्री भी हैं। शिक्षा से उन्हें बेहद लगाव था। उन्होंने भारत में आईआटी, एम्स और एनआईटी जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों की नींव रखी। अक्सर स्कूल की परीक्षाओं और असाइनमेंट्स में Jawaharlal Nehru Essay in Hindi पूछ लिया जाता है। इस ब्लॉग में 200 शब्दों से लेकर 500 शब्दों में Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi (पंडित जवाहरलाल नेहरू निबंध) विस्तार से।

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जवाहर लाल नेहरू एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पहले प्रधान मंत्री थे। आजादी से पहले और आजादी के बाद भी उन्हें भारतीय राजनीति में एक केंद्रीय योद्धा माना जाता था। उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था और उन्होंने 1947 से 1964 में अपनी मृत्यु तक देश की सेवा की। जवाहर लाल नेहरू का जन्मस्थान प्रयागराज है जो इलाहाबाद में है। कश्मीरी पंडित समुदाय से जुड़ाव के कारण उन्हें पंडित नेहरू के नाम से भी जाना जाता था, जबकि भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के नाम से बुलाते थे। जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन को व्यापक रूप से बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू है जिन्होंने 1919 और 1928 में भारतीय प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। उनकी माँ का नाम स्वरूप रानी थुस्सू है और वह मोतीलाल की दूसरी पत्नी थीं। जवाहर लाल नेहरू की 2 बहनें थीं और वह सभी में सबसे बड़े थे। विजय लक्ष्मी सबसे बड़ी बहन थीं जो बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनीं। और सबसे छोटी बहन कृष्णा हथीसिंग एक प्रसिद्ध लेखिका थीं और उन्होंने अपने भाई पर कई किताबें लिखीं। जवाहर लाल नेहरू का विवाह कमला नेहरू से हुआ था जिनका जन्म 1899 में हुआ था।

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi, 100 शब्दों में कुछ इस प्रकार है – 

जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। वे एक अद्भुत राजनेता, प्रखर वक्ता और राष्ट्रवादी थे। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारत को 1947 में आजादी दिलाई। वे एक दृढ़ नेता थे जो समाजवादी और गांधीवादी विचारधारा पर अडिग थे। नेहरू ने शिक्षा, विज्ञान, और तकनीकी विकास के क्षेत्र में भी बहुत प्रोत्साहन किया। उनके प्रेरणादायी भाषण और लेखन का महत्व आज भी देश के लोगों के दिलों में बसा है। उनके नेतृत्व में भारत को एक आधुनिक और विश्वस्तरीय राष्ट्र के रूप में पहचान मिली।

200 शब्दों में पंडित जवाहरलाल नेहरू निबंध कुछ इस प्रकार है – 

जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता थे और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। नेहरू ने अपने जीवनभर समाजसेवा करने के लिए समर्पित किया। उन्होंने महात्मा गांधी के संगठन में भी एक प्रमुख योगदान दिया और स्वदेशी आंदोलन में भी अग्रणी भूमिका निभाई।

नेहरू के नेतृत्व में ही भारत ने 1947 में आजादी प्राप्त की। उन्होंने देश के संविधान के निर्माण में भी अहम योगदान दिया। उन्हें बच्चों के प्रिय चाचा नेहरू के रूप में भी जाना जाता है। वे शिक्षा, विज्ञान और तकनीकी विकास के पक्षधर थे और भारत को इन क्षेत्रों में प्रोत्साहित किया। उनके प्रेरणादायी भाषण और लेखन आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। उनके नेतृत्व में भारत को आधुनिक और विश्वस्तरीय राष्ट्र के रूप में मान्यता मिली। उनकी मृत्यु 27 मई, 1964 को हुई, लेकिन उनकी स्मृति हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी।

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi (500 शब्दों में) 

पंडित जवाहरलाल नेहरू निबंध 500 शब्दों में नीचे प्रस्तुत है :

जवाहरलाल नेहरू भारतीय इतिहास के महान नेता थे, जिनका योगदान देश की स्वतंत्रता संग्राम में अविस्मरणीय रहा। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे पंडित मोतीलाल नेहरू के बेटे थे। नेहरू का पूरा नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू था, लेकिन उन्हें बच्चों के प्रिय चाचा नेहरू के रूप में भी जाना जाता है।

नेहरू ने अपने जीवन में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और देश के विकास और प्रगति के लिए प्रयास किए। उनका बचपन इलाहाबाद में बहुत खुशनुमा रहा, जहां उन्हें शिक्षा और संस्कृति के प्रति गहरा रुचि हुई। उनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू एक विद्वान् थे और उनके प्रभाव में नेहरू ने भी विशेषज्ञता प्राप्त की। उन्होंने इंग्लैंड में पढ़ाई की और वहां से वापस आकर वकालत का प्रशिक्षण लिया।

नेहरू को गांधीजी से मिलने का मौका 1916 में मिला, और उन्होंने गांधीजी के विचारों में रुचि देखकर उनके संग जुड़ गए। गांधीजी के अनुयायी बनने के बाद, नेहरू ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना संपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ नागरिक अविष्कार की योजना बनाई।

1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद, नेहरू को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया। उनके प्रधानमंत्री पद कार्यकाल में भारत को एक आधुनिक और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। उन्होंने देश को सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए योजनाएं बनाई और शिक्षा, विज्ञान, और तकनीकी विकास को प्रोत्साहित किया। उन्हें शांति के पक्षधर के रूप में भी जाना जाता है और उन्होंने बहुसंख्यक देशों के साथ दोस्ताना संबंध स्थापित किए।

नेहरू के नेतृत्व में भारत ने विश्व में अपनी पहचान बनाई और उच्च स्थान पर खड़ा हुआ। उनकी शिक्षा और विचारधारा के प्रति उनके प्यार और समर्पण से नेहरू की लोकप्रियता और चारित्रिकता ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया। उनके नेतृत्व में भारत ने नॉन-आलाइड आंदोलन का आधार स्थापित किया और उच्चस्तरीय शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक विकास में प्रगति की।

नेहरू के शासनकाल में, भारतीय विज्ञानिकों और शिक्षकों ने विज्ञान, और तकनीकी क्षेत्र में अनेक उपलब्धियों को हासिल किया। भारत ने पहली बार अटॉमिक ऊर्जा परीक्षण की योजना बनाई और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय ओपन यूनिवर्सिटी की स्थापना नेहरू के प्रधानमंत्री कार्यकाल में हुई।

नेहरू का देशवासियों के साथ संबंध बहुत गहरा था और वे बच्चों के प्यारे चाचा बने रहे। उनकी मृत्यु विश्वास्य और अपूर्व दुःख का कारण बनी। उनका निधन 27 मई, 1964 को हुआ, लेकिन उनकी स्मृति हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी।

जवाहरलाल नेहरू एक महान व्यक्तित्व थे जिनका योगदान भारतीय इतिहास में गौरवपूर्ण है। उनकी नेतृत्व और सेवा-भावना का उदाहरण आज भी लोगों को प्रेरित करता है। वे एक सच्चे राष्ट्रनिर्माता थे जिन्होंने देश के समृद्धि और समृद्धि के लिए प्रयास किए। उनके साथी रहने का अनुभव भारत के लोगों के लिए अद्भुत और यादगार रहा है। नेहरू एक ऐसे लीडर थे जिनका संघर्ष, समर्पण, और समर्थन भारत को स्वतंत्रता की ऊँचाइयों तक ले गया। उनकी स्मृति को सदैव नमन करते हुए हम उन्हें एक महान योद्धा और देशभक्त के रूप में याद करते हैं।

पंडित जवाहरलाल नेहरू के बारे में 10 लाइन

  • जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
  • उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को हुआ था।
  • नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • उन्होंने गांधीजी के संगठन में भी एक प्रमुख योगदान दिया।
  • नेहरू ने भारत के संविधान के निर्माण में भी अहम योगदान दिया।
  • वे शिक्षा, विज्ञान और तकनीकी विकास के पक्षधर थे।
  • नेहरू को बच्चों के प्यारे चाचा के रूप में जाना जाता था।
  • उनकी मृत्यु 27 मई, 1964 को हुई।
  • नेहरू के नेतृत्व में भारत ने आधुनिक राष्ट्र की पहचान बनाई।
  • उनके प्रेरणादायी भाषण और लेखन आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।

जवाहरलाल नेहरू द्वारा कहे गए कुछ अनमोल वचन Jawaharlal Nehru Quotes in Hindi यहाँ प्रस्तुत हैं। 

जीवन ताश के पत्तों के खेल की तरह है। आपके हाथ में जो है वह नियति है, जिस तरह से आप खेलते हैं वह स्वतंत्र इच्छा है।
हम वास्तविकता में क्या हैं यह अधिक मायने रखता है इस बात से कि लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं।
आप तस्वीर के चेहरे दीवार की तरफ मोड़ के इतिहास का रुख नहीं बदल सकते।
बिना शांति के, सभी सपने टूट जाते हैं और राख में मिल जाते हैं।
जो व्यक्ति अधिकतर अपने ही गुणों का बखान करता रहता है वो अक्सर सबसे कम गुणी होता है।
सत्य हमेशा सत्य ही रहता हैं चाहे आप पसंद करें या ना करें।
जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अच्छी सहायक हैं।
शायद जीवन में डर से बुरा और खतरनाक कुछ भी नहीं है।
 जब तक आपके पास संयम और धैर्य नहीं है, तब तक आपके सपने राख में मिलते रहेंगे।

जवाहरलाल नेहरू से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य नीचे बताए जा रहे हैं। 

  • उनके दादा का नाम गंगाधर पंडित था। वह दिल्ली के अंतिम कोतवाल थे। उन्हें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से कुछ दिन पहले नियुक्त किया गया था। जब ब्रिटिश सेना ने दिल्ली पर कब्ज़ा करना शुरू किया, तो वह अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ आगरा चले गए, जहाँ चार साल बाद 1861 में उनकी मृत्यु हो गई।
  • जवाहरलाल नेहरू ने कैम्ब्रिज के हैरो और ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़ाई की। उन्होंने इनर टेम्पल से कानून में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। वहां उन्हें प्यार से जो नेहरू कहा जाता था।
  • जब वे जनवरी 1934 से फरवरी 1935 तक जेल में थे, तब उन्होंने ‘टुवर्ड फ्रीडम’ शीर्षक से अपनी आत्मकथा लिखी। यह 1936 में अमेरिका में प्रकाशित हुआ था।
  • उन्होंने पश्चिम के विरोध में पश्चिमी कपड़े पहनना बंद कर दिया। इसके बजाय उन्होंने जो जैकेट पहनी थी, उसे नेहरू जैकेट के नाम से जाना जाने लगा। वह बच्चों के साथ गुलाब की कली से प्रतिस्पर्धा करते थे और अपनी जैकेट में गुलाब रखते थे।
  • उन्हें 1950 से 1955 तक कई बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था। उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा कुल 11 बार नामांकित किया गया था।
  • वे असाधारण विद्वान थे। लेकिन, उनके नाम के साथ पंडित इसलिए नहीं जुड़ा क्योंकि वो असल में कोई विद्वान थे, बल्कि उनका संबंध कश्मीरी पंडित से था।
  • उन्होंने भारत और विश्व पर दो पुस्तकें डिस्कवरी ऑफ इंडिया और ग्लिम्पसेस ऑफ द वर्ल्ड लिखीं। दोनों पुस्तकें भारत के साथ-साथ दुनिया के बारे में उनके विशाल ज्ञान को उजागर करती हैं। विश्व इतिहास की झलक वास्तव में 146 पत्रों का संग्रह है जो उन्होंने अपनी इकलौती बेटी इंदिरा गांधी को लिखे थे।
  • 26 साल की उम्र में नेहरू की शादी कमला कौल नाम की 16 साल की कश्मीर ब्राह्मण लड़की से हुई थी। उनके पिता पुरानी दिल्ली के एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे। उनकी शादी 7 फरवरी, 1916 को हुई थी। तपेदिक के कारण 28 फरवरी, 1936 को स्विट्जरलैंड में उनकी मृत्यु हो गई।
  • पंडित नेहरू की चार बार हत्या की कोशिश की गई. पहली बार 1947 में विभाजन के दौरान, दूसरी बार 1955 में एक रिक्शा चालक द्वारा, तीसरी बार 1956 में और चौथी बार 1961 में मुंबई में। 27 मई, 1964 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।
  • उन्हें अपने साथ सुरक्षा गार्ड ले जाना पसंद नहीं था क्योंकि इससे यातायात में बाधा उत्पन्न होती थी।

उनकी पत्नी का नाम कमला नेहरू था। 

1967 नेहरू भारत के प्रधानमंत्री बने थे।

27 मई 1964 के दिन नेहरू जी की मृत्यु हुई। 

जवाहर लाल नेहरू जब भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने तब वे लगभग 58 वर्ष के थे और 17 साल तक उस पद पर रहे। इनका जन्म इलाहाबाद में 14 नवंबर 1889 को हुआ।

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विशाखा सिंह

A voracious reader with degrees in literature and journalism. Always learning something new and adopting the personalities of the protagonist of the recently watched movies.

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