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कृषि पर निबंध (Agriculture Essay in Hindi)

हमारा देश कृषि प्रधान देश है, और कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की नींव है। हमारे देश में कृषि केवल खेती करना नहीं हैं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है। कृषि पर पूरा देश आश्रित होता है। लोगों की भूख तो कृषि के माध्यम से ही मिटती है। यह हमारे देश की शासन-व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। कृषि से ही मानव सभ्यता का आरंभ हुआ। अक्सर विद्यालयों में कृषि पर निबंध आदि लिखने को दिया जाता है। इस संबंध में कृषि पर आधारित कुछ छोटे-बड़े निबंध दिए जा रहे हैं।

कृषि पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Agriculture in Hindi, Krishi par Nibandh Hindi mein)

कृषि पर निबंध – 1 (300 शब्द).

खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य पदार्थों का उत्पादन करना, कृषि कहलाता है। कृषि में फसल उत्पादन, फल और सब्जी की खेती के साथ-साथ फूलों की खेती, पशुधन उत्पादन, मत्स्य पालन, कृषि-वानिकी और वानिकी शामिल हैं। ये सभी उत्पादक गतिविधियाँ हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार

भारत में, कृषि आय राष्ट्रीय आय का 1987-88 में 30.3 प्रतिशत था जोकि पचहत्तर प्रतिशत से अधिक लोगों को रोजगार देती थी। 2023 तक यह आंकड़ा 50% तक पहुंच गयाहै। मुख्य आर्थिक गतिविधि होने के बावजूद विकसित राष्ट्रों की तुलना में कृषि में शामिल उत्पादन के कारकों की उत्पादकता बहुत कम है। हमारे जीवन की मूलभूत आवश्यकता भोजन का निर्माण, कृषि के द्वारा ही संभव होता है। कृषि में फसल उगाने या पशुओं को पालने की प्रथा का वर्णन है। किसान के रूप में काम करने वाला कोई भी व्यक्ति कृषि उद्योग से सम्बंधित कहलाता है।

कृषि के क्षेत्र में नवीन प्रयोग

पिछले कुछ वर्षों में विज्ञान और टेक्नोलॉजी के कारण कृषि क्षेत्रो में नविन उपकरणों का इस्तेमाल होने लगा है, परन्तु हमें धरती की उर्वरा शक्ति पर भी ध्यान देना चाहिए।

अर्थशास्त्री, जैसे टी.डब्ल्यू. शुल्ट, जॉन डब्ल्यू. मेलोर, वाल्टर ए.लुईस और अन्य अर्थशास्त्रियों ने यह साबित किया है कि कृषि और कृषक आर्थिक विकास के अग्र-दूत है जो इसके विकास में अत्यधिक योगदान देते है। कृषि के क्षेत्र में विकास के लिए वर्तमान सरकार ने कई नए योजनाओ जैसे की सोलर पम्प, फूलो और फलों में अनुदान, पशु पालन में अनुदान जैसी कई योजनाएं लागु की है लेकिन ये भ्रस्टाचार के चलते शत प्रतिशत धरातल पर उतर नहीं पाती है और असल आवश्यक व्यक्ति इससे वंचित रह जाता है। इस सम्बन्ध में सरकार को नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है।

निबंध – 2 (400 शब्द)

लिस्टर ब्राउन ने अपनी पुस्तक “सीड्स ऑफ चेंजेस” एक “हरित क्रांति का एक अध्ययन,” में कहा है कि “विकासशील देशों में कृषि क्षेत्र के उत्पादन में वृद्धि के साथ व्यापार की समस्या सामने आएगी।”

इसलिए, कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और विपणन के लिए उत्पादन, रोजगार बढ़ाने और खेतों और ग्रामीण आबादी के लिए आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण विकास होता है।

भारतीय कृषि की विशेषताएं :

(i) आजीविका का स्रोत – हमारे देश में कृषि मुख्य व्यवसाय है। यह कुल आबादी के लगभग 61% व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करती है। यह राष्ट्रीय आय में करीबन 25% का योगदान देती है।

( ii) मानसून पर निर्भरता – हमारी भारतीय कृषि मुख्यतः मानसून पर निर्भर करती है। अगर मानसून अच्छा आया तो कृषि अच्छी होती है अन्यथा नहीं।

( iii) श्रम गहन खेती – जनसंख्या में वृद्धि के कारण भूमि पर दबाव बढ़ गया है। भूमि जोत के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं और उपविभाजित हो जाते हैं। ऐसे खेतों पर मशीनरी और उपकरण का उपयोग नहीं किया जा सकता है।

( iv) बेरोजगारी – पर्याप्त सिंचाई साधनों के अभाव में और अपर्याप्त वर्षा के कारण किसान वर्ष के कुछ महीने ही कृषि-कार्यों में संलग्न रहते हैं। जिस कारण बाकी समय तो खाली ही रहते है। इसे छिपी बेरोजगारी भी कहते है।

( v) जोत का छोटा आकार – बड़े पैमाने पर उप-विभाजन और जोत के विखंडन के कारण, भूमि के जोत का आकार काफी छोटा हो जाता है। छोटे जोत आकार के कारण उच्च स्तर की खेती करना मुमकिन नहीं होता है।

( vi) उत्पादन के पारंपरिक तरीके – हमारे देश में पारंपरिक खेती का चलन है। केवल खेती ही नहीं अपितु इसमें प्रयुक्त होने वाले उपकरण भी पुरातन एवं पारंपरिक हैं, जिससे उन्नत खेती नहीं हो पाती।

( vii) कम कृषि उत्पादन – भारत में कृषि उत्पादन कम है। भारत में गेहूं प्रति हेक्टेयर लगभग 27 क्विंटल का उत्पादन होता है, फ्रांस में 71.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और ब्रिटेन में 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन होता है। एक कृषि मजदूर की औसत वार्षिक उत्पादकता भारत में 162 डॉलर, नॉर्वे में 973 डॉलर और यूएसए में 2408 डॉलर आंकी गयी है।

( viii) खाद्य फसलों का प्रभुत्व – खेती किए गए क्षेत्र का करीब 75% गेहूं, चावल और बाजरा जैसे खाद्य फसलों के अधीन है, जबकि लगभग 25% खेती क्षेत्र वाणिज्यिक फसलों के तहत है। यह प्रक्रिया पिछड़ी कृषि के कारण है।

भारतीय कृषि मौजूदा तकनीक पर संसाधनों का सबसे अच्छा उपयोग करने हेतु संकल्पित हैं, लेकिन वे बिचौलियों के प्रभुत्व वाले व्यापार प्रणाली में अपनी उपज की बिक्री से होने वाले लाभ में अपने हिस्से से वंचित रह जाते हैं और इस प्रकार कृषि के व्यवसायिक पक्ष की घोर उपेक्षा हुई है।

निबंध – 3 (500 शब्द)

आजादी के समय भारत में कृषि पूरी तरह से पिछड़ी हुई थी। कृषि में लागू सदियों पुरानी और पारंपरिक तकनीकों के उपयोग के कारण उत्पादकता बहुत खराब थी। वर्तमान समय की बात करें तो, कृषि में प्रयुक्त उर्वरकों की मात्रा भी अत्यंत कम है। अपनी कम उत्पादकता के कारण, कृषि भारतीय किसानों के लिए केवल जीवन निर्वाह का प्रबंधन कर सकती है और कृषि का व्यवसायीकरण कम होने के कारण आज भी कई देशों से हमारा देश कृषि के मामले में पीछे है।

कृषि के प्रकार

कृषि दुनिया में सबसे व्यापक गतिविधियों में से एक है, लेकिन यह हर जगह एक समान नहीं है। दुनिया भर में कृषि के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं।

( i) पशुपालन – खेती की इस प्रणाली के तहत पशुओं को पालने पर बड़ा जोर दिया जाता है। खानाबदोश झुंड के विपरीत, किसान एक व्यवस्थित जीवन जीते हैं।

( ii) वाणिज्यिक वृक्षारोपण – यद्यपि एक छोटे से क्षेत्र में इसका अभ्यास किया जाता है, लेकिन इस प्रकार की खेती इसके वाणिज्यिक मूल्य के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण है। इस तरह की खेती के प्रमुख उत्पाद उष्णकटिबंधीय (Tropical) फसलें हैं जैसे कि चाय, कॉफी, रबर और ताड़ के तेल। इस प्रकार की खेती एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कुछ हिस्सों में विकसित हुई है।

( iii) भूमध्यसागरीय (Mediterranean) कृषि – आमतौर पर भूमध्यसागरीय क्षेत्र के बीहड़ इलाकों में विशिष्ट पशुधन और फसल संयोजन होते हैं। गेहूं और खट्टे फल प्रमुख फसलें हैं, और छोटे जानवर, क्षेत्र में पाले जाने वाले प्रमुख पशुधन हैं।

( iv) अल्पविकसित गतिहीन जुताई – यह कृषि का एक निर्वाह प्रकार है और यह बाकि प्रकारों से भिन्न है क्योंकि भूमि के एक ही भूखंड की खेती साल दर साल लगातार की जाती है। अनाज की फसलों के अलावा, कुछ पेड़ की फसलें जैसे रबर का पेड़ आदि इस प्रणाली का उपयोग करके उगाया जाता है।

( v) दूध उत्पादन – बाजार के समीपता (Market proximity) और समशीतोष्ण जलवायु (temperate climate) दो अनुकूल कारक हैं जो इस प्रकार की खेती के विकास के लिए जिम्मेदार हैं। डेनमार्क और स्वीडन जैसे देशों ने इस प्रकार की खेती का अधिकतम विकास किया है।

( vi) झूम खेती – इस प्रकार की कृषि आमतौर पर दक्षिण पूर्व एशिया जैसे उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों द्वारा अपनाई जाती है, अनाज की फसलों पर प्रमुख जोर दिया जाता है। पर्यावरणविदों (Environmentalists) के दबाव के कारण इस प्रकार की खेती में कमी आ रही है।

( vii) वाणिज्यिक अनाज की खेती – इस प्रकार की खेती खेत मशीनीकरण के लिए एक प्रतिक्रिया है और कम वर्षा और आबादी वाले क्षेत्रों में प्रमुख प्रकार की खेती है। ये फसलें मौसम की मार और सूखे की वजह से होती हैं।

( viii) पशुधन और अनाज की खेती – इस प्रकार की कृषि को आमतौर पर मिश्रित खेती के रूप में जाना जाता है, और एशिया को छोड़कर मध्य अक्षांशों (Mid Latitudes) के नम क्षेत्रों में उत्पन्न होता है। इसका विकास बाजार सुविधाओं से निकटता से जुड़ा हुआ है, और यह आमतौर पर यूरोपीय प्रकार की खेती है।

कृषि और व्यवसाय दो अलग-अलग धुरी है, लेकिन परस्पर संबंधित एवं एक दुसरे के पूरक हैं, जिसमें कृषि संसाधनों के उपयोग से लेकर कटाई, कृषि उपज के प्रसंस्करण (Processing) और विपणन (Marketing) तक उत्पादन का संगठन और प्रबंधन शामिल है।

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कृषि पर निबंध

Essay on Agriculture in Hindi : हम यहां पर कृषि पर निबंध पर शेयर कर रहे है। इस निबंध में कृषि के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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कृषि पर निबंध | Essay on Agriculture in Hindi

कृषि पर निबंध (200  शब्द).

भारत का मुख्य व्यवसाय कृषि है। भारत की कुल दो तिहाई जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर ही निर्भर है। कृषि  केवल आजीविका का साधन नहीं बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। यह भोजन, चारा और ईंधन का मुख्य स्रोत है। कृषि किसी भी देश के आर्थिक विकास का मूल आधार है। भारत की राष्ट्रीय आय में कृषि का सर्वाधिक योगदान है।

भारत के प्रथम प्रधान मंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि, “कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता की आवश्यकता है क्योंकि यदि कृषि सफल नहीं हो सकती है तो सरकार और राष्ट्र दोनों सफल नहीं हो पाएंगे”। कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। कृषि न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि हमारे सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन पर इसका गहरा प्रभाव है। भारत जैसे अल्प विकसित देशों में, कृषि का योगदान राष्ट्रीय आय में 27% है।

कृषि हमें भोजन, फाइबर, जैव ईंधन, औषधीय पौधों और मानव जीवन के अस्तित्व के लिए उपयोग किए जाने वाले अन्य उत्पादों के लिए उत्पादनों प्रदान करती है। कृषि का बढ़ा हुआ उत्पादन कीमत को स्थिर रखता है। सरकार द्वारा कृषि को विकसित करने और कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। हमें भी अपनी कृषि को  विकसित करने के अपने प्रयास जारी रखने चाहिए।

कृषि पर निबंध (600  शब्द)

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत विविधता और धर्मनिरपेक्ष का देश है। इस देश का प्राथमिक कार्य कृषि है और हम यह भी कह सकते हैं कि कृषि हमारे देश की रीढ़ है। हमारे देश में अन्य देश की तुलना में फसलों की वृद्धि के लिए उत्तम मौसम की स्थिति है। कृषि में पशुओं के प्रजनन को भी शामिल किया जा सकता है। कृषि का विकास देश के विकास के लिए वरदान होगा और सफल कृषि की वजह से देश की अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी होगी। देश के विकास के लिए कृषि का बढ़वा जरुरी है।

कृषि हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कृषि के बिना, मानव का अस्तित्व संभव नहीं है क्योंकि यह पृथ्वी पर बनाए रखने के लिए हमारी खाद्य आपूर्ति का मुख्य स्रोत है।

कृषि का इतिहास

कृषि की शुरुआत 9000 ईसा पूर्व से हुई है। पहली कृषि प्रथा सिंधु नदी में शुरू की गई है, जहां लोग बस गए और वे खाद्यान्न की खेती करने लगे। कृषि की वजह से आदिमानव स्थिर जीवन बिताने लगे। कुछ साल बाद कृषि के क्षेत्र में विकास हुआ। इसलिए  कृषि के कारण लोगों की जीवन शैली बदल गई। कृषि को कला, विज्ञान और वाणिज्य भी कहा जाता है।

कृषि का महत्व

कृषि हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि यह भोजन का प्राथमिक स्रोत है, यह हमें खाने के लिए विभिन्न सब्जियां और फल, कपड़ों के लिए कपास, पशुओं के लिए चारा और घास, विभिन्न उद्योगों को चलाने के लिए कच्चा माल और बहुत कुछ प्रदान करता है। इसके अलावा, कृषि परिवहन प्रणाली और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का भी समर्थन करती है। जूट, कपास, कपड़ा, हथकरघा और गन्ना जैसे प्रमुख उद्योग कृषि पर निर्भर हैं क्योंकि वे कृषि उद्योग से अपना कच्चा माल प्राप्त करते हैं।

 देश की राष्ट्रीय आय और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) काफी हद तक कृषि पर निर्भर है। इसने देश में रोजगार बढ़ाने में भी योगदान दिया है क्योंकि लगभग 80% लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं। इसके अलावा, कृषि-उद्योग निर्यात वस्तुओं का 70% भी जोड़ता है।

देश के भीतर कृषि उत्पादों रेलवे और रोडवेज बहुत सारे व्यवसाय को अंजाम देते हैं। इसलिए किसी भी देश की अर्थव्यवस्था कृषि की समृद्धि पर निर्भर करती है।

आधुनिक कृषि

कृषि के क्षेत्र में आज काफी बदलाव आ रहा है। जैसे-जैसे देश में विकास होता है, वैसे-वैसे खेती के तौर-तरीके में भी विकास होता है। आजकल खेती के लिए बड़ी-बड़ी मशीनरी का इस्तेमाल हो रहा है | ट्रैक्टर, सिंचाई के तरीके, उपकरण और कई अन्य चीजें बदल दी गई हैं। सरकार कृषि क्षेत्र के विकास के लिए हमेशा नए तरीके ईजाद कर रही है और किसानों को उनके पेशे में मदद करने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। 

कृषि के नकारात्मक प्रभाव

कृषि अर्थव्यवस्था के लिए बहुत फायदेमंद है, पर लोगों पर उसका कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं। वनों की कटाई कृषि का पहला नकारात्मक प्रभाव है क्योंकि कई जंगलों को कृषि भूमि में बदलने के लिए काट दिया गया है। साथ ही, सिंचाई के लिए नदी के पानी के उपयोग से कई छोटी नदियाँ और तालाब सूख जाते हैं जो प्राकृतिक आवास को बिगाड़ देते हैं। इसके अलावा, अधिकांश रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक भूमि के साथ-साथ आस-पास के जल निकायों को भी दूषित करते हैं। कृषि के नकारात्मक प्रभाव भूमि प्रदूषण को बढ़ावा देता है।

कृषि हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि यह भोजन का प्राथमिक स्रोत है। कृषि ईश्वर की देन है क्योंकि जो भोजन हम प्रतिदिन खाते हैं वह किसानों की कड़ी मेहनत और निरंतर प्रयासों से उत्पन्न होता है और हमें इस कीमती भोजन को बर्बाद नहीं करना चाहिए। कृषि ने समाज को बहुत कुछ दिया है। लेकिन इसके अपने फायदे और नुकसान हैं जिन्हें हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।

हमने यहां पर  “कृषि पर निबंध(Essay on Agriculture in Hindi)”  शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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Essay on Agriculture in Hindi | कृषि पर निबंध

Essay on agriculture in hindi.

कृषि पर निबंध (Essay on Agriculture in Hindi) बच्चों और छात्रों के लिए सरल हिंदी और आसान शब्दों में लिखा गया है। यह (Essay on Agriculture in Hindi) हिंदी निबंध कृषि के बारे में बताता है कि इसकी कृषि हमारे लिए क्या है और यह हमारे लिए क्यों खास है। छात्रों को अक्सर उनके स्कूलों और कॉलेजों में कृषि पर निबंध (Essay on Agriculture in Hindi) लिखने के लिए कहा जाता है। और यदि आप भी यही खोज रहे हैं, तो हमने कृषि पर 100 – शब्दों, 150 – शब्दों, 250 – शब्दों और 500 – शब्दों में निबंध दिया है।

छात्रों को सिखाने का एक प्रभावी तरीका हिंदी में कृषि पर एक निबंध (Essay on Agriculture in Hindi) के माध्यम से होगा। कक्षा 1, 2, 3, 4, 5 और 10 के लिए कृषि के इस विषय पर निबंध लेखन के माध्यम से बच्चे तथ्यों को इकट्ठा करना और उन्हें अपने शब्दों में लिखना सिख पाएंगे।

निबंध – 100 शब्द

भारत एक कृषि प्रधान देश है और यह केवल आजीविका का साधन नहीं बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। प्राचीन काल से हम कृषि करते आ रहे हैं। आजादी के बाद अनाज की मांग को पूरा करने के लिए हमे दूसरे देश पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन, हरित क्रांति ने भारत को आत्मनिर्भर बना दिया है।

किसान अन्न उगाने के लिए कृषि क्षेत्र में बहुत ही मेहनत करते हैं। हमारे किसान हमे अन्न देकर हर परिस्थिति में हमारे लिए खड़े रहते हैं। कृषि की सहायता के बिना मनुष्य जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता है। कृषि करने के कई प्रकार है जैसे स्थानांतरित खेती, अनाज खेती, मछली पालन, डेयरी फार्मिंग, आदि। पर्यावरण पर गलत प्रकार से कृषि करने के कुछ बुरे प्रभाव भी देखने को मिले हैं जैसे किटनाशक, उर्वरकों और खाद से प्रदूषण होना।

निबंध – 150 शब्द

कृषि का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। किसान खेतो में केवन अन्य नहीं उगाते, बल्कि यह दुसरो को रोज़गार और व्यापार के अवसर प्रदान करते है। कृषि के अंतिम उत्पादों के उपभोग हमारे पूरे जीवन को प्रभावित करता है। इसकी सहायता के बिना मनुष्य का पेट भरना असंभव है। कृषि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में मदद करता है।

कृषि किसी भी देश के आर्थिक विकास में एक अहम् भूमिका निभाती है क्योंकि कई उद्योग अपने कच्चे माल के लिए कृषि पर निर्भर करते हैं। कृषि क्षेत्र में क्रांति आने से औद्योगिक क्षेत्र का भी विस्तार हुआ है। इसके अलावा, जब कृषि क्षेत्र में उत्पादन में वृद्धि होगी तो रोजगार के अधिक अवसर भी पैदा होंगे और फसल उगाने से लेकर, कृषि विस्तार में प्रत्यक्ष रोजगार और अन्य क्षेत्रों में भी काम प्रदान करता है।

लेकिन कृषि को गलत तरीके से करने से इसके कई घातक परिणाम भी होते है। यह प्रदूषण का प्रमुख स्रोत भी है, क्योंकि कीटनाशक, उर्वरक और अन्य जहरीले कृषि रसायन पानी, समुद्री पारिस्थितिक तंत्र, मिट्टी, और हवा को जहरीला कर सकते हैं।

निबंध – 250 शब्द

कृषि भारत में अधिकांश आबादी के लिए प्राथमिक आजीविका का स्रोत है। यहाँ पर 70 प्रतिशत से अधिक लोग कृषि पर निर्भर करते है। प्राचीन कल से कृषि अस्तित्व में है और आज के युग में यह नई तकनीकों और उपकरणों के साथ विकसित हुई है जिसने पुरानी पारंपरिक खेती के तरीकों को बदल दिया है।

आज भी कुछ किसान पारंपरिक खेती पद्धति का उपयोग करते हैं क्योंकि उनके पास शिक्षा और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने के लिए संसाधनों और समझ की कमी है। आज के समय में भारत दूसरा सबसे बड़ा चावल, गेहूं, कपास, फल, चाय, और सब्जियां का उत्पादक है। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के मसालों की कृषि होती है और दिनिया भर में इन मसालों को भेजा जाता है।

कृषि क्षेत्र की वृद्धि एवं विकास

हम कृषि लंबे समय से करते आ रहे है फिर भी यह अभी तक अविकसित रही। आजादी के बाद भी देश की मांग को पूरा करने के लिए हम दूसरे देशों से खाद्यान्न आयात करते थे। लेकिन, हरित क्रांति के कारण अब हम आत्मनिर्भर हो गए और अपना अधिशेष दूसरे देशों को निर्यात करते है। हमारी सरकार भी इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

पहले हम कृषि के लिए पूरी तरह से मानसून पर निर्भर रहते थे, लेकिन अब हमने नहरों, बांधों, ट्यूबवेलों और पंप-सेटों का निर्माण किया है। इसके अलावा, अब बेहतर किस्म के कीटनाशक, उर्वरक और बीज हैं जो अधिक अन्न उगाने में मदद करते हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था का कृषि महत्वपूर्ण क्षेत्र है। कृषि क्षेत्र में लगातार हो रहे बदलाव, विकास और लागू की गई नीतियों के साथ यह अग्रसर हो रहा है। यह भारत की आर्थिक वृद्धि में हमेशा एक महत्वपूर्ण कारक बना रहेगा।

निबंध – 500 शब्द

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था और किसानो के रोजगार का प्रमुख क्षेत्र है। कृषि कार्य हजारों सालों से मौजूद है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह बहुत विकसित हुआ है। आज के युग में नई अविष्कारों, तकनीकों और उपकरणों के उपयोग ने खेती के लगभग सभी पारंपरिक तरीकों को बदल दिया है। लेकिन, आज भी कुछ किसान जानकारी के आभाव में कृषि के पुराने पारंपरिक तरीकों का उपयोग कर रहे हैं क्योंकि वे आधुनिक तरीकों का उपयोग करने के में असमर्थ है। कृषि ने न केवल अपने बल्कि देश के अन्य क्षेत्र के विकास में भी योगदान दिया है।

आर्थिक विकास में कृषि की भूमिका

देश के आर्थिक विकास में कृषि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि यह देश के आजीविका के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है। आज भी 3/4 जनसंख्या कृषि पर आधारित है और पहले हम कृषि के लिए मुख्य रूप से मानसून पर निर्भर करते थे, लेकिन अब नहरों, बांधों, ट्यूबवेलों, और पंप सेटों का निर्माण हो चूका है।

कृषि क्षेत्र से उद्योगों को कच्चा माल की प्राप्ति होती है जिस पर दूसरे व्यवसाय निर्भर करते है, इसलिए अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र पर निर्भर करता है। कृषि अधिकांश लोगों को देश में रोजगार के अवसर प्रदान करती है। 

यह भारतीय निर्यात में योगदान देती है और विदेशी मुद्रा बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अन्य देशों को भारत मसाले, कॉफ़ी, तम्बाकू, चाय, और सब्जियाँ, आदि जैसी वस्तुओं का निर्यात करता है। 

कृषि के प्रकार

कृषि कई प्रकार की जाती है जैसा कि नीचे बताया गया है:

अनाज की खेती – यह जानवरों और मनुष्यों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए की जाती है। इसमें विभिन्न प्रकार की फसलें बोने की प्रक्रिया होती है जिसे बाद में मौसम के अंत में काटा जाता है।

बागवानी एवं फलों की खेती – इस प्रक्रिया में फलों एवं सब्जियों का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। यह मुख्य रूप से व्यवसाय के उदेश्य से किया जाता है।

डेयरी फार्मिंग – यह दूध के उत्पादन से संबंधित है। इस प्रक्रिया में मिठाई, दही, पनीर आदि जैसे उत्पादों का उत्पादन किया जाता है।

कृषि के नकारात्मक प्रभाव

हालाँकि कृषि देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार के दृष्टिकोण से बहुत फायदेमंद है लेकिन इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। ये कृषि क्षेत्र में शामिल लोगों के साथ-साथ पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं।

पहला, अधिकांश रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक के प्रयोग ने भूमि के साथ-साथ आस-पास के जल निकायों को भी प्रदूषित और जहरीला करते हैं। इसके इतेमाल से ऊपरी मिट्टी का ह्रास होता है और भूजल प्रदूषित होता है।

दूसरा, वनों की कटाई भी कृषि का नकारात्मक प्रभाव है कृषि भूमि फैलावे के लिए कई जंगलों को काटकर उन्हें कृषि भूमि में बदल दिया गया है। साथ ही, नदी के पानी का अधिक उपयोग सिंचाई के रूप में करने से कई छोटी नदियाँ और तालाब सूख जाते हैं जिससे प्राकृतिक का संतुलन में बाधा आती है।

कृषि ने देश को बहुत कुछ दिया है। अन्न से लेकर व्यवसाय तक, लेकिन कृषि के कुछ अपने फायदे और नुकसान हैं जिन्हें हम अनदेखा नहीं कर सकते। सरकार उचित कृषि की वृद्धि और विकास के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। साथ ही, सरकार को कृषि पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के लिए कुछ करने की आवश्यकता है।

ये भी देखें –

  • Essay on My Brother in Hindi
  • Essay on G20 in Hindi
  • Essay on Animals in Hindi

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By: savita mittal

भारतीय कृषक पर निबंध | Indian Farmer Essay in Hindi

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गांधी कहते थे–“ भारत का हृदय गांवों में बसता है , गाँवों की उन्नति से ही भारत की उन्नति सम्भव है। गाँवों सेवा और परिश्रम के अवतार ‘कृषक’ रहते हैं।” वास्तविकता भी यही है कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की घरी है। की कुल श्रमशक्ति का लगभग 61% भाग कृषि एवं इससे सम्बन्धित उद्योग-धन्धों से अपनी आजीविका चलाता ब्रिटिशकाल में भारतीय कृषक अंग्रेजों एवं जमींदारों के अत्याचारों से परेशान एवं बेहाल थे।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद स्थिति में अधिक सुधार हुआ, किन्तु जिस प्रकार कृषकों के शहरों की ओर पलायन एवं उनकी आत्महत्या की सुनने को मिलती है, उससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी स्थिति में आज भी अपेक्षित सुधार नहीं हो सका है। स्थिति विकट हो चुकी है कि कृषक अपने बच्चों को आज कृषक नहीं बनाना चाहते।

कवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा लिखी गई ये पंक्तियाँ आज भी प्रासंगिक है। “” सी में पचासी जन यहाँ निर्वाह कृषि पर कर रहे, पाकर करोड़ों अर्द्ध भोजन सर्द आहे भर रहे। जब पेट की ही पड़ रही, फिर और की क्या बात है, ‘होती नहीं है भक्ति भूखे’ उक्ति यह विख्यात है।”

विश्व के महान् विचारक सिसरो ने भी कहा है-“किसान मेहनत करके पेड़ लगाते हैं पर स्वयं उन्हें ही उनके फल लब नहीं हो पाते।” निःसन्देह खून-पसीना एक कर दिन-रात खेतों में मेहनत करने वाले कृषकों का जीवन अत्यन्त उठोर व संघर्षपूर्ण है। अधिकतर भारतीय कृषक निरन्तर घटते भू-क्षेत्र के कारण गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे 1 दिन-रात खेतों में परिश्रम करने के बाद भी उन्हें तन ढकने के लिए समुचित कपड़ा नसीब नहीं होता।

सर्दी हो या गर्मी, हर हो या बरसात उन्हें दिन-रात बस खेतों में ही परिश्रम करना पड़ता है। इसके बावजूद उन्हें फसलों से उचित आय नहीं हत हो पाती। बड़े-बड़े व्यापारी कृषकों से सस्ते मूल्य पर खरीदे गए खाद्यान्न, सब्जी एवं फलों को बाजारों में ऊँची दरी हरेच देते हैं। इस प्रकार, कृषकों का श्रम लाभ किसी और को मिल जाता है और वे अपनी किस्मत को कोसते हैं।

किसानों की ऐसी दयनीय स्थिति का एक कारण यह भी है कि भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर है और मानसून की निश्चितता के कारण प्राय: कृषकों को अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। समय पर सिंचाई नही होने के कारण भी उन्हें आशानुरूप फसल की प्राप्ति नहीं हो पाती। इसके अतिरिक्त आवश्यक उपयोगी वस्तुओं की कंमतों में वृद्धि के कारण कृषकों की स्थिति और भी दयनीय हो गई है तथा उनके सामने दो वक्त की रोटी की समस्या जुड़ी हो गई है। कृषि में श्रमिकों की आवश्यकता सालभर नहीं होती, इसलिए वर्ष के लगभग तीन-चार महीने कृषकों को बाली बैठना पड़ता है। इस कारण भी कृषकों के गाँवों से शहरों की ओर पलायन में वृद्धि हुई है।

Indian Farmer Essay in Hindi

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देश के विकास में कृषकों के योगदान को देखते हुए कृषकों और कृषि क्षेत्र के लिए कार्य योजना का सुझाव देने हेतु वर्ष 2004 में डॉ. एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कृषक आयोग’ का गठन किया गया। वर्ष 2006 में आयोग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कृषकों के लिए एक विस्तृत नीति के निर्धारण की संस्तुति की गई। इसमें कहा गया किसरकार को सभी कृषिगत उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए तथा यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कृषकों को विशेषत: वर्षा आधारित कृषि वाले क्षेत्रों में न्यूनतम समर्थन मूल्य उचित समय पर प्राप्त हो सके।

राष्ट्रीय कृषक आयोग की संस्तुति पर भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषक नीति, 2007 की घोषणा की । इसमें कृषकों के कल्याण एवं कृषि के विकास के लिए अनेक बातों पर बल दिया गया है। इसमें कही गई बातें इस प्रकार है-सभी कृषिन्न उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित किया जाए। मूल्यों में उतार-चढ़ाव से कृषकों की सुरक्षा हेतु मार्केट रिस्क स्टेबलाइजेशन फण्ड की स्थापना की जाए।

सुखे एवं वर्षा सम्बन्धी विपत्तियों से बचाव हेतु ‘एग्रीकल्चर रिस्क पण्टु स्थापित किया जाए। सभी राज्यों में राज्यस्तरीय किसान आयोग का गठन किया जाए। कृषकों के लिए बीमा योजना का विस्तार किया जाए। कृषि सम्बन्धी मामलों में स्थानीय पंचायतों के अधिकारों में वृद्धि की जाए। राज्य सरकारों द्वारा कृषि हेतु अधिक संसाधनों का आवण्टन किया जाए।

प्राय: यह देखा जाता था कि कृषकों को फसलों, खेती के तरीकों एवं आधुनिक कृषि उपकरणों के सम्बन्ध में उचित जानकारी उपलब्ध नहीं होने के कारण खेती से उन्हें उचित लाभ नहीं मिल पाता था। इसलिए कृषको को कृषि सम्बन्धी • बातों की जानकारी उपलब्ध कराने हेतु वर्ष 2004 में किसान कॉल सेण्टर की शुरुआत की गई। इसके अतिरिक्त कृषि सम्बन्धी कार्यक्रमों का प्रसारण करने वाले ‘कृषि चैनल’ की भी शुरुआत की गई है।

केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण विकास बैंक के माध्यम से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में ‘रूरल नॉलेज सेण्टर्स’ की भी स्थापना की है। इन केन्द्रों में आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी व दूरसंचार तकनीक का उपयोग किसानों को बांछित जानकारियाँ उपलब्ध कराने के लिए फेंक जाता है।

कृषकों को वर्ष के कई महीने खाली बैठना पड़ता है, क्योंकि वर्षभर उनके पास काम नहीं होता। इसलिए ग्रामीण लोगों को गाँव में ही रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी अधिनियम के अन्तर्गत, 2006 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना का शुभारम्भ किया गया। 2 अक्टूबर, 2009 से राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (MANREGA) का नाम बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (MANREGA) कर दिया गया है।

यह अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक परिवार के एक वयस्क सदस्य को वर्ष में कम-से-कम 100 दिन के रोजगार की गारण्टी देता है। इस अधिनियम में इस बात को भी सुनिश्चित किया गया है कि इसके अन्तर्गत 33% लाभ महिलाओं को मिले।

इस योजना से पहले भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार प्रदान करने के लिए अनेक योजनाएँ प्रारम्भ की गई थी, किन्तु उनमें भ्रष्टाचार के मामले अत्यधिक उजागर हुए। अतः इससे बचने के लिए रोजगार के इच्छुक व्यक्ति का रोजगार-कार्ड बनाने का प्रावधान किया गया है। ग्राम पंचायत जो रोजगार कार्ड जारी करती है, उस पर उसकी पूरी जानकारी के साथ-साथ उसका फोटो भी लगा होता है। पंजीकरण कराने के 15 दिनों के भीतर रोजगार न मिलने पर निर्धारित दर से सरकार द्वारा बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाता है।

रोज़गार के इच्छुक व्यक्ति को पाँच किलोमीटर के दायरे के भीतर रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। यदि कार्यस्थल पाँच किलोमीटर के दायरे से बाहर हो, तो उसके स्थान पर अतिरिक्त भत्ता देने का भी प्रावधान है। कानून द्वारा रोजगार की गारण्टी मिलने के बाद न केवल ग्रामीण विकास को गति मिली है, बल्कि ग्रामीणों का शहर की ओर पलायन भी कम हुआ है। आज कोबिड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है, लेकिन मनरेगा इस सकट से उबारने के लिए प्रभावशाली भूमिका अदा कर रही है।

कृषकों को समय-समय पर धन की आवश्यकता पड़ती है। साहूकार से लिए गए ऋण पर उन्हें अत्यधिक ब्याज देना पड़ता है। कृषकों की इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, उन्हें साहूकारों के शोषण से बचाने के लिए वर्ष 1998 में ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ योजना की भी शुरुआत की गई। इस योजना के फलस्वरूप कृषकों के लिए वाणिज्यिक बैंको क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों से त्राण प्राप्त करना सरल हो गया है। वर्ष 2016 में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने को राहत पहुँचाने की दिशा में यह एक निर्णायक एवंसक प्रधानक चहल है। इसी प्रकार कृषकों के हितों को ध्यान में रखते हुए क 2019 में प्रधानमन्त्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की गई है।

अर्थव्यवस्था को सही अर्थों में प्रगति की राह पर अग्रसर कर सकेंगे और तभी डॉ. रामकुमार वर्मा की ये पंक्तियाँ सार्थक सिद्ध होगी कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इसलिए अर्थव्यवस्था में सुधार एवं देश की प्रगति के लिए किसानों की प्रगति है। इस सन्दर्भ में प्रो. मूलर की कही बात महत्त्वपूर्ण है- “भारत की दीर्घकालीन आर्थिक विकास की लड़ाई कृषकद्वारा जीती या हारी जाएगी।”

केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई विभिन्न प्रकार की योजनाओं एवं नई कृषि नीति के फलस्वरूप कृषको की स्थिति में सुधार हुआ है, किन्तु अभी तक इसमें सन्तोषजनक सफलता प्राप्त नहीं हो सकी है। आशा है विभिन्न प्रकार के सरकारी प्रयासों एवं योजनाओं के कारण आने वाले वर्षों में कृषक समृद्ध होकर भारतीय “सोने चाँदी से नहीं किन्तु तुमने मिट्टी से किया प्यार, हे ग्राम देवता नमस्कार”।

reference Indian Farmer Essay in Hindi

essay on agriculture in hindi 100 words

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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essay on agriculture in hindi 100 words

भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi

In this article, we are providing information about Farmer in Hindi- भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi, Indian Farmers Life.

जरूर पढ़े- Bhartiya Kisan Par Nibandh & Essay on Farmer in Hindi for all classes

भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi

Indian Farmer Essay in Hindi ( 250 words )

भारत गांवों और किसानों का देश है। भारत कृषि प्रधान देश है। हम बहुत कुछ कृषि पर निर्भर करते हैं। हमारे अधिकांश उद्योग-धंधे भी कृषि पर आधारित हैं। हमारा किसान हमारी रीढ़ की हड्डी है। उसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय किसान बहुत परिश्रमी है। वह अपने खेत-खलिहानों में जी-तोड़ मेहनत करता है, बीज बोता है, पानी देता है, फसल काटता है और फिर उसे बेचने मंडियों तक ले जाता है।

सुबह बहुत जल्दी वह उठ जाता है और रात को देर से सोता भाहल चलाने, खेतों को पानी देने, जानवरों की देखभाल करने, अनाज, फल, सब्जी आदि बाजार तक ले जाने में उसका सारा समय व्यतीत हो जाता है। विश्राम और सोने के लिये उसे बहुत कम समय मिलता है। लेकिन यह खेद की बात है कि आज भी वह निर्धन है। उसका हर स्तर पर शोषण हो रहा है। उसके बच्चों की शिक्षा, उपचार, स्वास्थ्य आदि की उचित व्यवस्था नहीं है। वह कर्ज के बोझ के नीचे दबा हुआ है।

धन और सस्ते ऋण के अभाव में वह अच्छे बीज, खाद, कृषि-यंत्र, सिंचाईं के उचित साधन आदि से वंचित रह जाता है। प्राकृतिक आपदाएं जैसे सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि से तो उसकी कमर ही टूट जाती है। अधिकांश किसान आज भी निरक्षर और अनपढ़ हैं। वे अंधविश्वास और कुरीतियों के शिकार हैं। उनकी आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक उन्नति और अधिक तथा ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। आशा करनी चाहिये कि निकट भविष्य में भारतीय किसान की स्थिति संतोषप्रद हो जायेगी।

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10 Lines on Farmer in Hindi

भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi ( 500 words )

भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ कि 65 प्रतिशत जनसंख्या खेती से जुड़ी हुई है। किसान मौसम की परवाह किए बिना सभी के लिए अनाज उगाते है जो कि मनुष्य की सबसे बड़ी जरूरत है। इसलिए किसानों को अन्नदाता भी कहा जाता है। बहुत से उद्योग भी कच्चे माल के लिए किसानों द्वारा उगाई गई फसलों पर निर्भर करते है। किसान का जीवन बहुत ही परिश्रम भरा होता है। वह सुबह से लेकर रात तक खेत के काम में ही लगा रहता है कभी बीज बोना,कभी सिंचाई ,कभी खाद डालना तो कभी कटाई।

हमारी अर्थव्यवस्था किसानों पर निर्भर करती है लेकिन उसके बावजुद भी किसान की हालत बहुत ही दयनीय है। बहुत से किसान आज भी गरीब, अशिक्षित है और साथ ही अपने बच्चों को भी पढ़ाने में असमर्थ है। दिन रात मेहनत करने के बाद भी वो सिर्फ अपनी आजीविका ही चला पाते है और अगर कभी बारिश न होने से सूखा पड़ जाए तो उनकी मुश्किलें और भी बढ़ जाती है। बहुत से तकनीकी उपकरणों ने किसानों का परिश्रम थोड़ा कम कर दिया है लेकिन छोटा और निर्धन किसान उन्हें खरीदने में असमर्थ है जिसके कारण विवश होकर अपने बच्चों को खेतों में काम करने लाना पड़ता है। गरीब किसान अपनी फसलों के लिए उत्तम बीज और अच्छी खाद नहीं खरीद पाता है। किसान साल के अधिकतर महीनों में खाली ही रहते है। किसानों को सिंचाई के लिए प्रयाप्त पानी भी नहीं मिल पाता है।

किसानों को खाद,बीज आदि खरीदने के लिए उधार लेना पड़ता है जिसका फायदा साहुकार उच्च दर का ब्याज लगाकर उठाते है। किसानों की फसलों का सही मूल्य नहीं लगता है। अशिक्षित होने के कारण किसानों को अपने अधिकारों का पता नही होता और उनके अधिकारों का जमकर शोषण किया जाता है। आर्थिक स्थिति खराब होने से बहुत से किसान आत्महत्या कर रहे है। सरकार को किसानों के लिए कम ब्याज पर पैसे दिलवाने चाहिए ताकि वो आसानी से बीज खाद आदि खरीद सके। साल के उस समय जब खेती नही होती कृषि स्कूल खोले जाने चाहिए जिसमें किसानों को पैदावार बढाने के तरीके बताए जाए और खेती से जुड़ी सभी जानकारी दी जाए। सरकार द्वारा गाँवों में भी स्कुल खोले जाने जिनमें प्राथमिक शिक्षा मूफ्त दी जाए ताकि किसानों के बच्चे भी पढ़ सके।

अगर किसान नही होंगे तो खेती भी नहीं होगी और उद्योग भी नहीं होंगे यानि कि देश गरीब होता जाएगा। किसान हमारे देश की अर्थव्यवस्था का निर्माण करते है और अगर वही गरीब होगे तो देश प्रगति कर ही नहीं सकता। लाल बहादुर शास्त्री जी ने ” जय जवाम,जय किसान” नारे से किसानों का महत्व बताया है। किसानों की प्रगति के लिए सरकार को उचित प्रबंध करने चाहिए।

#Indian Farmer Essay in Hindi

Essay on Indian Rural Life in Hindi- भारतीय ग्रामीण जीवन पर निबंध

Indian Culture Essay in Hindi- भारतीय संस्कृति निबंध

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2 thoughts on “भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi”

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Excellent Bhai ! bhai apane kisan ki puri samasya aur usase sambandhit jankari di hai > thanks

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This essay helped me a lot in my exam. Jai Jawan, Jai Kisan. ??☺

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Indian Farmer Essay In Hindi

भारतीय कृषि पर निबंध – Indian Farmer Essay In Hindi

भारतीय कृषि पर निबंध – (essay on indian farmer in hindi), किसान भारत की पहचान – identity of farmer india.

  • प्रस्तावना,
  • सरल तथा प्राकृतिक जीवन,
  • संसार का अन्नदाता,
  • भारतीय किसान की दशा,
  • समाज तथा शासन की उपेक्षा,
  • पिछड़ेपन का कारण,
  • किसान की दशा में सुधार,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

भारतीय कृषि पर निबंध – Bhaarateey Krshi Par Nibandh

प्रस्तावना– कृषि कर्म करने वाला ही कृषक कहलाता है। खेती संसार का सबसे पुराना व्यवसाय है। यह मनुष्य के सभ्यता की ओर उन्मुख होने का प्रथम चरण है। भारत गाँवों में बसता है, कहने का यही अर्थ है कि भारत की बहुसंख्यक जनता किसान है और किसान गाँवों में ही रहते हैं। भारतमाता ग्रामवासिनी’ कहकर कवि पंत ने इसी तथ्य ओर संकेत किया है। किसान भारत की पहचान है।

Indian Farmer Essay In Hindi

सरल तथा प्राकृतिक जीवन– भारतीय किसान का जीवन दिखावट से दूर है। वह सरल और प्राकृतिक जीवन जीता है। वह मोटा खाता और मोटा पहनता है। उसकी आवश्यकताएँ सीमित हैं। वह वर्षा, धूप और सर्दी सहन करता है। प्रात: जल्दी उठना, अपने खेतों तथा पशुओं की देखभाल करना और कठोर श्रमपूर्ण जीवन बिताना ही उसकी दिनचर्या है।

Essay On Indian Farmer In Hindi

संसार का अन्नदाता– किसान समस्त संसार का अन्नदाता है। वह अपने खेतों में जो अन्न उगाता है, उससे ही संसार का पेट भरता है। खाद्यान्न ही नहीं वह अन्य वस्तुएँ भी अपने खेतों में पैदा करता है। वह कपास उगाता है, जो लोगों के तन ढकने के लिए वस्त्र बनाने के काम आती है।

वह गन्ना पैदा करता है जो गुड़ और शक्कर के रूप में लोगों को मधुरता देता है। वह तिल, सरसों, अलसी आदि तिलहन पैदा करता है जो मनुष्य की अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति का साधन है। किसान साग–सब्जी, फल इत्यादि का उत्पादन करके लोगों की आवश्यकताएँ पूरी करता है। उसी के प्रयत्न से पशुओं को चारा भी मिलता है।

भारतीय किसान की दशा– समाज के लिए इतना सब करने वाले किसान की दशा अच्छी नहीं है। उसकी आर्थिक स्थिति दयनीय है। कृषि में जो पैदावार होती है, उसका पूरा मूल्य उसको नहीं मिल पाता।

कृषि से इतनी आय नहीं होती कि वह अपने पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति कर सके। उसको तथा उसके परिवार को न भरपेट भोजन मिल पाता है न अच्छे वस्त्र। शादी–विवाह इत्यादि पारिवारिक उत्तरदायित्वों की पूर्ति के लिए किसान को ऋण लेना पड़ता है।

समाज तथा शासन की उपेक्षा–किसान समाज तथा शासन की उपेक्षा का शिकार है। खेतों के लिए बीज, खाद, कृषि उपकरण तथा पानी चाहिए जो अत्यन्त महँगे हैं। इसके लिए वह महाजनों तथा बैंकों से ऋण लेता है। ऋण की शर्ते ऐसी होती हैं कि वह संकट में पड़ जाता है। जब ऋण नहीं चुका पाता तो महाजन तथा बैंकें उसकी सम्पत्ति नीलाम कर देते हैं। किसानों द्वारा निरन्तर आत्महत्याएँ किया जाना इसी उपेक्षा का करुण परिणाम हैं।।

भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र को विदेशी पूँजी निवेश के लिए खोल दिया है। सरकार का कहना है कि वह किसान को उसकी उपज का अच्छा मूल्य दिलाना चाहती है। बड़े–बड़े देशी–विदेशी पूँजीपति खेती को एक उद्योग का रूप देकर किसान का शोषण करेंगे।

वह अपने आर्थिक लाभ के लिए फसल उगायेंगे, इससे जनता के समक्ष खाद्यान्न का संकट भी पैदा होगा। उनको न किसान के हित की चिन्ता है और न जनता के हित की।

पिछड़ेपन के कारण–भारत का किसान पिछड़ा हुआ है। वह अशिक्षित है तथा असंगठित भी है। उसको उत्तम और नई कृषि प्रणाली का पर्याप्त ज्ञान नहीं है। संगठित न होने के कारण उसे सरकार तथा पूँजीपति वर्ग का शोषण सहन करना पड़ता है।

वह सरकार को कृषक हितैषी नीति अपनाने को बाध्य नहीं कर पाता। भारतीय किसान अन्धविश्वासी भी है अतः अपनी दुर्दशा को वह अपना दुर्भाग्य मानकर चुपचाप सहन कर लेता है। अपने शोषण के प्रतिकार की भावना ही उसके मन में नहीं उठती।

किसान की दशा में सुधार– भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है परन्तु स्वतंत्र भारत की सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं। दिया वह उद्योगों के विकास द्वारा भारत को सम्पन्न बनाने की नीति पर चलती रही है, यह नीति उचित नहीं है। सरकार को अपनी नीति कृषि के विकास को आधार बनाकर बनानी चाहिए।

किसानों को खेती की प्रगति तथा उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। उनको इसके लिए बजट में पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। किसानों के बच्चों की शिक्षा की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। उनको कृषि की नवीनतम तकनीक का

प्रशिक्षण तथा ज्ञान दिया जाना चाहिए। कृषि को समुन्नत बनाकर तथा कृषकों का स्तर उठाकर ही भारत को समृद्ध तथा शक्तिशाली बनाया जा सकता है। लगता है उत्तरदायी सरकारों ने इस कठोर सत्य को स्वीकार किया है।

किसानों को उनकी लागत का दुगुना बाजार–मूल्य दिलाने, प्राकृतिक आपदाओं के समय के लिए सही बीमा नीति बनाने, ऋण माफी आदि की घोषणाएँ भी हुई हैं। आशा है भारतीय किसान के दिन बहुरेंगे।

उपसंहार– आज भारत स्वाधीन है तथा जनतंत्र सत्ता से शासित है। भारत की अधिकांश जनता गाँवों में रहती है तथा कृषि और उससे सम्बन्धित व्यवसायों से अपना जीवनयापन करती है। उसके आर्थिक उत्थान पर ध्यान देना आवश्यक है।

अभी तक वह उपेक्षित और असंतुष्ट है। असंतोष का यह ज्वालामुखी फूटे और भीषण विनाश का दृश्य उपस्थित हो, उससे पूर्व ही हमें सजग हो जाना चाहिए।

किसान पर निबंध Essay on Farmer in Hindi

किसान पर निबंध Essay on Farmer in Hindi

इस लेख में किसान पर निबंध (Essay on the farmer in Hindi) दिया गया है। यह निबंध कक्षा 3 से 10 तक विभिन्न रूपों में परीक्षाओं में पूछा जाता है। यहां पर किसान के ऊपर निबंध सरल रूप में दिया गया है जिसे किसी भी परीक्षा में बेझिझक लिखा जा सकता है।

Table of Content

किसान पर निबंध Essay on Farmer in Hindi (1000 words)

किसान अधिक शिक्षित नहीं होते तथा आर्थिक रूप से मजबूत भी नहीं होते किसान कृषि के अलावा पशुपालन पर निर्भर होते हैं। किसान हल और बैल के सहायता से भूमि को चीर कर उस में बीज बोते हैं तथा बड़े धैर्य के बाद वहां से अन्न निकालते हैं।

आजादी के बाद दशकों तक किसान हेय स्तर का जीवन जीते रहे और कभी रोग से, तो कभी कर्ज से अपनी जान गंवाते रहे। किसानों की आत्महत्या के आंकड़े बहुत ही चिंतनीय हैं।

किसान का शुरुवाती जीवन

भारत के किसानों की शिक्षा दीक्षा न के बराबर होती है, बचपन से ही किसानों के बच्चे खेतों में अपना समय देते हैं जिसके कारण वे पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं दूसरा सबसे बड़ा कारण पैसों की कमी है जिसके कारण किसान तथा उनका परिवार पोषण युक्त आहार नहीं ले पाता और तमाम बीमारियों से घिर जाता हैं।

अधिकतर किसानों का विवाह बहुत ही कम उम्र में कर दिया जाता है जिससे निर्वहन तथा सामाजिक दबाव उन पर बढ़ जाता है जिसके कारण उन्हें अपने अनाज को कम दाम पर बेचने के लिए बाध्य होना पड़ता है। एक किसान सबसे अधिक मेहनत करता है लेकिन परिणाम के रूप में उसे बहुत मामूली रकम पर संतुष्ट होना पड़ता है।

किसान के जीवन की मुलभुत दिक्कतें

किसान के जीवन की दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत सिंचाई के लिए पानी का अभाव है। कभी-कभी समय पर सिंचाई ना मिलने के कारण फसल नष्ट हो जाती हैं तो कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसान को बड़ी हानि का सामना करना पड़ता है।

चौथी सबसे बड़ी मूलभूत दिक्कत कृषि के साधनों के महंगे होने से उनके उपयोग से वंचित रहना है। किसान खेती के लिए आमतौर पर बैल तथा हल का उपयोग करते हैं जिसमें अधिक समय व श्रम लगता है।

वर्तमान में किसान के जीवन में परिवर्तन

वर्तमान सरकार ने किसानों की दिक्कतों को समझा और उन्हें दूर करने के लिए पर्याप्त कदम उठाया जिसमें किसानों के फसल का ध्यान रखना तथा फसल नष्ट होने पर उपयुक्त मुआवजा देना या उन्हें कम ब्याज दरों पर कर्ज मुहैया करवाना मुख्य है।

वर्तमान सरकार द्वारा किसानों के लिए तमाम योजनाएं निकाली गई हैं जिसमें किसानों को कम ब्याज दरों पर खेती की मशीनों को मुहैया कराना, मुआवजा की राशिओं को सीधे उनके बैंक खातों में भेजना तथा उनके फसल को सीधे-सीधे खरीदारों तक पहुंचाना शामिल है जिससे उन्हें सीधे लाभ दिया जा सके और भ्रष्टाचार तथा मुनाफाखोरी से किसानों की रक्षा की जा सके।

भारत के सभी नागरिकों के लिए 0 बैलेंस खाता (जन धन अकाउंट) उपलब्ध कराया गया जिसमें बिना किसी शुल्क के खातों को खोलना शामिल था। इन खातों का लाभ उन गरीब किसानों के लिए वरदान साबित हुआ जिनके पास कोई भी बैंक का खाता नहीं था।

 हाल में ही हुए सर्वे के अनुसार किसानों को इन योजनाओं का लाभ सीधे सीधे तौर पर प्राप्त होने का दावा किया गया लेकिन आज भी किसानों द्वारा की आत्महत्या की खबरें आए दिन सुनने को मिलती रहती हैं।

जिस प्रकार सीमाओं की सुरक्षा के लिए सैन्य बल अपना सर्वस्व समर्पण कर देते हैं, उसी प्रकार सीमाओं के अंदर रह रहे लोगों के लिए अन्न की व्यवस्था में किसान अपना सब कुछ दाव पर लगा देता है और बदले में उसे धन तो दूर एक अच्छी जिंदगी भी नसीब नहीं होती।

इसलिए किसानों के जीवन को और भी सुधारने की जरूरत है क्योंकि किसी भी देश की नींव वहां के किसानों को माना जाता है अगर नींव मजबूत नहीं हो तो महल भी मजबूत नहीं हो सकता।

निष्कर्ष Conclusion

essay on agriculture in hindi 100 words

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भारतीय किसान पर निबंध । Essay on Indian Farmer in Hindi

essay on agriculture in hindi 100 words

Here is a compilation of Essays on ‘Indian Farmer ’ for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Indian Farmer ’ especially written for Kids, School and College Students in Hindi Language.

List of Essays on Indian Farmer

Essay Contents:

  • भारत में किसानों की स्थिति । Essay on the Status of Farmer in India for College Students in Hindi Language

1. भारतीय किसान । Essay on Indian Farmer in Hindi Language

त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है किसान । वह जीवन भर मिट्‌टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है । तपती धूप, कड़ाके की ठंड तथा मूसलाधार बारिश भी उसकी इस साधना को तोड़ नहीं पाते । हमारे देश की लगभग सत्तर प्रतिशत आबादी आज भी गांवों में निवास करती है । जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है ।

एक कहावत है कि भारत की आत्मा किसान है जो गांवों में निवास करते हैं । किसान हमें खाद्यान्न देने के अलावा भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भी सहेज कर रखे हुए हैं । यही कारण है कि शहरों की अपेक्षा गांवों में भारतीय संस्कृति और सभ्यता अधिक देखने को मिलती है । किसान की कृषि ही शक्ति है और यही उसकी भक्ति है ।

वर्तमान संदर्भ में हमारे देश में किसान आधुनिक विष्णु है । वह देशभर को अन्न, फल, साग, सब्जी आदि दे रहा है लेकिन बदले में उसे उसका पारिश्रमिक तक नहीं मिल पा रहा है । प्राचीन काल से लेकर अब तक किसान का जीवन अभावों में ही गुजरा है । किसान मेहनती होने के साथ-साथ सादा जीवन व्यतीत करने वाला होता है ।

समय अभाव के कारण उसकी आवश्यकतायें भी बहुत सीमित होती हैं । उसकी सबसे बड़ी आवश्यकता पानी है । यदि समय पर वर्षा नहीं होती है तो किसान उदास हो जाता है । इनकी दिनचर्या रोजाना एक सी ही रहती है । किसान ब्रह्ममुहूर्त में सजग प्रहरी की भांति जग उठता है । वह घर में नहीं सोकर वहां सोता है जहां उसका पशुधन होता है ।

उठते ही पशुधन की सेवा, इसके पश्चात अपनी कर्मभूमि खेत की ओर उसके पैर खुद-ब-खुद उठ जाते हैं । उसका स्नान, भोजन तथा विश्राम आदि जो कुछ भी होता है वह एकान्त वनस्थली में होता है । वह दिनभर कठोर परिश्रम करता है । स्नान भोजन आदि अक्सर वह खेतों पर ही करता है । सांझ ढलते समय वह कंधे पर हल रख बैलों को हांकता हुआ घर लौटता है ।

कर्मभूमि में काम करने के दौरान किसान चिलचिलाती धूप के दौरान तनिक भी विचलित नहीं होता । इसी तरह मूसलाधार बारिश या फिर कड़ाके की ठंड की परवाह किये बगैर किसान अपने कृषि कार्य में जुटा रहता है । किसान के जीवन में विश्राम के लिए कोई जगह नहीं है ।

ADVERTISEMENTS:

वह निरंतर अपने कार्य में लगा रहता है । कैसी भी बाधा उसे अपने कर्तव्यों से डिगा नहीं सकती । अभाव का जीवन व्यतीत करने के बावजूद वह संतोषी प्रवृत्ति का होता है । इतना सब कुछ करने के बाद भी वह अपने जीवन की आवश्यकतायें पूरी नहीं कर पाता । अभाव में उत्पन्न होने वाला किसान अभाव में जीता है और अभाव में इस संसार से विदा ले लेता है ।

अशिक्षा, अंधविश्वास तथा समाज में व्याप्त कुरीतियां उसके साथी हैं । सरकारी कर्मचारी, बड़े जमीदार, बिचौलिया तथा व्यापारी उसके दुश्मन हैं, जो जीवन भर उसका शोषण करते रहते हैं । आज से पैंतीस वर्ष पहले के किसान और आज के किसान में बहुत अंतर आया है । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात किसान के चेहरे पर कुछ खुशी देखने को मिली है ।

अब कभी-कभी उसके मलिन-मुख पर भी ताजगी दिखाई देने लगती है । जमीदारों के शोषण से तो उसे मुक्ति मिल ही चुकी है परन्तु वह आज भी पूर्ण रूप से सुखी नहीं है । आज भी 20 या 25 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जिनके पास दो समय का भोजन नहीं है । शरीर ढकने के लिए कपड़े नहीं हैं । टूटे-फूटे मकान और टूटी हुई झोपड़ियाँ आज भी उनके महल बने हुए हैं ।

हालांकि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से किसान के जीवन में कुछ खुशियां लौटी हैं । सरकार ने ही किसानों की ओर ध्यान देना शुरू किया है । उनके अभावों को कम करने के प्रयास में कई योजनाएं सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं । किसानों को समय-समय पर गांवों में ही कार्यशाला आयोजित कर कृषि विशेषज्ञों द्वारा कृषि क्षेत्र में हुए नये अनुसंधानों की जानकारी दी जा रही है ।

इसके अलावा उन्हें रियायती दर पर उच्च स्तर के बीज, आधुनिक कृषि यंत्र, खाद आदि उपलब्ध कराये जा रहे हैं । उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने व व्यवसायिक खेती करने के लिए सरकार की ओर से बहुत कम ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराया जा रहा है ।

खेतों में सिंचाई के लिए नहरों व नलकूपों का निर्माण कराया जा रहा है । उन्हें शिक्षित करने के लिए गांवों में रात्रिकालीन स्कूल खोले जा रहे हैं । इन सब कारणों के चलते किसान के जीवन स्तर में काफी सुधार आया है । उसकी आर्थिक स्थिति भी काफी हद तक सुदृढ़ हुई है ।

2. भारतीय कृषक (किसान) | Essay on Indian Farmer for Kids in Hindi Language

भारत एक कृषि प्रधान देश है । हमारी सम्पन्नता हमारे कृषि उत्पादन पर निर्भर करती है । इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये भारतीय कृषक की एक बड़ी भूमिका है । वास्तव में भारत कृषकों की भूमि है । हमारी 75% जनता गांवों में रहती है ।

भारतीय किसान का सर्वत्र सम्मान होता है । वह ही सम्पूर्ण भारतवासियों के लिए अन्न एवं सब्जियाँ उत्पन्न करता है । पूरा वर्ष भारतीय कृषक खेत जोतने बीज बोने एव फसल उगाने में व्यस्त रहता है । वास्तव में उसका जीवन अत्यन्त व्यस्त होता है ।

वह प्रात: तड़के उठता है और अपने हल एव बैल लेकर खेतों की ओर चला जाता है । वह घन्टों खेत जोतता है । तत्पश्चात नाश्ता करता है । उसके घर-परिवार के सदस्य उसके लिये खेत में खाना लाते हैं । उसका खाना बहुत साधारण होता है ।

इसमें अधिकतर चपाती (रोटी) अचार एवं लस्सी (छाछ) होती है । खाने के पश्चात् पुन: वह अपने काम में व्यस्त हो जाता है । वह कठिन परिश्रम करता है । किन्तु कठिन परिश्रम के पश्चात भी उसे बहुत कम लाभ होता है । वह अपनी उपज को बाजार में बहुत कम दामों पर बेचता है ।

कृषक बहुत सादा जीवन जीता है । उसका पहनावा ग्रामीण होता है । वह फूस के झोपड़ी में रहता है हालांकि पँजाब हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के बहुत से कृषकों के पक्के मकान भी हैं । उसकी सम्पत्ति कुछ बैल हल एवं कुछ एकड़ धरती ही होती है । वह अधिकतर अभावों का जीवन जीता है ।

एक कृषक राष्ट्र की आत्मा होता है । हमारे दिवंगत राष्ट्रपति श्री लाल बहादुर शास्त्री ने नारा दिया था ‘जय किसान जय जवान’ । उन्होंने कहा था कि कृषक राष्ट्र का अन्नदाता है । उसी पर कृषि उत्पादन निर्भर करता है । उन्हें कृषि के सभी आधुनिकतम यंत्र एव उपयोगी रसायन उपलब्ध कराने चाहिये ताकि वह अधिक उत्पादन कर सके ।

3. भारतीय किसान । Essay on Indian Farmer for School Students in Hindi Language

1. प्रस्तावना ।

2. भारतीय किसान की एवं उसका महत्त्व ।

3. उपसंहार ।

1 . प्रस्तावना:

भारत एक कृषि प्रधान देश है । यहां की अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि ही है । कृषि कर्म ही जिनके जीवन का आधार हो, वह है कृषक । कृषि प्रधान देश होने के कारण हमारे देश की अर्थव्यवस्था का लगभग समूचा भार भारतीय किसान के कन्धों पर ही है ।

चूंकि हमारे देश की अधिकांश जनता गांवों में निवास करती है, अत: भारतीय किसान ग्रामीण वातावरण में ही रहकर विषमताओं से जूझते हुए अपने कर्म में नि:स्वार्थ भाव से लगा रहता है । इस अर्थ में भारतीय किसान का समूचा जीवन उसके अपूर्व त्याग, तपस्या, परिश्रम, ईमानदारी, लगन व कर्तव्यनिष्ठा की अद्‌भुत मिसाल है ।

जीवन की तमाम विसंगतियों, विपन्नताओं एवं अभावों से जूझते हुए, सृष्टि के जीवों की क्षुधा को शान्त करता है । अपने मेहनतकश हाथों से अन्न के दानों और रोटी को तैयार करने वाला भारतीय किसान अपने कर्म में निरन्तर गतिशील रहता है ।

2. भारतीय किसान की स्थिति एवं महत्त्व:

भारतीय किसान धरती माता का सच्चा सपूत है । वह ऋषि-मुनियों, सन्त-महात्माओं के जीवन के उच्चादर्शो के काफी निकट है; क्योंकि वह भीषण गरमी में गम्भीर आघातों को सहकर, कड़ाके की ठण्ड में और बरसते हुए पानी में रहकर अपने कर्म में बड़ी ही ईमानदारी एवं तत्परता से लगा रहता है ।

धरती के समूचे प्राणियों के जीवन के लिए अन्न उपजाने वाला भारतीय किसान इतना परोपकारी एवं मेहनती है कि वह अपने स्वार्थ व सुख की तनिक भी चिन्ता नहीं करता । उसका जीवन अत्यन्त सीधा-सादा है । शरीर पर धोती, अंगरखा, गमछा और नंगे पैर रहकर भी दूसरों के लिए अन्न उपजाना ही उसका ध्येय है ।

प्रात: काल सूरज के उगने के साथ सायंकाल सूरज के डूबने तक खेतों में काम करना ही उसके जीवन की साधना है । घर पर अपने पशुओं की सेवा करने में भी वह जरा सी भी सुस्ती नहीं करता । जहां तक भारतीय किसान की स्थिति है, वह अत्यन्त दयनीय है । 50 प्रतिशत से अधिक भारतीय किसान जमींदारों, पूंजीपतियों, साहूकारों के आर्थिक शोषण का शिकार है ।

ऋणग्रस्तता ने उन्हें गरीबी के मुंह में धकेल दिया है । जमींदारों के कर्ज के बोझ तले दबा हुआ उसका जीवन कभी अकाल, तो कभी महामारी तो कभी बाढ़ या सूखे की चपेट में आ जाता है । ऐसी स्थिति में उसे असमय ही मृत्यु वरण करने को विवश होना पड़ता है । कई बार तो उन्हें सपरिवार सामूहिक रूप में भीषण गरीबी से जूझते हुए आत्महत्या भी करनी पड़ जाती है ।

कर्ज के बोझ तले दबा उसका जीवन किसी बंधुआ मजूदर के जीवन से कुछ कम नहीं होता । सच कहा जाये, तो वह कर्ज में ही पैदा होता है और कर्ज में ही मर जाता है । उसके बैलों की प्यारी जोड़ी भी उसके हल के साथ बिक जाती है ।

अथक परिश्रम से तैयार की गयी फसल खलिहान तक पहुंचने से पहले साहूकार, जमींदार के हाथों में पहुंच जाती है । उसकी इस आर्थिक अभावग्रस्त पीड़ा की व्यथा-कथा को वही समझ सकता है ।

भारतीय किसान का जीवन तो करुणा का महासागर है । स्वयं अन्न उपजाने के बाद भी उसे तथा उसके परिवार को भरपेट खाने को अन्न नहीं मिलता । किसान के लिए कृषि एक जुआ है । प्रकृति पर निर्भरता उसके जीवन की जटिल समस्या है ।

सिंचाई के साधनों के अभाव में उसे पूरी तरह से मानसून पर निर्भर रहना पड़ता है । अशिक्षा एवं गरीबी के कारण वह कृषि के परम्परागत साधनों को अपनाने के लिए मजबूर हो जाता है ।

आज के वैज्ञानिक युग के अनुरूप वह कृषि को वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार व्यावहारिक रूप से अपनाने में स्वयं को असमर्थ पाता है । सरकारी नीतियां और योजनाएं उसके लिए लाभकारी होते हुए भी प्रभावी सिद्ध नहीं होती हैं । वर्तमान व्यवस्था भी कम दोषपूर्ण नहीं है, जिसमें भ्रष्टाचार का बोलबाला है ।

बिचौलिये और दलाल उसे कहीं का नहीं छोड़ते । सामाजिक रूढ़ियां एवं उसकी स्वयं की संकीर्ण विचारधारा भी उसके सुविधासम्पन्न जीवन के मार्ग में बहुत बड़ी बाधा है । वह कृषि के नये-नये वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करने में स्वयं को असमर्थ पाता है । शिक्षा एवं गरीबी के कारण उसका स्वारथ्य भी कुप्रभावित हो जाता है, जिसकी वजह से उसकी कार्यक्षमता भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहती ।

कृषकों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अपनी बहुत-सी नीतियों एवं योजनाओं में भारतीय किसानों को प्राथमिकताएं प्रदान की है । वर्षा पर उसकी निर्भरता को कम करने के लिए सरकार द्वारा विशालकाय तालाब, कुएं, नलकूप एवं नहरों का निर्माण किया गया, जिसके सुचारु संचालन के लिए जो बिजली खपत की जाती है, सरकार उसे अत्यन्त कम दर पर प्रदान करती है ।

कई राज्यों में तो उसे मुपत भी प्रदान करने की सुविधाएं हैं । गांव-गांव में सहकारी भण्डारों एवं समितियों द्वारा उन्हें उतम बीज, उत्तम खाद, कृषि यन्त्र की सरकारी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं । कम ब्याज पर उसे बैंकों से ण प्राप्त करने की विशेष सुविधाएं प्रदान की गयी हैं । गरीब किसानों, भूमिहर किसानों को भूमि भी प्रदान करने की सरकारी योजनाएं उसके हित में हैं ।

सरकारी योजनाओं में किसानों के लिए उनके माल के उचित भण्डारण हेतु व्यवस्थित स्थान दिलाना, उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाना आदि शामिल हैं । भूमिहीन किसान, जो जमींदारों, साहूकारों के शोषण का शिकार हो रहे हैं, सरकार उन्हें इस प्रकार के शोषण से मुक्त करने हेतु पंचायती राज्य सम्बन्धी योजनाएं बना रही है । उनके शोषण के विरुद्ध कानून बनाये जाने की प्रक्रिया भी निरन्तर चल रही है । उनके रहन-सहन के स्तर को सुधारने हेतु भी कई ग्रामीण योजनाओं की व्यवस्था पंचायती राज में की गयी है ।

3. उपसंहार:

यह बात निःसन्देह रूप से सच है कि भारतीय किसान एक मेहनतकश किसान है । प्रकृति तथा परिस्थितियों की विषमताओं से जूझने की अच्छी क्षमता उसमें विद्यमान है । आधुनिकतम वैज्ञानिक साधनों को अपनाकर वह खेती करने के अनेक तरीके सीख रहा है ।

पहले की तुलना में वह अब अधिक अन्न उत्पादन करने लगा है । शिक्षा के माध्यम से उसमें काफी जागरूकता आ गयी है । वह अपने अधिकारों के प्रति काफी सजग होने लगा है । कुछ परिस्थितियों को छोड़कर अधिकांश स्थितियों में वह कृषि पर आधारित अपनी जीवनशैली में भी बदलाव ला रहा है । उसका परिवार भी अब शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं को प्राप्त कर रहा है ।

देश की प्रगति एवं विकास में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निबाहने वाला भारतीय किसान अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार स्तम्भ है । उसकी मेहनतकश जिन्दगी को सारा देश नमन करता है । सच कहा जाये, तो भारतीय किसान एक महान् किसान है, महान् इंसान है ।

4. भारतीय किसान | Essay on Indian Farmer for College Students in Hindi Language

भारतीय किसान भारतीय की सजीव मूर्ति है । ‘सादा जीवन उच्च-विचार । यह देखो भारतीय किसान’ इस कहावत की सत्यता हमें भारतीय किसान को देखकर सहज ही हो जाती है । ‘भारतीय किसान’ भारतीयता का प्रतिनिधि है । उसमें ही भारत की आत्मा निवास करती है । ऐसा कुछ कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है । सचमुच में भारतीय किसान भारत माँ की प्यारी संतान है ।

भारत माँ की प्यारी संतान भारतीय किसान है; इस कथन के समर्थन में हम यही कहेंगे कि हमारा भारत गाँवों में ही निवास करता है । इस संदर्भ में कविवर सुमित्रानंदन पंत की यह कविता सहज ही याद आ जाती है –

” है अपना हिन्दुस्तान कहाँ ? यह बसा हमारे गाँवों में । ”

सचमुच में हमारा भारत गाँवों में ही बसता है, क्योंकि हमारे देश की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में ही रहती है । जो गाँवों को छोड़कर के शहरों में किसी कारण वस चले जाते हैं, वे भी गाँव की संस्कृति और सभ्यता में ही पले होते हैं ।

भारतीय किसान का जीवन सभ्यता और संस्कृति के इस ऊँचे भवन के नीचे अब फटेहाल और नंगा है । भारतीय किसान का मुख्य धंधा कृषि है । कृषि ही उसकी भक्ति है और कृषि ही उसकी शक्ति है । कृषि ही उसकी निद्रा है और कृषि ही उसका जागरण है । इसलिए भारतीय किसान कृषि के दुःख दर्द और अभाव को बड़े ही साहस और हिम्मत के साथ सहता है । अभाव को बार-बार प्राप्त करने के कारण उसका जीवन ही अभावग्रस्त हो गया है । उसने अपने जीवन को अभाव का सामना करने के लिए पूरी तरह से लगा दिया, फिर भी वह अभावों से मुक्त न हो सका ।

भारतीय किसान अपने जीवन के अभावों से कभी भी मुक्त नहीं हो पाता है । इसके कई करण हैं-सर्वप्रथम उसकी संतुष्टि, अशिक्षा, अज्ञानता आदि है, तो दूसरी ओर आधुनिकता से दूरी, संकीर्णता, कूपमण्डूकता आदि हैं । इस कारण भारतीय किसान आजीवन दुःखी और अभावग्रस्त रहता है ।

वह स्वयं तो अशिक्षित होता ही है अपनी संतान को भी इसी अभिशाप को झेलने के लिए विवश कर देता है । फलत: उसका पूरा परिवार अज्ञानता के भँवर में मँडराता रहता है । भारतीय किसान इसी अज्ञानता और अशिक्षा के कारण संकीर्ण और कृपमण्डूक बना रहता है ।

भाग्यवादी होना भारतीय किसान की जीवन की सबसे बड़ी विडम्बना है । वह कृषि के उत्पादन और उसकी बरवादी को अपनी भाग्य और दुर्भाग्य की रेखा मानकर निराश हो जाता है । वह भाग्य के सहारे अकर्मण्य होकर बैठ जाता है ।

वह कभी भी नहीं सोचता है कि कृषि कर्मक्षेत्र है, जहाँ केवल कर्म ही साथ देता है, भाग्य नहीं । वह तो केवल यही मानकर चलता है कि कृषि-कर्म तो उसने कर दिया है, अब उत्पादन होना न होना तो विधाता के वश की बात है । उसके वश की बात नहीं हैं ।

इसलिए सूखा पड़ने पर, पाला मारने पर या ओले पड़ने पर वह चुपचाप ईश्वराधीन का पाठ पढ़ता है । इसके बाद तत्काल उसे क्या करना चाहिए या इससे पहले किस तरह से बचाव या निगरानी करनी चाहिए थी, इसके विषय में प्राय: भाग्यवादी बनकर वह निश्चिन्त बना रहता है ।

रूढ़िवादिता और परम्परावादी होना भारतीय किसान के स्वभाव की मूल विशेषताएँ हैं । यह शताब्दी से चली आ रही कृषि का उपकरण या यंत्र है । इस को अपनाते रहना उसकी वह रूढ़िवादिता नहीं है । तो और क्या है? इसी अर्थ में भारतीय किसान परम्परावादी, दृष्टिकोण का पोषक और पालक है, जिसे हम देखते ही समझ लेते हैं ।

आधुनिक कृषि के विभिन्न साधनों और आवश्यकताओं को विज्ञान की इस धमा-चौकड़ी प्रधान युग में भी न समझना या अपनाना भारतीय किसान की परम्परावादी दृष्टिकोण का ही प्रमाण है । इस प्रकार भारतीय किसान एक सीमित और परम्परावादी सिद्धान्तों को अपनाने वाला प्राणी है । अंधविश्वासी होना भी भारतीय किसान के चरित्र की एक बहुत बड़ी विशेषता है । अंधविश्वासी होने के कारण भारतीय किसान विभिन्न प्रकार की सामाजिक विषमताओं में उलझा रहता है ।

इस प्रकार भारतीय किसान भाग्यवादी संकीर्ण, परम्परावादी, अज्ञानता, अंधविश्वासी आदि होने के कारण दुःखी और चिन्तित रहता है । फिर भी वह कर्मठ और सत्यता की मूर्ति है । वह मानवता का प्रतीक आत्म-संतुष्ट जीवन यापन करने वाला हमारे समाज का विश्वस्त प्राणी है, जिसे किसी कवि ने संकेत रूप से चित्रित करते हुए कहा है:

बरसा रहा है रवि अनल , भूतल तवा – सा जल रहा । है चल रहा , सन – सन पवन , तन से पसीना ढल रहा । देखो कृषक शोणित सुखाकर , हल तथापि चला रहे । किस लोभ से वे इस आंच में निज शरीर जला रहे । मध्याह्न उनकी स्त्रियाँ ले रोटियाँ पहुँची वहीं । हैं रोटियाँ रुखी – सूखी , साग की चिन्ता नहीं । भरपेट भोजन पा गए , तो भाग्य मानो जग गए ।। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि भारतीय किसान हमारी भारतीयता की सच्ची मूर्ति है ।

5. भारतीय किसान | Essay on Indian Farmer for College Students in Hindi Language

वर्तमान युग में भारत के कृषक, यानी किसान की स्थिति पहले की तुलना में काफी अच्छी है । पहले की तुलना में आज का भारतीय किसान निरन्तर उन्नति कर रहा है । आज के वैज्ञानिक युग में वैज्ञानिक सुविधाओं का लाभ किसान वर्ग को भी मिला है ।

पहले केवल बड़े जमींदार किसानों का जीवन सुविधा-सम्पन्न हुआ करता था । तब छोटे किसान अभावों में ही जीवन व्यतीत किया करते थे । पहले बुवाई, सिंचाई, कटाई आदि की वैज्ञानिक सुविधाएँ नहीं थी ।

सिंचाई के लिए किसानों को भगवान भरोसे रहकर वर्षा की प्रतीक्षा करनी पड़ती थी । पहले किसान परिश्रम अधिक करता था और उसे कम फसल प्राप्त होती थी । परन्तु वर्तमान युग में बड़े किसानों के साथ-साथ कम जमीन के मालिक किसान भी फल-फूल रहे हैं । मजदूर किसान की स्थिति अवश्य दुखद है ।

वह आज भी अभावों में जीवन व्यतीत करने के लिए विवश है ।हमारे देश भारत में समस्त किसानों की स्थिति एक समान नहीं है । हजारों एकड़ जमीन के स्वामी किसान स्वयं तो नाम किसान होते हैं । इनके खेत-खलीहानों में अन्य मजदूर सान काम करते हैं ।

इन बड़े किसानों का खेती में धन व्यय गेता है, परिश्रम मजदूरों का होता है । कम जमीन के स्वामी किसान धन के साथ-साथ अपना परिश्रम भी खेती के लिए खर्च करते हैं । भारत में ऐसे किसानों की संख्या भी कम नहीं है, जिनकी अपनी कृषि-भूमि नहीं है । ऐसे किसान अन्य कृषि-भूमि मालिकों की जमीन पर खेती करते हैं ।

भूमि-मालिक इसके एवज में उनसे नगद धन राशि अथवा आधी फसल लेते हैं । यहाँ ऐसे भी भूमिहीन किसान हैं जो अन्य भूमि-मालिकों की जमीन पर एक निश्चित धनराशि देकर खेती करने में सक्षम नहीं हैं ।

ये मजदूर किसान दूसरों की जमीन पर मजदूरी करके ही जीवन यापन करने का प्रयत्न करते हैं ।

भारत का मजदूर किसान आरम्भ से ही अभावग्रस्त जीवन व्यतीत कर रहा है । दिन-रात खटने के बाद भी वह कठिनाई से अपने परिवार का भरण-पोषण कर पाता है । आधुनिक वैज्ञानिक सुविधाओं से छोटे-बड़े भूमि-मालिक किसानों को लाभ हुआ है, परन्तु भूमि-हीन मजदूर किसान की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है ।

वह मजदूरी के लिए कभी एक भूमि मालिक के खेतों पर जाता है कभी दूसरे के । मजदूरी के लिए उसे दूसरे गाँवों की खाक छानने भी जाना पड़ता हए । ऐसे किसानों के जीवन में कष्ट अधिक हैं । पेट की भूख शान्त करने के लिए ऐसे मजदूर किसानों की पत्नी और बच्चों को भी खेतों पर काम करने जाना पड़ता है ।

परिस्थितियों से घबराकर अनेक मजदूर किसान पलायन करके नगरों महानगरों की ओर भी बढ़ रहे हैं । नगरों, महानगरों में जाकर ये किसान मजदूर मिल-कारखानों आदि में रोजगार तलाश करते हैं । इनके पलायन के कारण गाँवों में मजदूरों का अभाव बढ़ने लगा है ।

भूमि-मालिक किसानों को आवश्यकता पड़ने पर अन्य राज्यों से मजदूर बुलाने पड़ते हैं । वर्तमान में वैज्ञानिक सुविधाओं के कारण भूमि-मालिक किसानों की स्थिति में अवश्य निरन्तर सुधार हो रहा है । किसानों को बिजली, पानी, ट्रैक्टर आदि की सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध हो रही हैं ।

उन्हें सस्ती दरों पर सरकार से खेती के लिए ब्याज भी उपलब्ध हो रहा है । आज किसान मनचाहे ढंग से अपनी कृषि-भूमि का उपयोग कर रहा है ।

नगरों के निकट स्थित गाँब के किसान सब्जियों की फसल उगाकर भी लाभ उठा रहे हैं आज का किसान अपनी कृषि-भूमि पर मुर्गी-पालन, मछली-पालन, मधुमक्खी-पालन आदि अधिक लाभ के कार्य भी कर रहा है इसके अतिरिक्त आज का किसान गाय-भैंस की डेयरी के द्वार दूध के व्यवसाय में भी फल-फूल रहा है । आज भारत क किसान भूखा-नंगा नहीं, बल्कि समृद्ध है ।

6. भारत में किसानों की स्थिति । Essay on the Status of Farmer in India for College Students in Hindi Language

भारत कृषि-प्रधान देश है । यहाँ की अधिकांश जनता गाँवों में रहती है । यह जनता कृषि-कार्य करके अपना ही नहीं, अपने देश का भी भरण-पोषण करती है । भारत में लगभग सात लाख गाँव हैं और इन गाँवों में अधिकांश किसान ही बसते हैं । यही भारत के अन्नदाता हैं ।

यदि भारत को उन्नतिशील और सबल राष्ट्र बनाना है तो पहले किसानों को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाना होगा । किसानों की उपेक्षा करके तथा उन्हें दीनावस्था में रखकर भारत को कभी समृद्ध और ऐश्वर्यशाली नहीं बनाया जा सकता ।

भारतीय किसान साल भर मेहनत करता है, अन्न पैदा करता है तथा देशवासियों को खाद्यान्न प्रदान करता है; किंतु बदले में उसे मिलती है उपेक्षा । वह अन्नदाता होते हुए भी स्वयं भूखा और अधनंगा ही रहता है  ।  वास्तव में, भारतीय किसान दीनता की सजीव प्रतिमा है ।

उसके पैरों में जूते नहीं, शरीर पर कपड़े नहीं, चेहरे पर रौनक नहीं तथा शरीर में शक्ति भी नहीं होती । अधिकांश भारतीय किसान जीवित नर-कंकाल सदृश दिखाई पड़ते हैं । आज का भारतीय किसान संसार के अन्य देशों के किसानों की अपेक्षा बहुत पिछड़ा हुआ है । इसका मूल कारण है: कृषि की अवैज्ञानिक रीति ।

यद्यपि संसार में विज्ञान ने इतनी उन्नति कर ली है तथापि हमारे देश का अधिकतर किसान आज भी पारंपरिक हल-बैल लेकर खेती करता है । सिंचाई के साधन भी उसके पास नहीं हैं । उसे अपनी खेती की सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता है । तुलनात्मक रूप से वह अन्य देशों के किसानों की अपेक्षा मेहनत भी अधिक करता है, फिर भी अन्न कम ही उत्पन्न कर पाता है ।

यदि भारतीय किसान भी खेती के नए वैज्ञानिक तरीकों को अपना लें तो उन्हें भी कृषि-कार्य में अभूतपूर्व सफलता मिलेगी । इससे वे अपना जीवन-स्तर ऊँचा उठा सकेंगे । भारतीय किसान की हीनावस्था का दूसरा कारण है: अशिक्षा ।

अशिक्षा के कारण ही भारतीय किसान सामाजिक कुरीतियों, कुसंस्कारों में बुरी तरह जकड़े हुए हैं और पुरानी रूढ़ियों को तोड़ना पाप समझते हैं । फलस्वरूप शादी-विवाह, जन्म-मरण के अवसर पर भी झूठी मान-प्रतिष्ठा और लोक-लज्जा के कारण उधार लेकर भी भोज आदि पर खूब खर्च करते हैं और सदैव कर्ज में डूबे रहते हैं । अंतत: कर्ज में ही मर जाते हैं ।

यही उनका वास्तविक जीवन है और नियति भी । भारतीय किसान खेती के अतिरिक्त अन्य उद्योग-धंधे नहीं अपनाते । फलस्वरूप खाली समय को वे व्यर्थ ही व्यतीत कर देते हैं । इससे भी उन्हें आर्थिक हानि होती है । सरकार को यदि किसानों के जीवन में सुधार लाना है तो सर्वप्रथम उन्हें शिक्षित करना चाहिए ।

गाँव-गाँव में शिक्षा का प्रसार करके अविद्या का नाश करना चाहिए । किसानों की शिक्षा के लिए रात्रि-पाठशालाएँ तथा प्रौढ़-पाठशालाएं खोलनी चाहिए, जहाँ कृषि-कार्य से छुट्‌टी पाकर कृषक विद्या प्राप्त कर सकें । शिक्षा के द्वारा ही किसान समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने में सक्षम हो सकते हैं । किसानों को कृषि के वैज्ञानिक तरीकों से परिचित कराना चाहिए ।

उन्हें उचित मूल्य पर नए ढंग के औजार तथा बीज एवं खाद आदि उपलब्ध कराए जाने चाहिए । किसानों के लिए सिंचाई के साधन भी जुटाने की चेष्टा करनी चाहिए, जिससे वे केवल वर्षा पर ही निर्भर न रहें । गाँव-गाँव में सरकारी समितियाँ खुलनी चाहिए, जो किसानों को अच्छे बीज तथा उचित ऋण देकर उन्हें सूदखोरों से बचाएँ ।

भारतीय किसान के जीवन-स्तर को ऊँचा उठाने के लिए कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए । किसानों को कपड़ा बुनने, रस्सी बनाने, टोकरी बनाने, पशु-पालन तथा अन्य उद्योग- धंधों की शिक्षा मिलनी चाहिए, जिससे वे अपने खाली समय का सदुपयोग करके अपनी आर्थिक उन्नति कर सकें ।

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भारतीय किसान पर निबंध 10 lines (Indian Farmer Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

essay on agriculture in hindi 100 words

 भारतीय किसान पर निबंध (Indian Farmer Essay in Hindi) – एक किसान हमें जीवित रहने के लिए आवश्यक भोजन प्रदान करने के लिए अथक परिश्रम करता है। कड़ी मेहनत के बावजूद, कई किसानों को खराब मिट्टी की गुणवत्ता, आधुनिक तकनीक तक पहुंच की कमी और अपर्याप्त सरकारी सहायता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों ने किसानों के बीच व्यापक गरीबी और संकट को जन्म दिया है। हालांकि, सरकार की पहल और तकनीक की मदद से स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। किसान अब बेहतर बीज, सिंचाई और वित्तीय सहायता प्राप्त करने में सक्षम हैं। इससे फसल की पैदावार में वृद्धि हुई है और कई लोगों की आजीविका में सुधार हुआ है।

भारतीय किसान पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines on Indian Farmer in Hindi)

  • 1) भारत को गाँवों की भूमि कहा जाता है और गाँवों में रहने वाले लोग ज्यादातर खेती में शामिल हैं।
  • 2) भारत के किसानों को “अन्नदाता” या राष्ट्र का अन्नदाता कहा जाता है।
  • 3) किसान पूरे देश का पेट भरते हैं क्योंकि वे जो उगाते हैं उसे पूरी आबादी खाती है।
  • 4) किसान अपने खेतों में खाने के साथ-साथ अपनी आजीविका के लिए खाद्यान्न उगाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं।
  • 5) किसान खेतों में अनाज उगाते हैं और पकने के बाद उन अनाजों को पास की “मंडियों” में बेचते हैं।
  • 6) 1970 के दशक के दौरान, भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था और अमेरिका से खाद्यान्न आयात करता था।
  • 7) पूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने सैनिकों और किसानों को महत्व देते हुए “जय जवान जय किसान” का नारा दिया।
  • 8) विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ कृषि में भारी बदलाव आया, जिसके परिणामस्वरूप भारत में ‘हरित क्रांति’ हुई।
  • 9) गाँवों में ऐसे कई परिवार हैं जहाँ हर सदस्य खेती से जुड़ा हुआ है और अपने परिवार के लिए आजीविका कमाता है।
  • 10) गाँवों में खेती ही मुख्य व्यवसाय है जो कई पीढ़ियों से चला आ रहा है।

भारतीय किसान पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

भारतीय किसान देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और कृषि भारतीय आबादी के बहुमत के लिए आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। भारतीय किसान मेहनती और लचीले व्यक्ति हैं जो हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हालाँकि, भारत में किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें ऋण तक पहुँच की कमी, आधुनिक तकनीक तक पहुँच की कमी और सिंचाई और जल प्रबंधन से संबंधित चुनौतियाँ शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण भी भारत में किसानों को प्रभावित कर रहे हैं। भारत सरकार और समाज को इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए कदम उठाने चाहिए और देश के लिए एक स्थायी और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए भारतीय किसान का समर्थन करना चाहिए।

इनके बारे मे भी जाने

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भारतीय किसान पर 150 शब्दों का निबंध (150 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

भारत में खेती एक महत्वपूर्ण कार्य है जो हमारे देश की अर्थव्यवस्था को ठीक से काम करता रहता है। यह न केवल देश के नागरिक को भोजन प्रदान करता है बल्कि रोजगार भी प्रदान करता है। देश के लगभग 40% नियोजित लोग कृषि क्षेत्र और उसके सहायक क्षेत्र के नियोक्ता हैं। खेती में बहुत श्रम की आवश्यकता होती है।

काम श्रमसाध्य है और इसके लिए अनुशासन और धैर्य की आवश्यकता होती है। किसानों के पास यह समझने का काम है कि मानसून भारतीय उपमहाद्वीप में कब और कैसे दस्तक देगा। मानसून के अनियमित होने से फसल की उपज और फसल की वृद्धि में भारी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। इस क्षति को अधिक होने से रोकने के लिए, कृषि में शामिल ग्रामीण लोगों को वैज्ञानिक रूप से खेती सिखाई जा रही है।

कई गैर-सरकारी संगठन देश की कृषि भूमि का दौरा करते हैं और उन्हें सिखाते हैं कि सही तरीके से बीज कैसे बोएं और खेती के लाभों को कैसे प्राप्त करें। वे किसानों को यह भी सिखाते हैं कि वितरकों को बेचने से पहले फसल की सही कीमत कैसे लगाई जाए।

भारतीय किसान पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

भारतीय किसान देश की अर्थव्यवस्था और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, जैसे कि खराब बुनियादी ढांचा, ऋण और बाजारों तक पहुंच की कमी, और अप्रत्याशित मौसम, वे देश को खिलाने के लिए अथक रूप से काम कर रहे हैं। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण भारत की कृषि की रीढ़ है, जो अधिकांश आबादी के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत है। भारतीय किसान लचीलापन और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, और देश में उनके योगदान को पहचाना और मनाया जाना चाहिए।

अर्थव्यवस्था में भारतीय किसानों की भूमिका

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और भारतीय किसान देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कृषि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 17% है और देश के कर्मचारियों की संख्या का लगभग 50% कार्यरत है। भारतीय किसान न केवल फसलें उगाते हैं बल्कि पशुधन भी पालते हैं, जो कई परिवारों के लिए भोजन और आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

देश के निर्यात में कृषि का प्रमुख योगदान है, चावल, गेहूं और कपास जैसी फसलें कुछ प्रमुख निर्यात वस्तुएँ हैं। इसके अलावा, भारतीय किसान देश की खाद्य सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक है, और देश में किसान चावल, गेहूं, मक्का, गन्ना और फलों और सब्जियों सहित कई प्रकार की फसलों का उत्पादन करते हैं।

भारतीय किसान पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

वर्तमान समय और युग में, सरकार किसानों का बहुत ध्यान रख रही है। ऐसी कई लाभकारी योजनाएँ हैं जो न केवल किसानों को आसान ऋण प्रदान करती हैं बल्कि उन्हें कच्चा माल भी देती हैं जिससे वे खेती की प्रक्रिया को नया रूप दे सकते हैं। भारत के बाहर कई देशों में, कृषि तकनीक उन्नत और अत्यधिक वैज्ञानिक हो गई है।

देश में कई हिस्से ऐसे थे जहां कृषि योग्य भूमि को बढ़ाने के लिए वनों को काटकर जलाना अब भी जारी है। इसी विवेकपूर्ण सोच के तहत हमें कृषि गतिविधियों को विनियमित करना होगा। भारत में रहने वाले अधिकांश किसान गरीब हैं। उन्हें नियमित राशन का लाभ नहीं मिल पाता है। किसान निराशाजनक परिस्थितियों में रहते हैं और अक्सर भूख से मर जाते हैं। हाल के युग में किसानों के बीच आत्महत्या अधिक आम हो गई है।

सरकार ने कृषि गतिविधियों में शामिल लोगों के जीवन पर लगातार नजर रखी है। जीवन शैली में सुधार के लिए सरकार नई योजनाएं लेकर आई है। किसानों को सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इन ऋणों पर वापसी की अवधि भी लंबी होती है।

कई कृषि गतिविधियाँ अभी भी आदिम तरीकों से की जाती हैं। हाल के वर्षों में सिंचाई को लोकप्रिय बनाया गया है। कई कॉलेजों में दशकों से कृषि विज्ञान पढ़ाया जा रहा है। यह केवल अब है कि ऐसे पाठ्यक्रमों में नामांकन बढ़ रहा है। अंग्रेजों के शासन में किसानों को भी कष्ट उठाना पड़ा।

अंग्रेजों ने कई उद्योगों को भी नष्ट कर दिया जिनका कच्चा माल कृषि गतिविधियों द्वारा प्रदान किया जाता था। हालांकि किसानों को जबरदस्त नुकसान हुआ, लेकिन हम यह नहीं भूल सकते कि देश को बनाए रखने में उनकी नौकरियां कितनी महत्वपूर्ण हैं।

भारतीय किसान पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

मुझे लगता है कि किसान हमारे देश के लिए वही भूमिका निभाता है जो मानव शरीर के लिए रीढ़ निभाता है। समस्या यह है कि यह रीढ़ (हमारा किसान) कई समस्याओं से जूझ रहा है। कभी-कभी, उनमें से कई एक दिन में दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पाते हैं। तमाम कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, वे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। उनमें से कुछ की चर्चा नीचे की गई है।

भारतीय किसान का महत्व

  • वे देश के खाद्य उत्पादक हैं

1970 के दशक के अंत से पहले भारत अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त खाद्यान्न का उत्पादन करने में सक्षम नहीं था। दूसरे शब्दों में, भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं था। हम विदेशों से (मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका से) बड़ी मात्रा में खाद्यान्न आयात करते थे। कुछ समय तक तो ठीक चला लेकिन बाद में अमेरिका ने हमें व्यापार पर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।

उन्होंने खाद्यान्न की आपूर्ति पूरी तरह से बंद करने की धमकी भी दी। तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने चुनौती स्वीकार की और “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया और कुछ कठोर उपाय किए, जिसके परिणामस्वरूप हरित क्रांति हुई और उसके कारण हम खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बने और यहां तक ​​कि शुरुआत भी की। अधिशेष उत्पादन का निर्यात करना।

उसके बाद से भारत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हमारे किसानों ने कई समस्याओं का सामना करने के बावजूद हमें कभी निराश नहीं होने दिया। वे बढ़ती आबादी की मांग को पूरा करने में सक्षम हैं।

  • भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक

किसान भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग 17% योगदान करते हैं। इसके बाद भी वे गरीबी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसके कई कारण हैं। यदि हम विभिन्न बाधाओं को दूर करने में सक्षम हैं, तो इस प्रतिशत में सुधार होने की अच्छी संभावना है।

  • सभी किसान स्वरोजगार हैं

किसान रोजगार के लिए किसी अन्य स्रोत पर निर्भर नहीं हैं। वे स्वयं नियोजित हैं और दूसरों के लिए रोजगार भी पैदा करते हैं।

आजादी के बाद से हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। मुझे यकीन है कि अगर हम ईमानदारी से काम करेंगे तो हम आज जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उन पर काबू पा सकेंगे और ईश्वर की कृपा से हमारे गांव उतने ही सुंदर और समृद्ध बनेंगे, जितने कि बॉलीवुड फिल्मों में दिखाए जाते हैं।

भारतीय किसान पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

भारतीय किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। अधिकांश भारतीय आबादी के लिए कृषि आजीविका का प्राथमिक स्रोत है, और किसान देश के कार्यबल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस तथ्य के बावजूद कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का महत्वपूर्ण हिस्सा है, भारत में किसान हाल के वर्षों में कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

भारतीय किसानों के सामने चुनौतियां

देश की अर्थव्यवस्था में भारतीय किसान द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, भारत में किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भारतीय किसानों के सामने प्रमुख चुनौतियों में से एक ऋण तक पहुंच की कमी है। भारत में कई किसान छोटे और सीमांत किसान हैं जिनके पास आधुनिक कृषि तकनीकों में निवेश करने के लिए वित्तीय संसाधन नहीं हैं। नतीजतन, वे अक्सर उन साहूकारों पर भरोसा करने के लिए मजबूर हो जाते हैं जो अत्यधिक ब्याज दर वसूलते हैं, जिससे उनके लिए अपने ऋण चुकाना मुश्किल हो जाता है।

भारतीय किसानों के सामने एक और बड़ी चुनौती आधुनिक तकनीक तक पहुंच की कमी है। भारत में कई किसान अभी भी पारंपरिक खेती के तरीकों पर भरोसा करते हैं, जो श्रम-गहन हैं और अक्सर कम पैदावार का कारण बनते हैं। इसके अलावा, भारत में किसानों को सिंचाई और जल प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। देश के कई हिस्सों में, किसान अपनी फसलों के लिए मानसून की बारिश पर निर्भर हैं, जो अप्रत्याशित हो सकती है और फसल की विफलता का कारण बन सकती है।

शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) की कहानी

सुभाष पालेकर भारत के महाराष्ट्र राज्य के एक किसान हैं। उन्होंने कम उम्र में ही खेती करना शुरू कर दिया था, लेकिन भारत के कई किसानों की तरह उन्हें भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें कम उपज और वित्तीय कठिनाइयाँ शामिल थीं। हालाँकि, सुभाष ने हार मानने के बजाय मामलों को अपने हाथों में लेने का फैसला किया और खेती की विभिन्न तकनीकों के साथ प्रयोग करना शुरू किया।

उनके द्वारा विकसित तकनीकों में से एक शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) थी। खेती की यह विधि मिट्टी की उर्वरता में सुधार के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों, जैसे गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग करने और कीटों को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक शिकारियों पर निर्भर रहने के सिद्धांतों पर आधारित है। सुभाष की पद्धति न केवल अधिक टिकाऊ थी, बल्कि इससे फसल की पैदावार भी बढ़ी और किसानों की लागत भी कम हुई।

सुभाष की ZBNF पद्धति ने क्षेत्र के अन्य किसानों का ध्यान आकर्षित किया, और जल्द ही, वे देश भर में यात्रा कर रहे थे, अन्य किसानों को अपनी तकनीकों के बारे में सिखा रहे थे। उनके काम ने हजारों किसानों को उनकी उपज में सुधार करने और उनकी आय बढ़ाने में मदद की है।

सुभाष की कहानी भारत में कई किसानों के लिए एक प्रेरणा है, और उनके काम को भारत सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा मान्यता दी गई है। 2018 में, उन्हें कृषि में उनके योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

उनकी कहानी से पता चलता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी एक व्यक्ति बदलाव ला सकता है और कई लोगों के जीवन को बदल सकता है। शून्य बजट खेती का उनका तरीका अब भारत के कई राज्यों में लोकप्रिय है और किसान इसका लाभ उठा रहे हैं। सुभाष पालेकर की कहानी भारतीय किसान के लचीलेपन और दृढ़ संकल्प का एक वसीयतनामा है, और कई अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है जो समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

भारतीय किसान पर अनुच्छेद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

किसान क्या करते हैं, और उनका प्राथमिक काम क्या है.

फ्रैमर भारतीय आर्थिक संरचना का एक अभिन्न अंग हैं। वे हमें फसलें प्रदान करते हैं जिससे हम अपना भोजन बनाते हैं। वे फसल की उपज को अधिकतम करने के तरीके खोजते हैं। फसल की पैदावार को किसानों द्वारा अनुकूलित करने की आवश्यकता है क्योंकि हमारे देश की जनसंख्या बहुत अधिक है। वर्षों तक बिना असफल हुए इतने लोगों का मुंह खिलाना एक कठिन काम है।

क्या किसान आत्महत्या भारत में एक महत्वपूर्ण समस्या है?

हां, भारत में किसान आत्महत्या एक महत्वपूर्ण समस्या है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया है। रिपोर्ट किए गए किसान आत्महत्याओं की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है।

सरकार ने किसानों की मदद के लिए कौन सी योजनाएँ बनाई हैं?

भारत सरकार ने किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इन योजनाओं में किसान विकास पत्र और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शामिल हैं।

किस मौसम का भारतीय खेती पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है?

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भारतीय किसान पर निबंध Essay On Indian Farmer In Hindi And English

नमस्कार दोस्तों आज हम भारतीय किसान पर निबंध Essay On Indian Farmer In Hindi And English पढ़ेगे. भारत के किसान के जीवन, उनकी समस्याएं महत्व आदि पर आधारित सरल भाषा में हिंदी और अंग्रेजी में इंडियन फार्मर पर शोर्ट निबंध यहाँ दिया गया हैं.

Essay On Indian Farmer In Hindi & English-भारतीय किसान पर निबंध

भारतीय किसान पर निबंध Essay On Indian Farmer In Hindi And English

Indian farmer essay In English & Hindi Language:-  our country’s economy is agriculture-based. so for the development, India must be a focus on Indian farmers and help them by the government.

Essay On Indian Farmer In Hindi describe short information about our farmer condition in modern India.

whats Indian farmer’s problems? why they suicide in large number every year, in some states.  

Essay On Indian Farmer In Hindi And English helps to students they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9. children and kids improve their knowledge about Indian farmers in Hindi by reading this various length essay 100, 150, 200, 250, 300, 400 and 500 words essay.

Essay On Indian Farmer In English

a farmer is a very useful person in our life. he meets our basic needs of life. he grows corn to eat and cotton for clothes to wear.

he groves many things on his farms and send them to us. he does a valuable service silently. he is the backbone of society.

he is a very simple man. he is simple in the dress. he is good at heart. he wears hand-woven clothes and handmade shoes. he lives in kachchahuts. he is true to the picture of Indian culture.

his life is very hard. he works from morning till evening. he knows no rest. whether it is scorching heat or biting cold, he works in the field.

he plows the fields, sows the seeds and waters in the fields. he removes the weeds. he looks after the crops. he is happy to see his ripe crops.

he reaps the crops and thrashes them. then he sells the corn in the market and thus earns his livelihood. but his labor is dependent upon nature. nature is sometimes cruel to him.

he is illiterate. he is easily duped by money lenders. his condition is miserable. the government is doing a lot to improve the condition of the farmers. the future of India depends upon farmers. so the government must do a lot of them.

Essay On Indian Farmer In Hindi

किसान हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, भारतीय किसान देश के सवा सौ करोड़ लोगों की मुलभुत आवश्यकताओं को पूरा करता है.

यह हमारे लिए पहनने का कपड़ा बनाने के लिए कपास, खाने के लिए चावल, बाजरा, मक्का, गेहू जैसे फसलें उगाता है. तथा इसे हम तक पहुचाता है.

राष्ट्र के विकास के लिहाज से किसान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. किसान ही हमारे देश व समाज की रीढ़ की हड्डी है, जिनकें बल पर हमारी अर्थव्यवस्था खड़ी है.

भारतीय किसान बेहद साधारण व सरल इंसान के रूप में जीवन जीता है, उनका दिल सभी के लिए अच्छा होता है. यह हस्त निर्मित जूते एवं कपड़े उपयोग में लेता है. किसान का घर कच्चा होता है. भारतीय संस्कृति का असली स्वरूप गाँवों के किसान के जीवन में आज भी जिन्दा है.

इसका जीवन बेहद मुश्किलों से भरा होता है, किसान सुबह से शाम तक अपने खेत में निरंतर काम करता है. सर्दी, गर्मी हो या खराब मौसम सभी हालातों में किसान अपनी लग्न व मेहनत से खेत में लगा रहता है.

बारिश के होते ही, वह अपने खेत को बोता है तथा फसल की देखरेख करने के लिए खरपतवार हटाता है. इनकों सबसें अधिक खुशी लहलहाती फसलों को देखकर ही होती है.

फसल के पकने के साथ ही किसान इसकी कटाई करता है. तत्पश्चात इसकी थ्रेसिंग कर बाजार में बेच देता है. तब जाकर उसे अपनी आजीविका चलाने का कुछ सहारा मिलता है.

भारतीय किसान एवं कृषि मानसून पर आधारित है. कई बार अकाल या प्राकृतिक प्रकोप के कारण उनके मेहनत बेकार भी चली जाती है, तथा सारी फसल सूख जाती है.

भले ही किसान अधिक पढ़ा लिखा न हो, मगर वह अपना हिसाब किताब अच्छी तरह से रखता है. आज के समय में किसानों की स्थति बेहद खराब है. सरकारे इनके हालत में सुधार के लिए प्रयत्न भी कर रही है.

भारत का भविष्य हमारे किसान पर निर्भर करता है, इसलिए हमारी सरकार को किसानों के लिए और कुछ करने की आवश्यकता है. ताकि किसान की स्थति में कुछ सुधार आ सके.

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दा इंडियन वायर

भारतीय किसान पर निबंध

essay on agriculture in hindi 100 words

By विकास सिंह

essay on indian farmer in hindi

भारत किसानों की भूमि है। इसे इसलिए कहा जाता है क्योंकि अधिकांश भारतीय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि गतिविधियों में शामिल होते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि किसान हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।

निम्नलिखित निबंधों में मैंने भारतीय किसानों द्वारा पेश की जा रही समस्याओं पर चर्चा करने की कोशिश की है और इस पर अपनी राय भी दी है। आशा है कि आपको मेरे निबंध मददगार मिलेंगे।

भारतीय किसान पर निबंध, essay on indian farmer in hindi (200 शब्द)

किसी ने सही कहा है, “भारत गांवों की भूमि है और किसान देश की आत्मा हैं।” मैं भी यही महसूस करता हूं। किसान बहुत सम्मानित हैं और हमारे देश में खेती को एक महान पेशा माना जाता है। उन्हें “अन्नदाता” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “अन्न देने वाला”। इस तर्क के अनुसार, भारत में किसानों को एक खुशहाल और समृद्ध होना चाहिए, लेकिन विडंबना यह है कि वास्तविकता इसके विपरीत है।

यही कारण है कि किसानों के बच्चे अपने माता-पिता के पेशे को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं। एक सरकारी आंकड़े के अनुसार, लगभग ढाई हजार किसान रोजी-रोटी की तलाश में खेती छोड़ कर शहरों की ओर पलायन करते हैं। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो एक समय आ सकता है जब कोई किसान नहीं बचेगा और हमारा देश “खाद्य अधिशेष” से बदल जाएगा, जो अब हम “भोजन की कमी” के लिए कर रहे हैं।

मैं सोचता था कि जब वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं, तो किसान को लाभ होता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अधिकांश पैसा मध्यम पुरुषों द्वारा हड़प लिया जाता है। अतः किसान हमेशा पराजित होता है। जब कोई बंपर फसल होती है, तो उत्पादों की कीमत गिर जाती है और कई बार उसे अपनी उपज सरकार को औने-पौने दामों पर या बिचौलियों को बेचनी पड़ती है और जब सूखा या बाढ़ आती है, तो हम सभी जानते हैं कि क्या होता है गरीब किसान।

किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। अगर कुछ तत्काल नहीं किया जाता है, तो बचाने के लिए कुछ भी नहीं रहेगा।

भारतीय किसान पर निबंध, essay on indian farmer in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना :.

मुझे लगता है कि किसान हमारे देश के लिए वैसी ही भूमिका निभाता है जैसा कि मानव शरीर के लिए रीढ़ की हड्डी निभाता है। समस्या यह है कि यह रीढ़ (हमारे किसान) कई समस्याओं से पीड़ित है। कभी-कभी, उनमें से कई एक दिन में दो वर्ग भोजन भी नहीं कर सकते हैं। सभी कठिनाइयों के बावजूद जो वे सामना करते हैं, इसके अनुसार वे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनमें से कुछ नीचे चर्चा की गई है।

भारतीय किसान का महत्व:

वे देश के खाद्य निर्माता हैं: 

1970 के दशक के उत्तरार्ध से पहले भारत अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त खाद्यान्न का उत्पादन करने में सक्षम नहीं था। दूसरे शब्दों में, भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं था। हम विदेशों से (मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका से) बड़ी मात्रा में खाद्यान्न आयात करते थे। यह कुछ समय के लिए अच्छा रहा लेकिन बाद में यूएसए ने हमें व्यापार पर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।

उन्होंने खाद्यान्न की आपूर्ति पूरी तरह से बंद करने की धमकी भी दी। तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने चुनौती स्वीकार की और “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया और कुछ कठोर उपाय किए, जिसके परिणामस्वरूप हरित क्रांति आई और उसकी वजह से हम खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हो गए और यहां तक ​​कि शुरू भी हो गया। अधिशेष का उत्पादन करता है।

भारत ने तब से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हमारे किसानों ने हमें कभी निराश नहीं किया, भले ही वे कई समस्याओं का सामना कर रहे हों। वे बढ़ती आबादी की मांग को पूरा करने में सक्षम हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदानकर्ता में से एक:   भारतीय अर्थव्यवस्था में किसानों का योगदान लगभग 17% है। उसके बाद भी वे गरीबी का जीवन जीते रहे। इसके कई कारण हैं। यदि हम विभिन्न बाधाओं को दूर करने में सक्षम हैं, तो एक अच्छा मौका है कि यह प्रतिशत में सुधार होगा।

सभी किसान स्वंय सेवक हैं: किसान रोजगार के लिए किसी अन्य स्रोत पर निर्भर नहीं हैं। वे स्वयं कार्यरत हैं और दूसरों के लिए रोजगार भी पैदा करते हैं।

निष्कर्ष:

हम आजादी के बाद एक लंबा सफर तय कर चुके हैं लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना है। मुझे यकीन है, अगर हम ईमानदारी से काम करते हैं, तो हम उन समस्याओं को दूर करने में सक्षम होंगे जो हम आज का सामना कर रहे हैं और भगवान हमारे गांवों को तैयार करने के लिए उतने ही सुंदर और समृद्ध बन जाएंगे जितने कि बॉलीवुड फिल्मों में दिखाए जाते हैं।

भारतीय किसान का जीवन पर निबंध, essay on life of indian farmer in hindi (400 शब्द)

मेरे जैसे व्यक्ति, जो अपने पूरे जीवन के लिए शहरों में रहे हैं, गाँव के जीवन के बारे में बहुत गलत विचार रखते हैं। उनका मानना ​​है कि बॉलीवुड फिल्मों में जो दिखाया जाता है। मैं अलग नहीं था। मैंने यह भी सोचा कि गांवों में महिलाएं अपने डिजाइनर लहंगे में घूमती हैं। वे पानी लाने के लिए कुएँ पर जाते हैं और खुशी-खुशी यहाँ-वहाँ जाते हैं। मेरा यह भी मानना ​​था कि शाम को वे “सूर्य मितवा” या “मेरे देश की धरती” जैसे फिल्मी गीतों पर एक साथ नृत्य करते हैं।

एक भारतीय किसान का जीवन:

एक दिन मैंने अपने पिताजी से कहा, “इन गाँव के लोगों का जीवन कितना अच्छा है …”। इस पर मेरे पिताजी जोर से हंसे और मुझे सुझाव दिया कि हमारे पैतृक गाँव की यात्रा करें जो लखनऊ में है। पिछली बार जब मैं अपने गाँव गया था, तब मैं 4 साल का था। मुझे अपनी पिछली यात्रा से बहुत कम विवरण याद थे या यह कहना बेहतर था कि मुझे कोई अंदाजा नहीं था कि एक गाँव कैसा दिखता था।

मैंने ऑफिस से एक हफ्ते की छुट्टी ली और अपने पिता के साथ ट्रेन में सवार हो गया। मैं वास्तव में बहुत उत्साहित था। रेलवे स्टेशन पर हमें हमारे रिश्तेदार (मेरे चचेरे भाई) ने बधाई दी थी जो हमें रिसीव करने आए थे। मैंने उनसे पूछा, “हम घर कैसे जाएंगे”? इस पर उन्होंने अपनी बैलगाड़ी दिखाई। इस पर मेरी प्रतिक्रिया थी, “क्या!”। मेरे पिताजी ने मुझसे कहा, “बेटा, यह तो शुरुआत है …”।

सबसे पहले घर पहुंचने पर, मैंने अपने पेट का जवाब देने का फैसला किया। तो, मैंने पूछा, “शौचालय कहाँ है”? इस पर मुझे एक खुले मैदान में ले जाया गया। मुझे बताया गया कि गांव में शौचालय नहीं है और महिलाओं सहित सभी ग्रामीणों को खुले मैदान में जाना पड़ता है। उसके बाद मैंने चारों ओर नज़र रखने का फैसला किया। मुझे पुराने और फटे कपड़ों (निश्चित रूप से डिजाइनर नहीं) में पुरुषों और महिलाओं के साथ मिट्टी और बांस से बने टूटे हुए घर मिले, जो खेतों में बहुत मेहनत करते हैं ताकि उनके सिरों को पूरा किया जा सके।

एक प्रयुक्त हल और एक बैल की एक जोड़ी बैल हर घर में रहने वालों की कड़ी ज़िंदगी का प्रमाण है। अधिकतम घरों में बिजली का कनेक्शन नहीं था और यहां तक ​​कि जिन घरों में बिजली का कनेक्शन था उनमें तेल के लैंप का उपयोग किया गया था क्योंकि बिजली दुर्लभ थी। किसी के पास गैस कनेक्शन नहीं था, इसलिए भोजन लकड़ी या कोयले की आग पर पकाया जाता था जो धुआं उत्पन्न करता था और जिससे फेफड़ों के विभिन्न रोग होते थे।

मुझे एक बूढ़ी औरत खांसती हुई मिली। मैंने उससे पूछा, “क्या आप अपनी दवाइयाँ ले रहे हैं”? इस पर उसने एक रिक्त रूप दिया और कहा, “बेटा, मेरे पास दवा खरीदने या निजी अस्पताल में जाने के लिए पैसे नहीं हैं।” अन्य व्यक्तियों ने मुझे बताया कि पास में कोई सरकारी क्लिनिक नहीं है। यह सुनकर मैं सचमुच भावुक हो गया। भारतीय किसानों की दुर्दशा अकल्पनीय है क्योंकि वे मूलभूत आवश्यकताओं के अभाव में पूरे वर्ष अथक परिश्रम करते हैं।

मैंने अपने चचेरे भाई के साथ जुड़ने का फैसला किया जो खेतों में काम कर रहा था। जब मैं वहाँ पहुँचा, तो मैंने उसे और कुछ किसानों को कुछ आदमियों के साथ बहस करते हुए पाया। मुझे बताया गया कि वे बैंक अधिकारी थे और किसानों को एक औपचारिक नोटिस (ईएमआई का भुगतान न करने) देने आए थे। मेरे चचेरे भाई ने मुझे बताया कि गांव में कोई भी निकाय इस बार ईएमआई का भुगतान करने में सक्षम नहीं था क्योंकि उनके पास इस बार खराब फसल थी।

मैंने अपना खाना खाया और सोने चला गया। कुछ समय बाद, मैं पानी पीने के लिए उठा। मुझे बंटू (मेरा चचेरा भाई का बेटा) मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ता हुआ मिला। मैंने पूछा, “इसकी देर है, सो जाओ।” इस पर उन्होंने जवाब दिया, “अंकल, मेरा कल एक टेस्ट है”। यह सुनकर मुझे लगा कि सब कुछ नहीं खोया है और अभी भी उम्मीद की एक किरण बाकी है।

हमारे गाँव और किसान वैसे नहीं हैं जैसा मैंने सोचा था लेकिन मुझे इस बात का एहसास है कि एक दिन यह गाँव बन जाएगा जैसा कि बॉलीवुड फिल्मों में दिखाया जाता है।

भारतीय किसान पर निबंध, essay on indian farmer in hindi (500 शब्द)

प्रस्तावना:.

भारत में विविध संस्कृति है। भारत में, लगभग 22 प्रमुख भाषाएँ और 720 बोलियाँ बोली जाती हैं। हिंदू, इस्लाम, ईसाई, सिख जैसे सभी प्रमुख धर्मों के लोग यहां रहते हैं। यहां के लोग हर तरह के व्यवसायों में लगे हुए हैं लेकिन कृषि यहां का मुख्य व्यवसाय है। यही कारण है कि भारत को “कृषि प्रधान देश” के रूप में भी जाना जाता है।

एक भारतीय किसान की भूमिका:

यही कारण है कि हमारी आबादी का एक बड़ा प्रतिशत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। यह कहना गलत नहीं होगा कि किसान हमारे राष्ट्र की रीढ़ हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था के पीछे भी वे ताकत हैं। फिर भी भारतीय किसानों के साथ सब ठीक नहीं है। वे गरीबी और बदहाली का जीवन जीते रहे। फिर भी वे राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसानों की कुछ महत्वपूर्ण भूमिकाओं के बारे में नीचे चर्चा की गई है।

खाद्य सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा है:  जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भोजन जीवन की मूलभूत आवश्यकता है। यही कारण है कि पुराने समय में, खाद्यान्न को बड़ी मात्रा में किलों में संग्रहीत किया जाता था, ताकि युद्ध के समय में, जब दुश्मन द्वारा बाहरी आपूर्ति बंद कर दी जाएगी, तब भी खाने के लिए भोजन होगा। वही तर्क आज भी मान्य है। जैसा कि हम खाद्यान्न के मामले में “आत्मनिर्भर” हैं, कोई भी देश हमें ब्लैकमेल या धमकी नहीं दे सकता है। हमारे किसानों की मेहनत के कारण ही यह संभव हो पाया।

भारतीय अर्थव्यवस्था के चालक:  भारतीय अर्थव्यवस्था में किसानों का योगदान लगभग 17% है। 2016-17 में भारतीय कृषि निर्यात लगभग 33 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

भारतीय किसानों की हालत सही नहीं है:

निर्यात के मूल्य के कारण भारतीय किसानों को समृद्ध होने की उम्मीद होती है, लेकिन वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है। वे आत्महत्या कर रहे हैं, पेशे को छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, और एक दिन में 2 वर्ग भोजन का प्रबंधन भी नहीं कर पा रहे हैं।

बहुत सी चीजें हैं जिन्हें दोष दिया जाना है लेकिन एक बात सुनिश्चित है कि यदि समस्या जल्द ही ख़त्म नहीं हुई तो हम “खाद्य निर्यातक देश” से एक “खाद्य आयातक देश” बन सकते हैं जो अब हम हैं।

बड़े पैमाने पर आंदोलन और किसान आत्महत्याओं के कारण किसान समस्याओं के मुद्दे को उजागर किया गया है, लेकिन “क्या हम पर्याप्त कर रहे हैं”? यह दस लाख डॉलर का सवाल है जिसका हमें जवाब देना है। जब हमारे “अन्नदाता” को आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा है, तो वास्तव में यह चिंता की बात है।

आखिरी में मैं केवल यह कहना चाहूंगा कि, समय आ गया है कि हमें तत्काल कुछ करना होगा अन्यथा चीजें निश्चित रूप से सबसे खराब हो जाएंगी।

भारतीय किसान समस्या पर निबंध, essay on problems of indian farmers in hindi (600 शब्द)

यह एक बहुत ही संवेदनशील विषय है जिसे बहुत सावधानी से संभाला जाना चाहिए लेकिन क्या हम इसे ठीक से संभाल रहे हैं? यह एक मिलियन डॉलर का सवाल है। चूंकि समस्या जटिल है, इसलिए समाधान भी सीधा नहीं है, लेकिन अगर हम वास्तव में अपने देश को उथल-पुथल में जाने से बचाना चाहते हैं तो हमें इस समस्या को हल करना होगा।

हम चेतावनी के संकेत के लिए सावधान नहीं थे जो काफी समय से आ रहे हैं। अब, जब समस्या ने राक्षसी अनुपात लिया है, हम एक त्वरित समाधान की तलाश कर रहे हैं। मुझे दृढ़ता से लगता है कि इसका कोई त्वरित समाधान नहीं है।

जैसे-जैसे समस्या को बढ़ने में समय लगा है, उसी तरह से निपटाने में भी समय लगेगा। तो, यह उच्च समय है, हमें छाती पीटने में लिप्त होने के बजाय कुछ ठोस करना शुरू करना चाहिए।

समस्या की गंभीरता:

समस्या की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लगभग 3 लाख (सरकारी अनुमान, अन्य स्रोतों का कहना है कि यह 10 गुना अधिक है) किसानों ने 1995 से आत्महत्या की है। इन आत्महत्याओं का मुख्य कारण किसानों द्वारा लिए गए ऋणों को चुकाने में असमर्थता है। उसके द्वारा विभिन्न कारणों से। इस सूची में अव्वल रहने का संदिग्ध भेद महाराष्ट्र को जाता है।

एक अन्य अनुमान (सरकारी डेटा) के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत किसान कर्ज में हैं। अधिकतम गरीब हैं और कई गरीबी रेखा से नीचे जीने को मजबूर हैं। लगभग 95% किसान आधिकारिक MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से नीचे की उपज बेचने के लिए मजबूर हैं और उनकी औसत वार्षिक आय इक्कीस हजार रुपये से कम है।

यही कारण है कि कई किसान खेती छोड़ रहे हैं और अन्य व्यवसायों में जाने की कोशिश कर रहे हैं और यही कारण है कि कोई भी किसान बनना नहीं चाहता है।

कृषि के खराब होने का कारण:

ग्लोबल वार्मिंग (बाढ़ और सूखे) के कारण जलवायु में परिवर्तन :  ग्लोबल वार्मिंग और कुछ अन्य कारणों के कारण, पृथ्वी की जलवायु बदल रही है। यही कारण है कि बाढ़ और सूखे की आवृत्ति और गंभीरता बढ़ी है, जिससे बड़े पैमाने पर फसल क्षति हुई है।

सिंचाई सुविधाओं का अभाव:  अधिकतम किसान बारिश पर निर्भर होते हैं क्योंकि उनके पास सिंचाई के उचित साधन नहीं होते हैं, जैसे, डीजल पंप सेट, नहर या बांध का पानी आदि। इसका मतलब है कि अगर यह खराब मानसून है तो उनकी फसल खराब होगी।

छोटी भूमि जोतना:  भारत में अधिकतम किसानों के पास भूमि के छोटे से बहुत छोटे भूखंड हैं, जिस पर वे खेती करते हैं। यह खेती को लाभहीन बनाता है।

महंगे बीज और उर्वरक:  कई किसानों के पास अच्छी गुणवत्ता के बीज और उर्वरक खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। इसलिए, वे हीन गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग करते हैं और इसी कारण प्रति एकड़ उत्पादन में कमी आती है।

ऋण आसानी से उपलब्ध नहीं है : खेती, किसी भी अन्य व्यवसाय की तरह निवेश की आवश्यकता होती है, जो गरीब किसानों के पास नहीं है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्थिति और कागजी कार्रवाई बहुत अधिक है। इसलिए, उन्हें निजी धन उधारदाताओं के पास जाना पड़ता है, जो उच्च ब्याज दर लेते हैं और अगर किसी कारण से फसल विफल हो जाती है, तो उनके लिए ऋण चुकाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

नए वैज्ञानिक तरीकों की जागरूकता का अभाव: अधिकांश किसानों की शिक्षा बहुत कम है या वे निरक्षर हैं। इसलिए, वे नई खेती और खेती के वैज्ञानिक तरीकों से अवगत नहीं हैं। यही कारण है कि सरकार ने टोलफ्री हेल्पलाइन नंबर शुरू किए हैं, जिस पर किसान अपनी समस्याएं पूछ सकते हैं।

विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार : विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार के कारण विभिन्न योजनाओं और योजनाओं का कार्यान्वयन प्रभावित होता है और इसलिए इसका लाभ किसानों तक नहीं पहुंचता है।

किसानों की दशा सुधारने के उपाय:

उचित बीमा:  चूंकि कई कारणों से फसल खराब हो सकती है, इसलिए किसानों को उचित बीमा सुविधाएं काफी फायदेमंद होंगी। यह बेहतर होगा कि सरकार द्वारा आंशिक या पूरे प्रीमियम का भुगतान किया जा सके क्योंकि कई किसान गरीब हैं और वे प्रीमियम का भुगतान नहीं कर सकते हैं।

नुकसान भरपाई:  समय-समय पर सरकार फसल खराब होने की स्थिति में किसानों को मुआवजा प्रदान करती है। मुझे लगता है कि यह एक अस्थायी उपाय है और स्थायी समाधान नहीं है।

आसान ऋण की उपलब्धता:  यह महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। यदि किसानों को आसान ऋण प्रदान किया जाता है, तो उनकी स्थिति में निश्चित रूप से सुधार होगा क्योंकि वे बाजार से अच्छी गुणवत्ता के बीज खरीदने में सक्षम होंगे।

भ्रष्टाचार में कमी:  यदि हम भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में सक्षम हैं तो विभिन्न योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचेगा और उनकी स्थिति में सुधार होगा।

मैं इस बात से सहमत हूं कि इस समस्या का कोई आसान समाधान नहीं है, लेकिन अगर हम अच्छी समझ के साथ काम करना शुरू करते हैं, तो एक मौका है कि एक दिन हमारे भारतीय किसान भी उतने ही समृद्ध हो जाएंगे जितना कि अमेरिकी किसान अब हैं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Nice😍🤩🤩🙂😇😇

Oh bhai bhai na 2000 words ka lekha joh ke bohot badi baat h

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Essay on Agriculture for Students and Children

500+ words essay on agriculture.

Agriculture is one of the major sectors of the Indian economy. It is present in the country for thousands of years. Over the years it has developed and the use of new technologies and equipment replaced almost all the traditional methods of farming. Besides, in India, there are still some small farmers that use the old traditional methods of agriculture because they lack the resources to use modern methods. Furthermore, this is the only sector that contributed to the growth of not only itself but also of the other sector of the country.

Essay on Agriculture

Growth and Development of the Agriculture Sector

India largely depends on the agriculture sector. Besides, agriculture is not just a mean of livelihood but a way of living life in India. Moreover, the government is continuously making efforts to develop this sector as the whole nation depends on it for food.

For thousands of years, we are practicing agriculture but still, it remained underdeveloped for a long time. Moreover, after independence, we use to import food grains from other countries to fulfill our demand. But, after the green revolution, we become self-sufficient and started exporting our surplus to other countries.

Besides, these earlier we use to depend completely on monsoon for the cultivation of food grains but now we have constructed dams, canals, tube-wells, and pump-sets. Also, we now have a better variety of fertilizers, pesticides, and seeds, which help us to grow more food in comparison to what we produce during old times.

With the advancement of technology, advanced equipment, better irrigation facility and the specialized knowledge of agriculture started improving.

Furthermore, our agriculture sector has grown stronger than many countries and we are the largest exporter of many food grains.

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Significance of Agriculture

It is not wrong to say that the food we eat is the gift of agriculture activities and Indian farmers who work their sweat to provide us this food.

In addition, the agricultural sector is one of the major contributors to Gross Domestic Product (GDP) and national income of the country.

Also, it requires a large labor force and employees around 80% of the total employed people. The agriculture sector not only employees directly but also indirectly.

Moreover, agriculture forms around 70% of our total exports. The main export items are tea, cotton, textiles, tobacco, sugar, jute products, spices, rice, and many other items.

Negative Impacts of Agriculture

Although agriculture is very beneficial for the economy and the people there are some negative impacts too. These impacts are harmful to both environments as the people involved in this sector.

Deforestation is the first negative impact of agriculture as many forests have been cut downed to turn them into agricultural land. Also, the use of river water for irrigation causes many small rivers and ponds to dry off which disturb the natural habitat.

Moreover, most of the chemical fertilizers and pesticides contaminate the land as well as water bodies nearby. Ultimately it leads to topsoil depletion and contamination of groundwater.

In conclusion, Agriculture has given so much to society. But it has its own pros and cons that we can’t overlook. Furthermore, the government is doing his every bit to help in the growth and development of agriculture; still, it needs to do something for the negative impacts of agriculture. To save the environment and the people involved in it.

FAQs about Essay on Agriculture

Q.1 Name the four types of agriculture? A.1 The four types of agriculture are nomadic herding, shifting cultivation, commercial plantation, and intensive subsistence farming.

Q.2 What are the components of the agriculture revolution? A.2 The agriculture revolution has five components namely, machinery, land under cultivation, fertilizers, and pesticides, irrigation, and high-yielding variety of seeds.

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Essay on Agriculture: Short Essay, 100 and 250 Words

essay on agriculture in hindi 100 words

  • Updated on  
  • May 18, 2024

Essay on agriculture

Agriculture is one of the major sectors in India that provide livelihood to the people. The majority of the Indian population depends on agriculture as it is the major source of income and contributes to around 18.3% of India’s GDP. It provides food, raw materials, and employment to billions of people across the world. As common people, most of us anticipate that agriculture is just the cultivation of crops.

However, it is much more than that, it includes fishery , livestock, forestry , and crop production . It is the backbone of the civilization. Read this blog and get to know how to write an essay on agriculture with the help of examples!

Table of Contents

  • 1 Short Essay on Agriculture
  • 2 Essay on Agriculture 100 Words
  • 3.1 Significance of Agriculture
  • 3.2 Challenges for Agriculture
  • 3.3 Sustainable agriculture

Short Essay on Agriculture

India is also referred to as agricultural land because a major part of India is covered by agricultural activities. The entire world has been practising agriculture for thousands of years from the nomadic times to date. 

Agriculture started during the Neolithic Revolution for the production of food. Nowadays, the scenario has been completely changed with the application of AI tools and Machinery in the world of Agriculture. New technologies and equipment are being developed to replace the traditional methods of farming. Some of the AI technologies are integrated sensors, weathering forecasting, IoT-powered agriculture drones, smart spraying, etc. 

Millions of people across the world depend on agriculture, even animals are also dependent on agriculture for their fodder and habitat. Besides that, agriculture also plays a key role in the economic development of the country because 3/4th of the population depends on agriculture.

Also Read: Agriculture and Animal Husbandry 

Essay on Agriculture 100 Words

Agriculture is the main source of life on earth. Animals and humans depend on agriculture for a living. It is the oldest practice in the history of mankind. There has been tremendous growth and evolution in the field of agriculture.

The use of AI-based technology and modern techniques in farming is helping the sector to generate high yields with better quality. 

Now, our country is able to produce surplus food crops which is enough to satisfy domestic needs. It also helps to eradicate malnutrition and address hunger issues in various parts of the world. Thus, agriculture will always remain the cornerstone of human existence and continue to fulfil the demands of the changing world.

Also Read: Essay on Population Explosion

Essay on Agriculture 250 Words

Agriculture can be termed as the global powerhouse of the world. It is feeding billions of people across the world. Every individual directly or indirectly depends on agriculture.

Significance of Agriculture

The significance of agriculture is listed below:

  • The food we consume is a gift of the agriculture sector. Farmers are working day and night to cultivate food crops for the entire human population.
  • It also adds value to the Gross Domestic Product as well as the national income of the country.
  • As it is one of the largest sectors, there is a huge need for a labor force and employees. Thus, it imparts employment to 80% of the people in this world.
  • 70% of the total food crop production of India is used for the purpose of exports. Some of the main items of export are rice, spices, wheat, cotton, tea, tobacco, jute products, and many more.

Challenges for Agriculture

Every year, the agriculture sector has to face difficult challenges. It includes harsh weather conditions be it drought or flood or extreme heat waves and cold breezes. Soil degradation is also one of the major threats to agriculture due to soil erosion and soil pollution. All these conditions create the need to generate sustainable practices in the agriculture sector.

Sustainable agriculture

Advancement in technology helps to create sustainable agriculture. The use of technology in the field of agriculture like weather forecasts, automated sowing, drones, AI-driven sensors, pest control, etc. helps in developing sustainable agriculture.

Besides that, farmers are adopting new farming practices such as crop rotation reduced chemicals, organic farming, etc. for sustainable agriculture.

Also Read: Essay on Water Pollution

Agriculture is the process of cultivation of crops. Every individual is dependent on agriculture for food crops, and employment. The perfect essay on agriculture must include, what is agriculture, the importance, and the significance of agriculture.

Here are 5 main points about agriculture: Agriculture is the source of food and fodder for the world; It is one of the oldest human practices that date back thousands of years; Agriculture is essential for the breeding and raising of livestock; The incorporation of modern techniques in farming helped in the evolution of the agriculture sector; and Agriculture contributes to the economy of the nation.

Agriculture refers to the science, art, or practice of cultivating crops, raising livestock, and marketing the finished products for the use of human consumption while contributing to the economy of the country.

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Kajal Thareja

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भारत पर निबंध (Essay On India In Hindi)

Essay on India in hindi

In this Article

भारत पर 10 लाइन (10 Lines On India In Hindi)

भारत पर निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on india in hindi 200-300 words), भारत पर निबंध 400-600 शब्दों में (essay on india in hindi 400-600 words), भारत के बारे में रोचक तथ्य (interesting facts about india in hindi), भारत के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from india essay), अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (faqs).

दुनिया भर में कुल 195 देश हैं, लेकिन भारत की बात बाकी सबसे अलग है। यह अपनी विविधताओं के लिए पूरे विश्व में मशहूर है। भारत को प्राचीन समय में सोने की चिड़िया भी कहा जाता था लेकिन बाहरी देशों के कई हमलों और लूट-पाट की वजह से हिंदुस्तान ने अपनी मूल्यवान वस्तुएं और धरोहर खो दीं। इतना कुछ सहन करने के बाद भी विश्व भर में भारत अपनी संस्कृति, भाषाओं, प्राकृतिक सुंदरता, त्योहारों आदि से सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करता है। इस देश की आजादी के लिए कई महान क्रांतिकारियों और सैनिकों ने अपनी जान दी है और आज भी सच्चे देश भक्त यह करने के लिए हमेशा तैयार रहते है। भारत को ज्ञान का सागर भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर कई आश्चर्यजनक विषयों के बारे में जानकारी मिलती है। भारत, दुनिया के पटल पर अपना एक अलग ही स्थान रखता है। यहाँ हर धर्म, जाति, संस्कृति को अहमियत दी जाती है। यहां के वासियों के बीच हमें एकता देखने को मिलती है। भारत दुनिया के सबसे बड़े महाद्वीप एशिया का हिस्सा है और क्षेत्रफल में सातवां सबसे बड़ा देश है। यहाँ कई भाषाओं का उपयोग होता है लेकिन हिंदी यहाँ की राजभाषा है। अगर आपको अपने बच्चे के लिए भारत पर निबंध की तलाश है तो इस लेख को जरूर पढ़ें।

भारत जिसे हिन्दुस्तान भी कहा जाता रहा है, दुनिया के सबसे पुराने देशों में से एक है और यहाँ का इतिहास और विविधता से भरी संस्कृति और परंपराएं लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यदि आपको भी इसके बारे में जानना है तो नीचे दी है 10 लाइनों को पढ़ें और इसकी महत्ता को समझें।

  • भारत क्षेत्रफल में दुनिया का 7वां सबसे बड़ा देश है।
  • भारत जनसंख्या के अनुसार विश्व का सबसे बड़ा है।
  • भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहाँ हर धर्म, संस्कृति, जाति और भाषा का सम्मान होता है।
  • यह अपनी विविध संस्कृति और इतिहास के लिए जाना जाता है।
  • भारत की कुल आबादी लगभग 140 करोड़ के आस-पास है।
  • इस देश में कई महान क्रांतिकारियों, नेताओं और कलाकारों ने जन्म लिया है।
  • भारत अपने कई प्रकार के व्यंजनों, त्योहारों, नृत्यों आदि के लिए दुनिया भर में मशहूर है।
  • 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों के राज से हमेशा के लिए आजादी हासिल हुई थी।
  • यहाँ कुल 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं।
  • भारत का राष्ट्रीय झंडा ‘तिरंगा’ केसरिया, सफेद और हरे रंगों से बना है जिसमें बीच में ‘अशोक चक्र’ है।

भारत एक विशाल देश है जिसमें आपको कई संस्कृतियों और परंपराओं का मिश्रण मिलेगा। यहाँ के लोगों की पहचान उनके कपड़ों से नहीं बल्कि संस्कारों से की जाती है। यदि भारत को और बेहतर तरीके से समझना चाहते हैं तो यह कम शब्दों का निबंध जरूर पढ़ें और अपने बच्चे को भी पढ़ाएं ताकि उसे भारत के इतिहास, भूगोल आदि का ज्ञान हो।

भारत दुनिया का एक महत्वपूर्ण देश है, जो कि क्षेत्रफल के अनुसार बड़े देशों में सातवें स्थान पर आता है। वहीं जनसंख्या के अनुसार विश्व में भारत का स्थान पहला है। भारत का इतिहास, भूगोल, संस्कृति इतनी पुरानी और विशिष्ट हैं कि इस वजह से पूरे विश्व में इसकी चर्चा बनी रहती है। सबसे पहले यह एक लोकतांत्रिक देश है, मतलब यहाँ की सरकार जनता द्वारा, जनता के लिए बनाई जाती है। बिना जनता के सरकार का निर्माण नामुमकिन है। देश की जनता अपना नेता खुद अपनी मर्जी से वोट देकर चुनती है। बात अगर इसकी संस्कृति और परंपराओं कि की जाए तो यहाँ कई प्रकार की चीजें आपको देखने को मिलेंगी। यह विभिन्न प्रकार के धर्म, परंपरा, संस्कृति और भाषाओं का देश है। यहाँ हर धर्म, समुदाय और जाति के लोग साथ मिलकर रहते हैं। आप जिस भी धर्म के हों, जो भाषा बोलते हों या फिर जो कपड़े पहनते हों, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। यहाँ तक कि लोग एक दूसरे के त्योहारों में शामिल होते हैं। यहाँ एक ही समाज में सभी लोग मिलजुल कर रहते हैं। इसकी आबादी लगभग 140 करोड़ तक पहुंच गई है। भारत जब अंग्रेजों के शासन में था, तो उसने कई तरह के संघर्ष देखे। लेकिन हमारे देश के बहादुर क्रांतिकारियों की मेहनत रंग लाई और उसे 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली। आजादी के बाद भारत को अपना झंडा तिरंगा मिला जो कि केसरिया, सफेद और हरे रंग में रंगा है और उसके बीच में नीले रंग का अशोक चक्र है, जिसमें 24 तीलियां होती हैं। धीरे-धीरे देश का विकास होता गया है और लोग आधुनिक बन गए।

Bharat par nibandh

भारत अपनी विविधताओं के लिए जाना जाता है, जैसे कि अलग-अलग भाषाएं, संस्कृति, खाना, धर्म, जाति आदि। इसके बारे में जानने के लिए आपको इसकी गहराई तक जाना पड़ेगा क्योंकि अभी से नहीं बल्कि प्राचीन समय से भारत अपनी संस्कृति और मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। नीचे भारत के बारे में एक लॉन्ग एस्से लिखा गया है, जिसकी मदद से आप इसके बारे में काफी अधिक जानकारी हासिल कर सकेंगे। यदि आपके बच्चे को अपने देश भारत पर एक निबंध लिखना है, तो ये काफी फायदेमंद साबित होगा।

भारत की कहानी

भारत प्राचीन समय में सोने की चिड़िया कहा जाता था। इसकी संपन्नता की कहानियां सुनकर कई विदेशी आक्रमणकारी इसे लूटने के उद्देश्य से यहां आए। शक, कुषाण, हूण, अरब, फारसी, यूनानी और अंग्रेज ऐसे ही लोग थे। इनमें से कइयों ने अलग-अलग समय पर देश के विभिन्न हिस्सों पर राज भी किया। भारत 200 सालों तक अंग्रेजी शासन का गुलाम रहा। 15 अगस्त 1947 को भारत को इस गुलामी से आजादी मिली थी। लेकिन यह स्वतंत्रता पाना इतना आसान नहीं था जितना इसे लिखना आसान है। इस आजादी की लड़ाई में कई संघर्ष और युद्ध शामिल हैं। अपनी भारत माँ को अंग्रेजों की कैद से आजाद करने के लिए कई महान क्रांतिकारियों ने बहुत मेहनत की है और कई सच्चे देश भक्त आजादी की इस लड़ाई में अपनी जान गवां बैठे हैं। जिस आजादी की खुशी आज देशवासी मनाते हैं, उसकी लड़ाई 100 सालों तक चली थी। इस लड़ाई में शामिल हर शख्स का बलिदान लोग आज भी याद करते हैं और उन शहीदों के सम्मान के लिए कई कहानियों, शायरी, कविताओं में उनका वर्णन करते हैं। कई महान और प्रसिद्ध लोगों जिनमें महात्मा गाँधी, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद, लोकमान्य तिलक, उधम सिंह जैसे न जाने कितने ही क्रांतिकारी शामिल थे, जिनकी मिसालें आज भी दी जाती हैं।

भारत एक लोकतांत्रिक देश

हिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, यहाँ की सरकार देश की जनता द्वारा चुनी जाती है। यहाँ पर पूरी तरह से जनता का राज चलता है। क्योंकि इसका स्लोगन है, ‘सरकार लोगों की, लोगों द्वारा, लोगों के लिए। इसका मतलब बिना जनता के देश का चलना नामुमकिन है। दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव भारत में होता है और अन्य देशों में इसकी काफी प्रशंसा भी होती है। भारत में कुल 28 राज्य और 8 केंद्र-शासित प्रदेश है। हिंदुस्तान की सेना दुनिया दूसरी सबसे बड़ी सेना है। भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान, नेपाल, चीन, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार व अफगानिस्तान शामिल हैं।

भारतीय संस्कृति और परंपरा

दुनिया भर में भारत अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए बेहद प्रसिद्ध है। यहां हर धर्म, जाति, कपड़ों, त्योहारों, भाषा, खाना आदि का अपना अलग मूल्य है। यह प्रथा आज से नहीं सालों से चली आ रही है। भारत एक शांति भरा देश है जहां अलग-अलग धर्म और जाति के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। चाहे आप किसी भी धर्म से हों लेकिन लोगों के बीच एकता साफ झलकती है। हिन्दू धर्म में दिवाली, होली का जितना महत्व होता है उतना ही इस्लाम में ईद, बकरीद, ईसाई धर्म में क्रिसमस, सिख में लोहड़ी आदि का महत्व रहता है, इसी तरह हर धर्म के भगवान का अपना अलग महत्व है। यदि यहाँ एक समाज में विभिन्न धर्म के लोग रहते हैं तो वे एक-दूसरे के साथ मिलकर एक दूसरे के त्योहारों को मनाते है। यहाँ के लोगों को मिलजुल कर रहना पसंद होता है। सिर्फ धर्म ही नहीं बल्कि हर जाति के लोग भी साथ में रहते हैं। यहाँ विभिन्न प्रकार की भाषा, खाने के व्यंजन, कपड़े आदि के साथ लोग दिखाई देंगे लेकिन सब एक ही समाज में बिना किसी मनमुटाव के खुशी-खुशी रहना पसंद करते हैं।

भारत की विशेषता

हिंदुस्तान की संस्कृति को विश्व में सबसे विविधता भरी और समृद्ध संस्कृति कहा जाता है। हम चाहे जिस भी धर्म, जाति के हों, अलग भाषा बोलते हों या अलग खाना खाते, अलग कपड़े पहनते हों, ये सभी चीजें हमारे बीच कभी भी मतभेद पैदा नहीं करती हैं। दुनिया में भारतीय पाक शैली और मसाले, साडी, घाघरा, धोती और पगड़ी जैसे पहनावे, योग, आयुर्वेद और शास्त्रीय संगीत व नृत्य परंपराएं कहीं और देखने को नहीं मिलतीं। इसके अलावा भारत प्राकृतिक रूप से भी एक खूबसूरत देश है। बर्फ से लदा हिमालय, लंबे समुद्र तट, घने जंगल, थार का रेगिस्तान और कच्छ का रण भारत को बाकी सबसे अलग बनाते हैं। इसके साथ ही यहाँ सैकड़ों सालों से अपना अस्तित्व दिखते विशाल किले, मंदिर और अन्य इमारतें विश्व भर में मशहूर हैं। इन सभी चीजों को देखने दुनिया भर से सैकड़ों पर्यटक आते हैं और भारत की विविधता में सुंदरता का दीदार करते हैं।

  • भारत विश्व के 4 प्रमुख धर्मों की जन्मस्थली है – हिन्दू, बौद्ध, जैन और सिख।
  • विश्व की ज्यादातर भाषाओं की जननी संस्कृत भारत में 5000 सालों से बोली जाती रही है।
  • शतरंज, बैडमिंटन, कबड्डी, खो-खो, मार्शल आर्ट, पोलो, लूडो और सांप-सीढ़ी जैसे खेलों की शुरुआत भारत में ही हुई।
  • हीरे की खोज करने वाला भारत पहला देश था।
  • भारत में आधिकारिक रूप से कुल 22 भाषाओं को मान्यता मिली है।
  • भारत में अधिकतर लोग चम्मच के बजाय हाथ से खाना खाना पसंद करते हैं।

इस निबंध के माध्यम से हमने भारत की संस्कृति और विशेषताओं की चर्चा की है और यदि ये जानकारियां आपको पसंद आई या आपके बच्चे के लिए अच्छी हैं तो उसे यह निबंध एक बार जरूर पढ़ाएं।  इससे बच्चे को भारत के बारे में कई मूल्य जानकारियां हासिल होंगी।आप इस लेख को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी साझा कर सकते हैं।

1. भारत में क्षेत्रफल के अनुसार सबसे बड़ा राज्य कौन सा है?

भारत में क्षेत्रफल के अनुसार सबसे बड़ा राज्य राजस्थान है।

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नालंदा और तक्षशिला विश्व में सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माने जाते हैं।

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Hindi Diwas Essay: हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें? 100, 250, 500 शब्दों में निबंध प्रारूप

Hindi Diwas 2024 Essay in Hindi: इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हिंदी भाषा भारतीयों की पहचान का हिस्सा है। भारत में यूं तो कई भाषाएं और बोलियां बोली जाती है लेकिन जो दर्जा हिंदी को मिला है वो अहम है। भाषाई विविधता के जश्न के रूप में प्रति वर्ष हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हमारे देश की मातृभाषा हिंदी के महत्व को समझाने और उसे सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।

हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें?

हिंदी हमारी पहचान है और करोड़ों भारतीयों को इस पर गर्व है। हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 को मिला था। इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी बोली जाती है। हमारे विद्यालयों में भी हिंदी दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जैसे निबंध लेखन, कविता पाठ, भाषण और अन्य प्रतियोगिताओं का विशेष रूप में आयोजन किया जाता है।

बच्चों को हिंदी भाषा के महत्व और उसकी सुंदरता को समझाने के लिए यह दिन विशेष होता है। इस अवसर पर स्कूलों में विभिन्न प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। यदि आप भी स्कूल में हिंदी दिवस पर निबंध लेखन प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं तो इस लेख से संदर्भ ले सकते हैं।

इस लेख में स्कूली बच्चों की सहायता के लिए 100, 250 और 500 शब्दों में हिंदी दिवस पर निबंध लेखन के कुछ प्रारूप प्रस्तुत किए हैं। इस लेख में तीन अलग-अलग हिंदी दिवस निबंध प्रारूप प्रस्तुत किए जा रहे हैं जो स्कूली छात्रों को हिंदी दिवस के महत्व को समझाने में मदद करेंगे। स्कूली छात्रों के लिए हिंदी दिवस पर निबंध (Hindi Diwas Essay) नीचे दिये गये हैं। ये निबंध हिंदी दिवस के महत्व को सरल और स्पष्ट तरीके से समझाने में मदद करते हैं।

हिंदी दिवस 2024 पर 100, 250, 500 शब्दों में आसान निबंध प्रारूप नीचे दिये गये हैं-

निबंध 1 (100 शब्दों में ): हिंदी दिवस कब मनाया जाता है और क्यों?

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के महत्व के प्रचार एवं प्रसार के लिए मनाया जाता है। हिंदी हमारी मातृभाषा है और इसे हमें सम्मान देना चाहिये। भारत के करोड़ों लोग अपनी बोल चाल की भाषा में हिंदी भाषा का उपयोग करते हैं। भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला हुआ है। इसका अर्थ है कि भारत सरकार ने कामकाज की भाषा के रूप में हिंदी को विशेष स्थान दिया है। हमें गर्व होना चाहिये कि हमारी एक समृद्ध और प्राचीन भाषा है, जिसे हम हिंदी कहते हैं। यह हमारे देश की पहचान है।

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निबंध 2 (250 शब्दों में): हिंदी भाषा भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग

प्रति वर्ष 14 सितंबर को हम हिंदी दिवस मनाते हैं। हिंदी दिवस, हिंदी के महत्व को समझाने और उसे प्रचारित करने के लिए समर्पित है। हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला। हिंदी देश की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न अंग है। हिंदी न केवल भारत में बल्कि नेपाल, मॉरीशस, फिजी और अन्य देशों में भी बोली जाती है।

हिंदी दिवस पर स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन होता है। स्कूलों, कॉलेजों एवं अन्य शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्र-छात्राओं में हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी न केवल एक भाषा है, बल्कि यह हमारे देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। हमें हिंदी भाषा को गर्व से बोलना चाहिये और इसे और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए बढ़ावा देना चाहिये। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हमें सभी क्षेत्रों में इसे अपनाना चाहिये और इसके महत्व को समझना चाहिये।

निबंध 3 (500 शब्दों में): हिंदी दिवस और हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी दिवस भारत में हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत की राजभाषा हिंदी के सम्मान और उसके महत्व को दर्शाने के लिए मनाया जाता है। हिंदी भाषा का इतिहास बहुत पुराना है और इसका भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है। हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के अधिकांश हिस्सों में बोली और समझी जाती है।

हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य हिंदी को न केवल सरकारी कार्यों में बल्कि आम जीवन में भी अधिक से अधिक प्रयोग में लाना है। हिंदी दिवस पर कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के प्रति जागरूक करना और उसकी उपयोगिता को बढ़ावा देना है।

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आज के समय में अंग्रेजी भाषा का बढ़ता हुआ प्रभाव देखा जा सकता है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि हिंदी हमारी पहचान है। हमें गर्व होना चाहिये कि हम एक ऐसी समृद्ध भाषा बोलते हैं, जो हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करती है। हिंदी दिवस के उत्सव से हम यह समझने में सहायता मिलती है कि भाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और पहचान का प्रतीक है।

इसलिए, हमें हिंदी भाषा के महत्व को समझना चाहिये और इसे गर्व से बोलना चाहिये। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हम अपने स्तर पर भी प्रयास कर सकते हैं। हम इसे अपने दैनिक जीवन में अधिक से अधिक उपयोग कर सकते हैं। हिंदी दिवस हमें यह प्रण लेना चाहिये कि हम अपनी हिंदी भाषा का सम्मान करेंगे और इसे आगे बढ़ाने में अपना भरपूर योगदान देंगे।

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